बाटा, नाइकी, एडिडास, प्यूमा के प्रभुत्व वाले बाजार में करोड़ों कमा रहे हैं ये 5 'मेड इन इंडिया' फुटवियर ब्रांड
आज ग्राहकों की मांग के अनुसार भारतीय फुटवियर ब्रांड अपने उत्पादों में इनोवेशन के साथ असंगठित बाजार पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।
चीन के बाद, भारत सबसे बड़ा फुटवियर उत्पादक है। रिसर्च एंड मार्केट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फुटवियर सेक्टर बंटा हुआ है और 75 प्रतिशत के करीब उत्पादन असंगठित क्षेत्र से आता है, जिसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) शामिल हैं। कानपुर, आगरा, रानीपेट, वानीयंबादी, और अंबुर देश में शीर्ष फुटवियर उत्पादन केंद्र हैं।
आज, शहरीकरण, हाई डिस्पोजेबल इनकम और मीडिया प्रभाव उपभोक्ताओं की जरूरतों को बदल रहे हैं और यह हब ब्रांडों के लिए अलग खास प्रकार के फुटवियर तय कर रहे हैं। संगठित बाजार में प्रमुख ब्रांड में अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बाटा, नाइकी, एडिडास, प्यूमा, आदि शामिल हैं, लेकिन ग्राहकों का स्वाद इतनी तेजी से बदल रहा है कि भारतीय फुटवियर ब्रांड भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और असंगठित बाजार पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।
योरस्टोरी ने पांच ऐसे होमग्राउंड फुटवियर ब्रांड्स की सूची तैयार की है जो इस क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं और करोड़ों का राजस्व कमा रहे हैं:
वुडलैंड (Woodland)
बहुत कम लोगों को पता होगा कि वुडलैंड (Woodland) की जड़ें भारतीय हैं। इस फुटवियर ब्रांड को मिलेनियल्स काफी पसंद करते हैं। 1980 के दशक में वुडलैंड की मूल कंपनी एयरो ग्रुप की स्थापना कनाडा के क्यूबेक में अवतार सिंह ने की थी। उस समय, कंपनी ने कनाडा और रूस के लिए विंटर शूज का निर्माण किया। 1990 के दशक तक एयरो ग्रुप का कारोबार अपने चरम पर था जब रूसी बाजार सोवियत संघ के विघटन के साथ नीचे चला गया था।
1992 में, एयरो ग्रुप ने विकासशील बाजार की स्थितियों और एक्सक्लूसिव रिटेल आउटलेट्स और मॉल कल्चर के खुलने के बाद भारत में प्रवेश करने का फैसला किया। इस प्रकार वुडलैंड को एयरो ग्रुप के तहत लॉन्च किया गया था। आज, वुडलैंड के प्रोडक्ट आसान निर्यात के लिए विभिन्न देशों में निर्मित और असेंबल किए जाते हैं।
भारत में प्रमुख विनिर्माण केंद्र नोएडा में है। चमड़े को जालंधर (पंजाब) में टेनरियों से सोर्स किया जाता है। कुछ SKU की आउटसोर्सिंग के लिए कंपनी ने बांग्लादेश, ताइवान और चीन के विक्रेताओं के साथ भी सहयोग किया है। सोल्स (तलवों) सहित जूतों के लिए इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल इन-हाउस निर्मित होता है। इटैलियन मशीनरी का उपयोग हैंड-पिक्ड इटैलियन हाइड्स की टैनिंग और फिनिशिंग के लिए किया जाता है।
जर्मन टेक्नोलॉजी का उपयोग टफ रबर सोल के निर्माण के लिए किया जाता है। 5,500 मल्टी-ब्रांड आउटलेट्स (MBO) में शेल्फ स्पेस के साथ वुडलैंड के देश भर में 600 से अधिक ईबीओ हैं। कंपनी अब 1,250 करोड़ रुपये का कारोबार करती है।
लखानी (Lakhani)
