महज 30 सेकंड में नारियल के पेड़ पर चढ़ जाएंगे किसान, यह 'खास बाइक' करेगी उनकी मदद
गणपति भट ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र जैसे राज्यों में किसानों की मदद के लिए एक खास ’बाइक’ का आविष्कार किया है और जो उन्हे नारियल के पेड़ों में चढ़ने में मदद करेगी।
भारत में कृषि निस्संदेह सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में जैविक खेती एक इनोवेशन है जो फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाती है और साथ ही कुछ मशीनरी भी इस क्षेत्र में किसानों की मदद करती है। यह किसानों के लिए एक वरदान है।
किसानों के लिए पेड़ों पर चढ़ना उन कार्यों में से एक है जिसे बड़ी मुश्किल से अंजाम दिया जाता है। कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को कीटनाशक छिड़कने या नारियल तोड़ने के लिए पेड़ों पर चढ़ना बेहद मुश्किल लगता है।
इस मुद्दे को हल करने के लिए कर्नाटक के एक 60 वर्षीय निवासी ने एरेका बाइक नामक एक चढ़ाई मशीन विकसित की है। बंटवाल तालुक, कर्नाटक के कोमाले गाँव के गणपति भाट की यह खास बाइक हाइड्रोलिक ड्रम ब्रेक, हैंड गियर, एक डबल चेन और एक सुरक्षा बेल्ट से मिलकर बनी है।
गणपति के अनुसार केवल एक लीटर पेट्रोल के साथ एक किसान 90 पेड़ों पर चढ़ सकता है। अब ये बाइक्स बड़ी तेजी से बिक रही हैं। उनका दावा है कि पिछले सात महीनों में उन्होने लगभग 1,000 बाइक बेंची हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में मजदूरों की भारी कमी को दूर करने के लिए यह मशीन किसानों के काम आ रही है।
अपनी बाइक की बिक्री के बारे में एडेक्स लाइव से बात करते हुए गणपति ने कहा,
“मैंने अकेले केरल और तमिलनाडु में 380 से अधिक बाइक बेची हैं। कर्नाटक में, शिवमोग्गा, थिरताहल्ली, अगुम्बे, और सिरसी जैसे स्थानों में इसकी मांग अधिक है, जहां एरेका नट उत्पादक खुद खेतों में काम करते हैं और मजदूरों पर कम निर्भर रहते हैं। दक्षिण कन्नड़ में हालांकि बहुत ज्यादा मांग नहीं है क्योंकि वहाँ मजदूरों की उपलब्धता फिलहाल बड़ा मुद्दा नहीं है।”
28 किलो वजनी इस बाइक को टू-स्ट्रोक इंजन द्वारा संचालित किया जाता है और इसकी कीमत 75,000 रुपये है, जिसमें जीएसटी भी शामिल है। गणपति के अनुसार, उन्हें 100 से अधिक ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। लागत में कमी लाने के लिए भी वे बाइक उत्पादन के तमाम पहलू पर काम कर रहे हैं।
इस बाइक की मदद से एक किसान महज 30 सेकंड में 30 मीटर की ऊंचाई पर चढ़ सकता है। गणपति, जो भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, और गणित में स्नातक की डिग्री रखते हैं, उन्होने खुद ही बाइक डिजाइन कर बनाई है।
इस बाइक का ही क्रेज़ था कि महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने गणपति के आविष्कार की सराहना की। अब, उन्हें सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड की कंपनियों द्वारा बाइक के लिए एक विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए संपर्क किया गया है।
'द न्यूज़ मिनट' के अनुसार गणपति कहते हैं,
“मैं एक ऐसे संगठन के साथ भागीदारी करना चाहता हूं, जो मुझे किसानों के साथ प्रौद्योगिकी साझा करने में मदद करे। मैं इस तरह के उपक्रम के लिए रॉयल्टी लेने की इच्छा नहीं रखता, लेकिन मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि यह उत्पाद ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचे, ताकि किसी तरह से देश के समग्र कृषि परिदृश्य के विकास में मदद मिल सके।