NDTV के लिए ओपन ऑफर की तारीख हुई फाइनल, जानिए क्या है ये और क्यों कंपनी के शेयर में आई भारी गिरावट
एनडीटीवी में करीब 29 फीसदी की हिस्सेदारी गौतम अडानी पहले ही खरीद चुके हैं. अब उन्होंने अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए ओपन ऑफर लाने की तारीख साफ कर दी है. जानिए क्यों लाया जाता है ये ऑफर.
गौतम अडानी (Gautam Adani) ने एनडीटीवी (NDTV) में अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए 17 अक्टूबर से ओपन ऑफर लॉन्च करने का फैसला किया है. यह ऑफर 15 दिन यानी 1 नवंबर तक खुला रहेगा. इस ऑफर का मैनेजमेंट जेएम फाइनेंशियल कर रही है. उसके अनुसार ड्राफ्ट लेटर ऑफ ऑफर 7 सितंबर को सेबी (SEBI) के पास जमा किया जा चुका है. ओपन ऑफर के तहत 1.67 करोड़ इक्विटी शेयर खरीदे जाएंगे, जिसके लिए 294 रुपये प्रति शेयर का भाव तय किया गया है. अगर यह ऑफर पूरी तरह सब्सक्राइब हो जाता है तो इसकी कुल कीमत 492.81 करोड़ रुपये हो जाएगी.
पहले लगे अपर सर्किट, अब लोअर सर्किट का दबाव
जैसे ही बाजार में यह खबर आई थी कि गौतम अडानी एनडीटीवी को खरीद रहे हैं, कंपनी के शेयरों में रोज अपर सर्किट लग रहे थे. 5 सितंबर तक एनडीटीवी का शेयर 545 रुपये के करीब पहुंच गया, जो 22 अगस्त को 360 रुपये के करीब था. अब अगर ओपन ऑफर की बात करें तो वह सिर्फ 294 रुपये प्रति शेयर है. ऐसे में अपर सर्किट लग रहे एनडीटीवी पर अब लोअर सर्किट लगने लगा है. 6 सितंबर से गिरते-गिरते 9 सितंबर तक ये शेयर 444 रुपये पर आ गया है. रोज लोअर सर्किट लग रहा है. यहां सवाल है कि आखिर ओपन ऑफर क्या होता है, जिसकी वजह से एनडीटीवी के तेजी से भागते शेयर में भारी गिरावट आ गई.
क्या होता है ओपन ऑफर?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी (SEBI) के अनुसार वह कंपनी ओपन ऑफर ला सकती है जो किसी दूसरी कंपनी के शेयरों का अधिग्रहण कर रही हो. जब अधिग्रहण करने वाली कंपनी टारगेट कंपनी के शेयरहोल्डर्स को एक तय भाव पर शेयर बेचने का ऑफर देती है, तो उसे ओपन ऑफर कहा जाता है. देखा जाए तो एक ओपन ऑफर के जरिए कंपनी दूसरी कंपनी के शेयरहोल्डर्स को अपने शेयर बेचकर कंपनी से बाहर निकलने का मौका देती है.
कब लाया जाता है ओपन ऑफर?
सेबी के अनुसार ओपन ऑफर वह कंपनी लाती है, जिसने टारगेट कंपनी के 25 फीसदी से ज्यादा शेयरों का अधिग्रहण कर लिया हो. इसके अलावा अगर कंपनी ने एक वित्त वर्ष में 5 फीसदी से ज्यादा शेयर या वोटिंग अधिकार हासिल कर लिए हों तो भी वह ओपन ऑफर ला सकती है. भारत के सिक्योरिटीज कानून के अनुसार अगर कोई कंपनी किसी दूसरी लिस्टेड कंपनी में 25 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी लेती है तो उसे 26 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी लेने के लिए ओपन ऑफर लाना होता है. यही वजह है कि वीपीसीएल के जरिए आरआरपीआर में 29.18 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के बाद एएमएनएल ने अतिरिक्त 26 फीसदी के लिए ओपन ऑफर जारी किया है.
कैसे हुआ ये टेकओवर?
गौतम अडानी की कंपनी है अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड (AMNL) इसी की मीडिया कंपनी है. अडानी एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी कंपनी अडानी मीडिया नेटवर्क्स ने वीपीसीएल का अधिग्रहण कर लिया. वीपीसीएल का मालिकाना हक इससे पहले एमिनेंट नेटवर्क्स एंड नेक्स्टवेव टेलिवेंचर्स के पास था.
वीपीसीएल के पास एनडीटीवी की होल्डिंग कंपनी आरआरपीआर के कन्वर्टिबल डिबेंचर्स थे, जिसे कंपनी ने लोन के बदले जारी किया था. कन्वर्टिबल डिबेंचर्स ऐसे वॉरंट होते हैं, जिनसे डेट यानी कर्ज को इक्विटी में बदला जा सकता है. ये डिबेंचर्स 2009-10 में 404 करोड़ रुपये के लोन के बदले लिए गए थे. वीपीसीएल ने इन डिबेंचर्स को ही इक्विटी में बदल दिया. वीपीसीएल ने आरआरपीआर में 99.50 फीसदी हिस्सेदारी को कंट्रोल करने के अधिकार का इस्तेमाल किया है.