1966 में, परमेश्वर दयाल लखानी ने एक मेड इन इंडिया, प्रीमियम फुटवियर कंपनी, लाखानी की स्थापना की, जिसका आज भी भारतीय घरों में अच्छा-खासा नाम है। हालांकि, 2000 के दशक के मध्य में, जब नाइकी, प्यूमा और एडिडास जैसे बहुराष्ट्रीय ब्रांडों ने भारतीय फुटवियर बाजार में प्रवेश किया, तो लखानी, जिसका कभी इंडस्ट्री में हिस्सेदारी का एक बड़ा हिस्सा था, वह गुमनामी में फीक पड़ गया। लखानी वरदान के दूसरी पीढ़ी के उद्यमी मयंक लखानी ने कंपनी के पारंपरिक व्यवसाय मॉडल को फिर से शुरू किया।
मयंक कहते हैं,
“लखानी जनता की सेवा करते हैं और मैं उस विरासत को आगे ले जाना चाहता था लेकिन एक अलग दृष्टिकोण के साथ। मैं 90 प्रतिशत आउटसोर्स किए गए विनिर्माण के साथ आया, जैसा कि प्रमुख बड़े ब्रांडों करते हैं।”
उन्होंने लखानी इन्फिनिटी में ब्रांड सोर्सिंग की अवधारणा शुरू की, जहां उत्पादों को बाहरी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा निर्मित किया गया था, और टीम ने सख्त गुणवत्ता निरीक्षण और अनुपालन सुनिश्चित किया।
अब, कंपनी दिल्ली / एनसीआर से कच्चे माल को सोर्स करती है, और रबर दक्षिण भारत से। इसके फुटवियर की कीमत 100 रुपये से 1,499 रुपये के बीच है, और इसके कुछ उत्पादों में स्पोर्ट्स शूज, कैनवास शूज, स्लिपर्स, सैंडल, बैली, हवाई चप्पल और अन्य प्रीमियम-क्वालिटी के जूते शामिल हैं। 2018 में, कंपनी ने 100 करोड़ रुपये का उच्चतम कारोबार हासिल किया। वर्तमान में, यह 105 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा है, और 2021 तक 200 करोड़ रुपये तक पहुंचने का लक्ष्य है।
एसकेओ (SKO)
कहते हैं कि घर वही होता है जहाँ दिल होता है। और एसकेओ फुटवियर के संस्थापक निशांत कनोडिया इसे अच्छी तरह से जानते थे, जो 13 साल के लिए निवेश बैंकर के रूप में विदेश में काम कर रहे थे। वह भारत वापस आना चाहते थे और एक उद्यमी बनना चाहते थे।
उनका परिवार 30 से अधिक वर्षों से जूते का व्यवसाय चला रहा था, और इसलिए निशांत का इस क्षेत्र में प्रवेश करने पर विचार करना स्वाभाविक था। वे कहते हैं,
“भारत में फुटवियर की बात करें तो क्लीन एस्थेटिक की कमी थी। मैं एक फुटवियर ब्रांड शुरू करना चाहता था जिसमें वॉल्यूम की बजाय टिकाऊपन, आराम और डिजाइन पर प्रीमियम क्वालिटी का कच्चा माल इस्तेमाल किया जाता हो।"
2018 में, निशांत ने खुद पर विश्वास किया और क्लीन लुक के स्कैंडिनेवियाई डिजाइन एस्थेटिक के साथ एक लक्जरी फुटवियर लेबल SKO शुरू करने के लिए अपनी खुद की पूंजी का निवेश किया। स्कैंडिनेवियाई से प्रेरित डिजाइन और प्रीमियम पोजिशनिंग ने SKO के लिए अच्छी तरह से काम किया है, जिसने लॉन्च के एक साल बाद ही 1.5 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया।
SKO पुरुषों के लिए स्नीकर्स, एस्पैड्रिल्स, म्यूल्स, सैंडल और लोफर्स बनाता है, और महिलाओं के लिए फ्लैट और ऊँची एड़ी के जूते। ये सभी फुटवियर प्रोडक्ट यूरोपीय डिजाइनरों के सहयोग से मुंबई में SKO के स्टूडियो में डिजाइन किए जाते हैं। फिर प्रोडक्ट देहरादून में एक बड़े पैमाने पर इकाई में निर्मित होते हैं, और पूरे ऑपरेशन में 150 लोग काम करते हैं।
रेड चीफ (Red Chief)
मनोज ज्ञानचंदानी ने अपनी उम्र के 20वें साल में चमड़े के जूते के निर्यात का व्यवसाय शुरू किया था, साथ ही वे अपने परिवार के व्यवसाय से भी जुड़े थे। 1995 में, उन्होंने यूरोप में चमड़े के जूते निर्यात करने के लिए लीयान ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। हालांकि, दो साल बाद, मनोज ने महसूस किया कि भारतीय जूता बाजार चमड़े के जूतों के मामले में संगठित नहीं है। इस प्रकार, अपने एक्सपोर्ट बिजनेस को समेटते हुए, उन्होंने ऐसा करने के लिए एक व्यवसाय की स्थापना के लिए बाजार का अध्ययन किया।
