जीरोधा के नितिन कामत ने बताया स्टॉक स्प्लिट से क्यों घबरा जाते हैं निवेशक, शेयर खरीदने से पहले जान लें
कल यानी 14 सितंबर को बजाज फिनसर्व के शेयरों की स्प्लिट और बोनस के लिए रेकॉर्ड डेट है. बोर्ड ने 1:5 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट और 1:1 के अनुपात में बोनस शेयर की मंजूरी दी है.
के शेयरों में आज मंगलवार को एक तगड़ी तेजी देखने को मिली. इस तेजी की वजह ये है कि 14 सितंबर, बुधवार को कंपनी के शेयरों की स्प्लिट (Stock Split) और बोनस (Bonus Share) के लिए रेकॉर्ड डेट (Record Date) है. यही वजह है कि 13 सितंबर को कंपनी के शेयरों में करीब 5 फीसदी की तेजी देखने को मिली और शेयर ने 1844 रुपये के स्तर को छू लिया. हालांकि, बाद में शेयरों में थोड़ी गिरावट आई और वह 1784 रुपये के स्तर पर बंद हुए. कंपनी ने अप्रैल-जून 2022 के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि बोर्ड ने 1:5 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट और 1:1 के अनुपात में बोनस शेयर की मंजूरी दी है.
नितिन कामत बोले- 'स्प्लिट से घबरा जाते हैं निवेशक'
नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी बजाज फिनसर्व अपने एक शेयर को 5 शेयरों में बांटने की तैयारी कर रही है. ऐसे में ब्रोकरेज फर्म
के फाउंडर नितिन कामत ने ट्विटर पर स्टॉक स्प्लिट का मतलब बताया है. साथ ही बताया था कि रिटेल निवेशकों पर इसका क्या असर हो सकता है.नितिन कहते हैं कि जब भी एक कंपनी स्टॉक स्प्लिट की घोषणा करती है तो कई निवेशकों में एक पैनिक या लालच पैदा हो जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे शेयर सस्ते हो जाएंगे. उन्हें डर होता है कि इससे उन्हें नुकसान हो रहा है. वह कहते हैं कि बोनस या स्प्लिट शेयर होना ठीक वैसा ही है, जैसे 100 ग्राम की एक चॉकलेट के बजाय 50-50 ग्राम की दो चॉकलेट होना. यानी उससे कोई बड़ा असर नहीं पड़ता.
स्टॉक स्प्लिट का मतलब है एक शेयर को कई शेयरों में बांट देना. इससे शेयर किफायती बन जाते हैं और पहले की तुलना में अधिक लोग शेयरों में निवेश कर पाते हैं. जैसे 100 रुपये के शेयर को 1:10 के अनुपात में बांटें तो एक शेयर 10 रुपये का हो जाएगा, जिससे अधिक लोग शेयरों में निवेश कर पाएंगे.
आम प्रैक्टिस हैं स्टॉक स्प्लिट और बोनस
कामत बताते हैं कि स्टॉक स्प्लिट और बोनस तमाम कंपनियों में इस्तेमाल होने वाली आम प्रैक्टिस है, लेकिन निवेशक अक्सर इससे कनफ्यूज हो जाते हैं. इन मामलों में दो तारीखें बहुत ही अहम होती हैं, रेकॉर्ड डेट और एक्स-डेट. रेकॉर्ड डेट वह तारीख होती है, जिस पर या उससे पहले आपके पास शेयर होना जरूरी है, तभी फायदा मिलेगा. वहीं एक्स-डेट रेकॉर्ड डेट से एक दो दिन पहले की तारीख होती है, ताकि उस तारीख पर अगर आप शेयर खरीदें तो रेकॉर्ड डेट तक वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएं.
नितिन कामत कहते हैं कि स्टॉक स्प्लिट के जरिए एक कंपनी अपने शेयरों की संख्या को बढ़ाती है, जिससे स्टॉक की फेस वैल्यू घट जाती है. कंपनियां स्टॉक स्प्लिट इसलिए करती हैं, ताकि स्टॉक की कीमत घटाई जा सके. कीमत कम होने की वजह से छोटे रिटेल निवेशक भी उसे आसानी से खरीद पाते हैं, जिससे लिक्विडिटी बढ़ती है.