देश का पहला स्मार्ट विलेज, जहां पब्लिक लाइब्रेरी से लेकर मेडिटेशन सेंटर सबकुछ है उपलब्ध
बीहड़ के इस गाँव ने कर दिखाया कमाल, कुछ इस तरह बन गया देश का पहला स्मार्ट विलेज
"गाँव को इस स्थिति तक पहुँचाने में ग्रामीणों, गाँव के सरपंच, अन्य जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन व कई एनजीओ का भी बड़ा हाथ रहा है। गाँव को बेहतर बनाने के उद्देश्य से जब पहला कैम्पेन शुरू किया गया तब उसका उद्देश्य गाँव को खुले में शौच से मुक्त बनाना था।"
राजस्थान के ढ़ोलपुर जिले के धनोरा गाँव की चर्चा आज पूरा देश कर रहा है और करे भी क्यों ना, इस गाँव ने बीते कुछ सालों में काम ही कुछ ऐसा किया है। धनोरा गाँव को देश के सबसे पहले ‘स्मार्ट गाँव’ होने का तमगा हासिल है।
धनोरा के लिए इस उपलब्धि को हासिल करने में गाँव वालों का सबसे अधिक योगदान रहा है, हालांकि किसी के लिए भी गाँव को इस मुकाम तक पहुंचाना कतई आसान नहीं था। ये गाँव वालों के अथक प्रयास और परिश्रम का ही नतीजा है कि आज इस गाँव देश भर में एक मॉडल की तरह देखा जाता है।
बदलने लगी गाँव की सूरत
यह गाँव दरअसल चंबल क्षेत्र में स्थित है, जो अतीत में दस्यु समेत तमाम अन्य वजहों से भी चर्चा में रहा है। राजस्थान के इस छोटे से गाँव की जनसंख्या करीब 2 हज़ार के आस-पास है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2014 के पहले गाँव की दशा बेहद दयनीय थी। गाँव वालों के लिए तब शौचालय, जल और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं थीं।
इतना ही नहीं, उस समय गाँव बिजली कटौती, बेरोजगारी और गरीबी से भी बुरी तरह जूझ रहा था। हालांकि अब इस गाँव में जाने पर कोई भी आश्चर्यचकित रह जाएगा। गाँव की वो सड़कें जो पहले गंदगी से बजबजाती रहती थीं आज वे ना सिर्फ साफ हैं, बल्कि उनके किनारे पर हरे-भरे पेड़ों शीतल छाँव भी मौजूद है।
उपलब्ध है पब्लिक लाइब्रेरी
गाँव की हर गली आज सोलर ऊर्जा से जगमगाती हुई नज़र आती है, जबकि गाँव के हर व्यक्ति के पास आज पक्का मकान भी है। और तो और, गाँव में आज स्किल डेवलपमेंट सेंटर और मेडिटेशन सेंटर के साथ ही एक पब्लिक लाइब्रेरी की भी स्थापना की जा चुकी है।
गाँव को इस स्थिति तक पहुँचाने में ग्रामीणों, गाँव के सरपंच, अन्य जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन व कई एनजीओ का भी बड़ा हाथ रहा है। गाँव को बेहतर बनाने के उद्देश्य से जब पहला कैम्पेन शुरू किया गया तब उसका उद्देश्य गाँव को खुले में शौच से मुक्त बनाना था।
प्रशासन के साथ ही अन्य लोगों के लिए भी शुरुआत में गाँव वालों को इस मिशन के तैयार करना कतई आसान काम नहीं था। खासतौर पर गाँव के बुजुर्गों को जागरूक करने के लिए तब गाँव के युवाओं ने कमान अपने हाथों में लेकर घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाने का काम किया था। गाँव में तब इस अभियान के तहत तब 822 शौचालयों का निर्माण करवाया गया था।
पीएम मोदी के हाथों मिला सम्मान
ड्रेनेज सिस्टम को ध्यान में रखते हुए सीवेज लाइन के साथ ही इस गाँव में सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की भी स्थापना की गई है। आज धनोरा देश का पहला ऐसा गाँव है जहां पर सीवेज लाइन और सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट उपलब्ध है। गाँव के स्कूल में छात्रों के लिए मॉडर्न टॉयलेट, जबकि सार्वजनिक स्थानों में भी शौचालयों की व्यवस्था की गई है।
गौरतलब है कि धनोरा गाँव से अब तक एक भी पुलिस केस रजिस्टर नहीं किया गया है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने भी धनोरा गाँव को ‘अपराध मुक्त गाँव’ घोषित किया हुआ है। गाँव में शराब और अन्य किसी भी तरह के मादक पदार्थ का सेवन वर्जित है और इसी के साथ गाँव को ‘शराब मुक्त गाँव’ भी घोषित किया जा चुका है। मालूम हो कि साल 2018 में भारत सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने भी गाँव को ‘आदर्श ग्राम सम्मान’ से सम्मानित किया था।
Edited by Ranjana Tripathi