1997 में, उन्होंने मूल कंपनी लीयान ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (Leayan Global Private Limited) के तहत रेड चीफ ब्रांड लॉन्च (Red Chief) किया, जो कि 5,500 करोड़ रुपये के विविध समूह RSPL का एक हिस्सा है। शुरू में, मनोज ने कानपुर में ही एक पैर जमाने का फैसला किया। उन्होंने शहर भर में मल्टी-ब्रांडेड आउटलेट्स में प्रोडक्ट को शोकेस किया। ऐसा 2010 तक जारी रहा, बाद में रेड चीफ ने अन्य विभिन्न राज्यों में मल्टी-ब्रांडेड आउटलेट्स का विस्तार किया। 2011 में, उद्यमी ने कानपुर में पहला एक्सक्लूसिव रेड चीफ आउटलेट शुरू किया। तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आज, रेड चीफ के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सहित 16 राज्यों में 175 स्टोर हैं। यह 3,000 से अधिक मल्टी-ब्रांड आउटलेट में भी मौजूद है। मनोज का कहना है कि उत्तर भारत के बाजार में रेड चीफ का वर्चस्व है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) फाइलिंग के अनुसार, कंपनी 324 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार करती है।
मनोज कहते हैं,
“हमारे प्रोडक्ट्स का लगभग 80 इन-हाउस मैन्युफैक्चर होता है। हमारे पास अपना स्वयं का चमड़ा कारख़ाना है। हम खुद से पूरा चमड़ा और जूते का विनिर्माण करते हैं और कानपुर, हरिद्वार और अन्य शहरों में तीन विनिर्माण संयंत्र हैं।"
इंक.5 (Inc.5)
जूतों का सही पेयर, खासतौर पर हाई हील्स, महिला के आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करते हैं, लेकिन स्टाइल और कंफर्ट के बीच संतुलन ढूंढना अक्सर आसान नहीं होता है। खुद अल्मास नंदा को भी इन दोनों के बीच सामंजस्य बिठाना परेशानी भरा लगा लेकिन वे आराम और स्टाइल दोनों चाहती थीं। 1998 में, जब वह 24 साल की थी, तब उन्होंने महिलाओं को स्टाइलिश शूज प्रोवाइड करने के लिए Inc.5 शुरू किया, जिसका उद्देश्य आराम से समझौता करना नहीं था। योरस्टोरी के साथ एक इंटरव्यू में, Inc.5 के प्रबंध निदेशक उनके भाई अमीन विरजी ने बताया कि कैसे उन्होंने मुंबई के हीरा पन्ना शॉपिंग सेंटर में एक स्टोर से शुरुआत की और पूरे भारत के 54 विशेष स्टोरों में ब्रांड की उपस्थिति दर्ज करा दी।
वह कहते हैं,
"हमारे दादाजी ने 1954 में 'रीगल शूज (Regal Shoes)' लॉन्च किया था। यह एक परिवार द्वारा चलाया जाने वाला बिजनेस था, लेकिन हम सीमित तौर पर ही बुनियादी और औपचारिक शूज बनाते थे। 1998 में, हमने ऐसे अनटैप्ड फुटवियर मार्केट में अवसर तलाशने की सोची, जो अच्छे दिखने वाले फुटवियर प्रदान करे। और फिर हमनें Inc.5 लॉन्च किया।”
2001 में, रीगल शूज और Inc.5 को Inc.5 शूज प्राइवेट लिमिटेड के रूप में मिला दिया गया। दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, कानपुर, लखनऊ और पुणे सहित टियर I और टियर II शहरों में मजबूत उपस्थिति के साथ, आज Inc.5 163 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहा है। वर्तमान में, यह चीन, वियतनाम और ताइवान से कुछ सामग्री आयात करता है और दिल्ली, आगरा, कानपुर, चेन्नई और अन्य स्थानों में स्थित कारखानों को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट ऑर्डर देता है।