समझिए 136 करोड़ की आबादी वाले देश में 8 करोड़ करदाता होने के मायने, कैसे बढ़ेगा ये आंकड़ा?
इस बार अब तक करीब 5.78 करोड़ लोगों ने टैक्स भरा है. 2020 में ये आंकड़ा करीब 8.13 करोड़ था. आइए जानते हैं 136 करोड़ की आबादी वाले भारत में इतने कम टैक्सपेयर होने का क्या मतलब है.
इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख (ITR Filing Last Date) निकल चुकी है और इस बार सरकार ने लास्ट डेट को बिल्कुल नहीं बढ़ाया (ITR Filing Last Date Extention) है. अच्छी बात ये है कि आखिरी तारीख यानी 31 जुलाई रात 11 बजे तक करीब 5.78 करोड़ लोगों ने आईटीआर (How many people filed ITR) भर दिया है. पिछले साल यह आंकड़ा करीब 7.14 करोड़ था. ये आंकड़ा सिर्फ 11 बजे तक का है, आखिरी एक घंटे का डेटा आना अभी बाकी है. कुछ लोग देरी से आईटीआर भरने वालों में भी होंगे. अनुमान है कि इस बार करीब 7.55 करोड़ आईटीआर भरे जाएंगे. हालांकि, निर्मला सीतारमण के अनुसार 2019-20 में करीब 8,13,22,263 लोगों ने इनकम टैक्स भरा था. आइए समझते हैं 136 करोड़ से भी ज्यादा की आबादी वाले देश में भी सिर्फ सवा आठ करोड़ (How many taxpayers in india) करदाता होने के क्या हैं मायने.
सिर्फ 6 फीसदी लोग भरते हैं टैक्स
भारत में सिर्फ सवा आठ करोड़ करदाता होने का मतलब है कि पूरी आबादी में से सिर्फ 6 फीसदी लोग टैक्स चुकाते हैं. कम लोग टैक्स चुकाते हैं इसका ये मतलब नहीं कि बाकी लोग टैक्स नहीं चुकाना चाहते, बल्कि इसका ये मतलब है कि वह टैक्स के दायरे में ही नहीं आते. यानी भारत की करीब 136 करोड़ की आबादी में लगभग 127 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये सालाना से भी कम है.
टैक्स बढ़ाना है तो तगड़ी कमाई वाले रोजगार बढ़ाने होंगे
जितने कम लोग टैक्स भरेंगे, उतना ही कम टैक्स कलेक्शन होगा. ऐसे में विकास कार्यों के लिए खर्च करने का बजट भी छोटा ही रहेगा. वहीं अगर टैक्स कलेक्शन अधिक होगा तो विकास कार्यों पर अधिक पैसे खर्च किए जा सकेंगे, जिससे विकास तेजी से होगा. बता दें कि टैक्स के मामले में अमेरिका में करीब आधे लोग इनकम टैक्स भरते हैं. हालांकि, अधिक लोगों से टैक्स पाने के लिए अधिक से अधिक रोजगार पैदा करना होगा, वो भी ऐसा जिससे लोगों को मोटी कमाई हो सके. अमूमन 10-12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले लोग तो तमाम तरह की डिडक्शन और छूट पाकर ही अपनी टैक्सेबल सैलरी 5 लाख रुपये से कम कर लेते हैं.
2022 में सरकार को मिले 14 लाख करोड़ रुपये
भारत में आयकर चुकाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, जिससे सरकार का टैक्स कलेक्शन भी तेजी से बढ़ रहा है. टैक्स कलेक्शन तब बढ़ता है, जब देश की आर्थिक विकास दर की तरक्की होती है. इसका मतलब है कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं, खरीद-बिक्री बढ़ती है, जिनसे अर्थव्यवस्था आगे की ओर बढ़ती है. वित्त वर्ष 2022 में सरकार का टैक्स कलेक्शन करीब 14 लाख करोड़ रुपये रहा था.
किन राज्यों से आता है सबसे ज्यादा टैक्स?
अगर सबसे ज्यादा टैक्स की बात करें तो महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा इनकम टैक्स भरा जाता है. वहीं गुजरात, यूपी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल का नंबर इनके बाद आता है. देश की राजधानी दिल्ली तो इस लिस्ट में 8वें, 9वें नंबर पर रहती है. सिक्किम, लक्षदीप, मिजोरम से सबसे कम इनकम टैक्स भरा जाता है.