चंद घंटों में सेंसेक्स 1000 अंक से ज्यादा टूटा, निवेशकों के 7 लाख करोड़ रुपये स्वाहा, ये 5 वजहें हैं जिम्मेदार
सेंसेक्स में शुरुआती कारोबार के दौरान ही सेंसेक्स में 1000 अंकों से भी अधिक की गिरावट देखी गई. निफ्टी भी 17 हजार से नीचे फिसल गया. एक दिन में ही निवेशकों को करीब 7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
शेयर बाजार (Share Market Latest Update) में सोमवार को लगातार चौथे दिन भारी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स में करीब 1000 प्वाइंट से भी अधिक की गिरावट (Sensex Big Fall) देखने को मिली. निफ्टी भी 17 हजार के स्तर से नीचे (Nifty Fall) फिसल गया. शेयर बाजार के लिए आज का दिन कितना बुरा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि निवेशकों के करीब 7 लाख करोड़ रुपये देखते ही देखते स्वाहा हो गए. बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप गिरकर 269.86 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. सवाल ये है कि आखिर बाजार में इतनी भारी गिरावट क्यों (Why Share Market Falling) आ रही है.
क्यों गिरता ही जा रहा है शेयर बाजार?
शुक्रवार को 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 1,020.80 अंक यानी 1.73% की गिरावट दर्ज करते हुए 58,098.92 अंक पर बंद हुआ था. हफ्ते के आखिरी दिन शुक्रवार को सेंसेक्स-निफ्टी करीब 1.5 फीसदी तक गिरे थे. निवेशकों को इस गिरावट से करीब 4.9 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. पिछले दिनों में देखें तो सेंसेक्स 4 दिनों में करीब 3 हजार अंक तक गिर चुका है. यूं लग रहा है मानो शेयर बाजार में तेजी की कोई वजह ही नहीं बची हो. आइए जानते हैं उन वजहों के बारे में, जो बाजार को लगातार नीचे की तरफ खींच रहे हैं.
1- फेडरल रिजर्व ने बढ़ाई दरें: शेयर बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह है अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी. महंगाई को काबू में करने के लिए अमेरिका के पास ब्याज दरें बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाली दो पॉलिसी मीटिंग में फेडरल रिजर्व 1.25 फीसदी तक की और बढ़ोतरी कर सकता है. इस चिंता से निवेशक घबराए हुए हैं.
2- रिजर्व बैंक बढ़ा सकता है दरें: जब से फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला सामने आया है, तब से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब भारतीय रिजर्व बैंक भी ब्याज दरें बढ़ा सकता है. उम्मीद की जा रही है इस बार भी रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है. दरें बढ़ाए जाने से आम आदमी की ईएमआई महंगी हो जाती है.
3- रुपये पर दबाव: फेडरल रिजर्व के फैसले से रुपया दबाव में है. विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत बने रहने और निवेशकों के बीच जोखिम से दूर रहने की प्रवृत्ति हावी रहने से शुक्रवार को रुपया 19 पैसे गिरकर 80.98 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ. हालात तो ये हैं कि रुपये ने 81.55 रुपये का ऑल टाइम लो का लेवल भी छू लिया है.
4- एफआईआई की बिकवाली: फेडरल रिजर्व की तरफ से दरें बढ़ाने के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकालेंगे और अमेरिका में निवेश कर सकते हैं. पिछले महीने विदेशी निवेशकों ने करीब 51 हजार करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे. इस महीने अब तक वह करीब 10,865 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं. सिर्फ गुरुवार को ही एफआईआई ने करीब 2500 करोड़ के शेयर बेचे हैं. अगले दिन शुक्रवार को भी एफआईआई ने करीब 2900 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.
5- ग्लोबल मार्केट की कमजोरी: अगर ग्लोबल मार्केट में कमजोरी आती है, तो उसका सीधा असर भारत के शेयर बाजार पर पड़ता है. डाऊ जोन्स में 0.4 फीसदी और नैसडैक में 1.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है. वहीं एशिया के बाजार लगातार तीसरे दिन दबाव में हैं. ऐसे में भारत के शेयर बाजार में कोहराम तो मचना ही था.
6- मंदी का डर: इस वक्त पूरी दुनिया मंदी के डर से जूझ रही है. सबसे ज्यादा चिंता में अमेरिका है, जहां एक मामूली सी हलचल से भी दुनिया भर के बाजार कांप उठते हैं. अर्थशास्त्री Nouriel Roubini ने 2008 की मंदी का अनुमान पहले ही लगा लिया था. एक बार फिर उन्होंने कहा है कि अमेरिका और बाकी दुनिया एक बार फिर भारी मंदी झेल सकती है. अनुमान है कि S&P 500 में 30 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है. हालात बद से बदतर भी हो सकते हैं और ये गिरावट 40 फीसदी तक पहुंच सकती है.