पीएम मोदी के बाद बेयर ग्रिल्स की होस्ट बनीं उत्तराखंड की जुड़वा बहनें नुंग्शी-ताशी
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद उत्तराखंड की जुड़वा बहनें नुंग्शी और ताशी मलिक 'मैन वर्सेज वाइल्ड' के होस्ट बेयर ग्रिल्स के साथ खतरों का सामना कर चुकी हैं। आज पूरी दुनिया में उनकी शोहरत है। वे अबतक दुनिया के सात पर्वत शिखर फतह कर चुकी हैं। इतना ही नहीं, ये साउथ पोल और नॉर्थ पोल पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं।"
मूलतः हरियाणवी एवं देहरादून (उत्तराखंड) के जोहड़ी गांव में रह रहीं जुड़वा बहनें नुंग्शी और ताशी मलिक आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। पूरी दुनिया में उनकी शोहरत है। दोनों बहनें मात्र तेईस साल की उम्र में कई उपलब्धियां और रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं। फिजि आइलैंड में 9 से 21 सितंबर के बीच 675 किलोमीटर की खास रेस के लिए भारत की इन जुड़वां बहनों के अलावा प्रवीन रांगड़ का चयन हुआ। इस रेस में 30 देशों की 60 टीमों की शिरकत रही। पहली बार दक्षिण एशिया और भारत से किसी टीम का चयन इस रेस के लिए हुआ।
नुंग्शी ताशी को बेयर ग्रिल ने स्वयं निमंत्रित किया। रेस में ताशी-नुंग्शी ने 12 खतरनाक एडवेंचर का सामना किया, जिसमें क्लाइंबिंग, ट्रैकिंग, समुद्र में तैरने से लेकर दौड़ना आदि शामिल रहा। इसके लिए ताशी-नुंग्शी ने दो महीने तक गोवा के समुद्र और जंगलों में कड़ी ट्रेनिंग ली थी।
ये दोनो जुड़वा बहनें नुंग्शी और ताशी, अबतक दुनिया के सात पर्वत शिखर फतह कर चुकी हैं। इतना ही नहीं, ये साउथ पोल और नॉर्थ पोल पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं। ऐसे-ऐसे बेमिसाल कारनामों वाली वे दुनिया की पहली जुड़वां बहनें हैं, जिनके नाम गिनीज बुक में भी दर्ज हो चुके हैं। इन दोनो बहनों से सबसे पहले 2013 में माउंट एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचने का इतिहास रचा। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली ये दुनिया की पहली जुड़वा बहनें मानी जाती हैं। दुनिया के 7 महाद्वीपों की प्रमुख चोटियों पर चढ़ाई का गौरव हासिल करने वाली भी ये दुनिया की पहली जुड़वा बहनें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद ये जुड़वा बहनें 'मैन वर्सेज वाइल्ड' के होस्ट बेयर ग्रिल्स के साथ खतरों का सामना कर चुकी हैं।
अपने रोमांचक सफर पर नुंग्शी और ताशी बताती हैं कि उन्होंने 12वीं में स्कूल में टॉप किया था। स्कूल की पढ़ाई के बाद पापा उनके लिए अच्छा कॉलेज ढूंढ रहे थे। सेना में कर्नल रहे ताशी-नुंग्शी के पिता वीरेंद्र सिंह मलिक ने इसी दौरान एक दिन बेटियों से पूछा- तुम लोगों की विशेष रुचि किस काम में रहती है। दोनो ने पर्वतारोहण के लिए कहा तो कर्नल मलिक तैयार हो गए और कहा- तुम लोग पर्वतारोहण का एक बेसिक कोर्स कर लो, हो सकता है कि इस दौरान तुम्हें पता चले कि आगे क्या करना है। महज 17 साल की उम्र में वहीं से शुरू हुआ दोनों बहनों के पर्वतारोहण का सफर। नुंग्शी बताती हैं कि पापा के हां कहते ही हम दोनों ने फटाफट अपना बैग पैक किया और कोर्स की तैयारी में जुट गईं। शुरू में हमें काफी डर लग रहा था। पता नहीं पहाड़ों की चढ़ाई में हम सफल होंगे या नहीं।
ताशी-नुंग्शी बताती हैं कि उनके पापा को अक्सर सोसायटी के लोग कहते थे कि तुम्हारा कोई बेटा नहीं है। तुम्हें बेटा पैदा करना चाहिए, उससे काफी सहारा मिलेगा। बार-बार ऐसा सुनने के बाद दोनो बहनों को लगा कि ये गलत है। इसी के बाद दोनों बहनों ने तय किया कि कुछ ऐसा किया जाए जो सारी दुनिया से अलग हो। वे मां-बाप को दिखाएं कि लड़कियां होना भी बहुत जरूरी है।
सात महाद्वीपों के शिखरों पर चढ़ने का उनका पूरा मिशन भी इसी महत्वाकांक्षा से जुड़ा था। आज तो उनकी अपनी एक संस्था भी है, जिसका मकसद घर के बाहर लड़कियों की खुली सहभागिता को प्रोत्साहित करना है। वे कहती हैं कि लक्ष्य तय हो तो मंजिल खुद-ब-खुद करीब आ ही जाती है।
दुनिया के सर्वोच्च पर्वतों के शिखर को फतेह करने का ऐसा ही लक्ष्य अपने सामने रखा जुड़वा बहनों नुंग्शी और ताशी मलिक ने। जोश और जज्बे से लबरेज ये दोनों बहनें तब तक नहीं रुकीं जब तक उन्हें उनकी मंजिल मिल नहीं गई। आज इनके हौसले को पूरी दुनिया सलाम कर रही है। दुनिया की सात सबसे जटिलतम चोटियों पर तिरंगा फहरा चुकीं इन दोनों बहनों का नाम गिनीज बुक में भी दर्ज है। दोनों पर्वतारोही बहनें दुनिया की मुश्किल और खतरनाक एडवेंचर रेस ईको चैलेंज में भी हिस्सा ले चुकी हैं। इसी साल 9 से 21 सितंबर के बीच फिजी में आयोजित ईको चैलेंज में दोनों ने शिरकत की है।
इस एडवेंचर रेस में 30 देशों की 67 टीमें ने हिस्सा लिया था। 675 किलोमीटर की इस रेस की मेजबानी डिस्कवरी चैनल पर प्रसारित होने वाले शो 'मैन वर्सेज वाइल्ड' के होस्ट बेयर ग्रिल्स ने किया था। इस रेस के लिए खुद बेयर ग्रिल्स ने दोनों बहनों को आमंत्रित किया था। वे जैसे-जैसे आगे बढ़ती गईं, लोगों का नजरिया बदलता गया।