SheSparks: एक महिला के लिए क्या हैं फाइनेंस के मायने, समझिए दो वुमेन आंत्रप्रेन्योर से
रुचि कालरा कहती हैं कि फाइनेंस की बात घर से ही शुरू हो जाती है. घर में ही मां पैसों को मैनेज करना शुरू कर देती हैं और बच्चों को भी वही सिखाती हैं. महिलाएं आंत्रप्रेन्योरशिप भी घर से ही सीखना शुरू कर देती हैं.
जब भी बात पैसों की आती है तो अक्सर जिक्र होता है पुरुषों का. रुपये-पैसे के मामले में महिलाओं का नाम कम ही सुनने को मिलता रहा है. हालांकि, आज के वक्त में वित्तीय मामलों में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है. आने वाले वक्त में आप देखेंगे कि फाइनेंस के फील्ड में भी महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो जाएगी. महिलाओं के लिए फाइनेंस क्या मायने रखता है, इस पर YourStory के इवेंट SheSparks 2023 में चर्चा हुई. इस इवेंट में
की को-फाउंडर रुचि कालरा (Ruchi Kalra) और Vertex Ventures SEA & India, की पार्टनर कनिका मेयर (Kanika Mayar) ने वित्तीय मामलों में महिलाओं की भूमिका पर बात की.घर से ही शुरू हो जाते हैं फाइनेंस नॉलेज और आंत्रप्रेन्योरशिप
रुचि कालरा कहती हैं कि फाइनेंस की बात घर से ही शुरू हो जाती है. घर में ही मां पैसों को मैनेज करना शुरू कर देती हैं और बच्चों को भी वही सिखाती हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि आटे-चावल के डिब्बों में पैसे बचाकर रखे होते हैं. महीने की शुरुआत में ही मां इस बात को भी सुनिश्चित करती हैं कि कैसे पूरे महीने का खर्च चलेगा. वह हमें सिखाती भी हैं कि फाइनेंस कैसे मैनेज करें. यानी आंत्रप्रेन्योरशिप हो या फिर फाइनेंस, महिलाओं के लिए दोनों की शुरुआत घर से ही हो जाती है. वह कहती हैं कि उनके लिए फाइनेंस सिर्फ कुछ आंकड़े नहीं है, बल्कि उनके लिए जहां बिजनेस है वहां फाइनेंस है ही.
अपने हाथ में लें फाइनेंस का कंट्रोल
कनिका कहती हैं कि फाइनेंशियल सर्विस की बात करें तो इस फील्ड में बहुत ही कम महिलाएं घुसती हैं. अगर डिसीजन मेकर्स को देखें तो आपको वहां महिलाओं की भागीदारी नहीं देखने को मिलेगी. हालांकि, जूनियर लेवल पर बहुत सारी ऐसी महिलाएं दिखती हैं, जो फाइनेंस में अपना करियर बनाना चाहती हैं. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कैसे उन्हें सिस्टम में आगे बढ़ने के लिए बढ़ावा दे सकें. आपको पहले ही दिन से एक आंत्रप्रेन्योर, आर्टिस्ट या जो भी आपका करियर है, आपको अपने फाइनेंस का कंट्रोल हाथ में लेना होगा.
फाइनेंस की दुनिया में महिला-पुरुष की असमानता
फाइनेंस की दुनिया में पुरुषों का दबदबा ज्यादा है. इस असमानता पर रुचि कहती हैं कि पहले के जमाने में 80-90 के दशक में फाइनेंस से जुड़ी महिलाएं ही बहुत कम थीं. आज के वक्त में महिलाओं की संख्या फाइनेंस में तेजी से बढ़ रही है. एजुकेशन में महिलाओं को फाइनेंस के लिए बढ़ावा देने की जरूरत है. अगले 10 सालों में फाइनेंस में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ेगी. महिलाओं को लेकर पक्षपात तो है, जिससे उनकी फाइनेंस की दुनिया में एंट्री मुश्किल होती है. आज के वक्त में तकनीक इतनी एडवांस हो गई है कि पक्षपात में बहुत कमी आ गई है. अगर अच्छी एजुकेशन मिलती है तो महिलाओं को भी पुरुषों जैसा महत्व मिल सकता है. अगर कोई पक्षपात है यानी बायस (Bias) है तो उसे राह का रोड़ा नहीं बनने देना चाहिए, अपना रास्ता बनाकर आगे बढ़ना चाहिए.
रुचि कहती हैं कि बायस हमारे खुद के अंदर से ही शुरू होता है. हमें इंजीनियरिंग और बायोलोजी में से एक चुनना होता है तो हम बायोलॉजी चुन लेते थे. अब सब बदलता जा रहा है और महिलाएं भी पुरुषों की तरह कोई भी फील्ड चुन रही हैं. आपको खुद ये सोचना होगा कि आप क्या करना चाहती हैं, उसके बाद ही इस पक्षपात ले लड़ पाएंगी. अगर मैं खुद अपने बायस को सही नहीं करती हूं तो मैं ये नहीं कह सकती कि दुनिया महिलाओं के लिए बायस है.
कनिका कहती हैं कि जब वह स्कूल में थीं तो उनके बैच में 300 लड़के थे और सिर्फ 20 लड़कियां थीं. वहीं आज उनकी 22 लोगों की टीम में 8 महिलाएं हैं यानी 40 फीसदी महिला भागीदारी. हमारे 40 फीसदी पोर्टफोलिया महिलाओं के हैं. सबसे पहले आपको पक्षपात को खुद से खत्म करना होगा, अपनी टीम से खत्म करना होगा. आने वाले दिनों में महिला और पुरुष की भागीदारी बराबर हो सकती है.
महिलाएं थोड़ा कम कॉन्फिडेंट होती हैं, जबकि जरूरत है कॉन्फिडेंट होने की. इसी से आपको सफलता मिलेगी. अगर आपको खुद को कोई दिक्कत हो तो आप अपने किसी करीबी से भी इस पर बात कर सकते हैं. एक तो खुद को पुश करने की कोशिश करें और कुछ ऐसे लोगों से बात करें जो आपको पुश करने की बात करें.
महिलाओं को फाइनेंस से जुड़े सुझाव
रुचि कहती हैं कि फाइनेंस के बहुत बड़ा फील्ड है. इसमें बहुत सारे कोर्स हैं. वह कहती हैं कि अपने बिजनेस को लेकर सिर्फ नंबर्स के पीछे मत भागो. अपने रोजाना के नंबर्स को देखें, बिजनेस के फाइनेंस को समझें, इससे बिजनेस आगे बढ़ाने में फायदा होगा. वहीं कनिका का कहना है कि बिजनेस के फाइनेंस में अपनी भागीदारी बढ़ाना शुरू करिए. एक सपोर्टिंग ईकोसिस्टम बनाइए, सही लोगों को लाइए, सही क्वालिफिकेशन हासिल कीजिए और अपने छोटे-छोटे बेबी स्टेप्स बढ़ाते जाइए.