हिंसक और भड़काऊ वीडियो वाले चैनलों को बंद करेगा YouTube
वक्त बदल रहा है, हम आधुनिक होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन नस्लवाद, भेदभाव और नफरत फैलाने की घटनाएं बेहद आम हो चली हैं। हमें मानना पड़ेगा कि इसमें सोशल मीडिया और इंटरनेट का बड़ा हाथ है। लोगों के वॉट्सऐप ग्रुप में हिंसा के वीडियो प्रसारित किए जाते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी ऐसी चीजें देखने को मिल जाती हैं। इसके खिलाफ कई इंटरनेट कंपनियां कमर कस रही हैं। गूगल के स्वामित्व वाले यूट्यूब ने हाल ही में घोषणा की है कि वह नस्लवाद और भेदभाव को बढ़ावा देने वाले या उनका महिमामंडन करने वाले वीडियो पर प्रतिबंध लगाएगा।
यूट्यूब ने बुधवार को कहा कि वह यहूदी नरसंहार या सैंडी हूक स्कूल गोलीबारी जैसी दस्तावेजों से प्रमाणित हिंसक घटनाओं को नकारने वाले वीडियो पर भी रोक लगाएगा। वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब के द्वारा इस कदम की घोषणा करना सराहनीय प्रयास हो सकता है। इस फैसले से घृणा और हिंसा वाली सामग्री को हटाने में आसानी होगी।
कंपनी ने बयान जारी कर कहा, "YouTube में हमेशा नियमों का पालन होता है, जिसमें अभद्र भाषा के खिलाफ एक लंबी नीति भी शामिल है।' बयान में आगे कहा गया, 'आज हम खास तौर पर लिंग, जाति, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देने वाले वीडियो पर प्रतिबंध लगाकर अपनी नीति में एक और कदम जोड़ रहे हैं।' बीते महीने न्यू जीलैंड में एक मस्जिद में आतंकी हमले की लाइवस्ट्रीमिंग की गई थी। इसके बाद पेरिस में तमाम नेताओं ने चरमपंथ पर अंकुश लगाने के लिए ऐसे कदम उठाने का आग्रह किया था।
YouTube ने कहा है कि इस नीति को बुधवार से ही लागू कर दिया गया है। लेकिन इसके पूरी तरह से प्रभावी होने में कई महीने का वक्त लगेगा। YouTube ने कहा कि शोधार्थियों के लिए ऐसे कंटेंट उपलब्ध कराने के लिए वह नए तरीके खोजेगा।। लेकिन इस कदम से उन चैनलों को हटाया जाएगा जो पैसे के लिए ऐसी हिंसक सामग्री को अपलोड करते हैं। इस साल की शुरुआत में फेसबुक ने भी घोषणा की थी कि वह हेट स्पीच श्वेत राष्ट्रवाद और श्वेत अलगाववाद के समर्थन पर प्रतिबंध लगाएगा।