दिल्ली के इस हेल्थकेयर स्टार्टअप ने डॉक्टरों के लिए बनाया 'सिरी' जैसा वॉइस असिस्टेन्ट
आईएसबी ग्रैजुएट गौरव गुप्ता और उनके दोस्तों कुणाल किशोर धवन और शौरजो बनर्जी ने मिलकर 2016 में नाविया की शुरुआत की थी। कुणाल और गौरव की मुलाकात एक कन्सल्टिंग प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान हुई थी और बाद में चलकर दोनों ने तय किया कि वे साथ मिलकर काम करेंगे और तकनीक के सहयोग हेल्थकेयर ईकोसिस्टम की समस्याओं को दूर करेंगे।
आपने फ़ोन और होम असिस्टेन्ट्स के बारे में तो सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे वॉइस असिस्टेन्ट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से डॉक्टर्स एक मिनट से भी कम समय में मरीज़ों के लिए प्रेसक्रिप्शन तैयार कर सकते हैं। मरीज़ों के लिए प्रेसक्रिप्शन की हार्ड और सॉफ़्ट, दोनों ही प्रकार की कॉपियां उपलब्ध होंगी और इसकी बदौलत डॉक्टर और मरीज़ दोनों ही अपने रेकॉर्ड्स को आसानी के साथ सुरक्षित रख पाएंगे।
आईएसबी ग्रैजुएट गौरव गुप्ता और उनके दोस्तों कुणाल किशोर धवन और शौरजो बनर्जी ने मिलकर 2016 में नाविया की शुरुआत की थी। कुणाल और गौरव की मुलाकात एक कन्सल्टिंग प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान हुई थी और बाद में चलकर दोनों ने तय किया कि वे साथ मिलकर काम करेंगे और तकनीक के सहयोग हेल्थकेयर ईकोसिस्टम की समस्याओं को दूर करेंगे।
कुणाल बताते हैं, "हम काम के सिलसिले में डॉक्टरों से मिलने जाते थे और इस दौरान हमारे सामने जो दिक्कतें पेश आती थीं, उनके चलते ही हमारे ज़हन में नाविया जैसे स्टार्टअप की शुरुआत करने का ख़्याल आया।"
कुणाल ने यूएस की कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी से बायोटेक्नॉलजी और मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रैजुएशन किया है और वह आठ सालों तक हेल्थकेयर इंडस्ट्री में काम भी कर चुके हैं। वहीं, गौरव के पास केमिकल और सोशल इम्पैक्ट बिज़नेसों का अनुभव है। स्ट्रैटजी तैयार करने से लेकर बिज़नेस डिवेलपमेंट और मार्केटिंग में उन्हें महारत हासिल है।
तीसरे पार्टनर शौरजो ने यूएस की विस्कॉनसिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया है। वह बतौर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर फ़्रीस्केल सेमिकन्टडक्टर्स में काम कर चुके हैं। नेटवर्क आर्किटेक्चर में उनके नाम पर एक पेटेंट भी है और हाल में वह सबैटिकल लीव लेकर नाविया के साथ जुड़े हुए हैं। शौरजो अभी आगे और पढ़ना चाहते हैं। को-फ़ाउंडर्स के अतिरिक्त कंपनी के पास 16 लोगों की मुख्य टीम है।
नाविया एक बीटूबी एसएएएस स्टार्टअप है। डॉक्टर और अस्पताल इसके प्रमुख ग्राहक हैं। यूज़र्स को कंपनी की वेबसाइट पर साइन अप करना होता है। पहले महीने का सब्सक्रिप्शन मुफ़्त है। इसके बाद, यूज़र्स अपना ऐनुअल लाइसेंस ख़रीद सकते हैं।
नाविया का फ़्लैगशिप प्रोडक्ट नावी एक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित वॉइस असिस्टेन्ट है। नावी की मदद से शेयर और प्रिंट किए जा सकने वाले डिजिटल प्रेसक्रिप्शन्स तैयार किए जाते हैं और वह भी 30 सेकंड से कम समय में। इसकी मदद से डॉक्टर और मरीज अपने रेकॉर्ड्स सुरक्षित रख सकते हैं।
वहीं नाविया का दूसरा प्रोडक्ट नाविया क्यूएम एक ओपीडी एफ़िसिएंसी टूल है, जो ओपीडी की कतारों से मरीज़ों का समय बचाता है और इसकी मदद से फ़्रंट ऑफ़िस स्टाफ़ की मेहनत भी कम होती है। इसकी मदद से न सिर्फ़ मरीज़ों को सहूलियत मिलती है बल्कि डॉक्टर और हॉस्पिटल भी ज़्यादा से ज़्यादा मरीज़ों को देख पाते हैं।
नाविया का एक और प्रोडक्ट नाविया स्मार्ट, क्लिनिकल और फ़ाइनैंशल परिणामों को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह एक मॉड्यूलर और नेटवर्क-आधारित सूट है। नाविया स्मार्ट को पहले से स्थापित आईटी आर्किटेक्चर में शामिल किया जा सकता है। यह एआई, मशीन लर्निंग और प्रेडिक्टिव ऐनलिटिक्स तकनीकों के ज़रिए काम करता है। नाविया की टीम ने दो सालों की लंबी रिसर्च के बाद यूज़र्स की ज़रूरतों और दिक्कतों को समझा और फिर इन प्रोडक्ट्स को डिज़ाइन किया। कुणाल बताते हैं कि डॉक्टरों, मरीजों और हॉस्पिटल्स के अंदर समय बिताने के बाद उनकी टीम को समझ में आया कि सिस्टम में कहां-कहां दिक्कतें पेश आ रही हैं और तकनीक की मदद से किस तरह उनसे पार पाया जा सकता है। हाल में नाविया 75 अस्पतालों और क्लिनिक्स के साथ काम कर रहा है और 300 से ज़्यादा डॉक्टर्स नाविया के प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े हुए हैं और उनके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुणाल ने जानकारी दी कि हाल में उनका प्लेटफ़ॉर्म लगभग 1 लाख मरीज़ों के ट्रीटमेंट के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
दो राउंड्स की फ़ंडिंग के बाद नाविया अभी तक 1.1 करोड़ रुपए की फ़डिंग जुटा चुका है। वेनोरी वेंचर्स कंपनी के प्रमुख निवेशक हैं। इस वेंचर के प्रमुख आशीष गुप्ता, इवैल्यूसर्व कंपनी के सीओओ रह चुके हैं। नाविया को फ़ाइनैंस प्रोफ़ेशनल सौरभा अग्रवाल; डॉ. राहुल वर्मा, सीनियर एग्ज़िक्यूटिव; और मुख्य रूप से हेल्थकेयर इंडस्ट्री में इनवेस्टमेंट करने वाले बैंकिंग प्रोफ़ेशल मयंक ममतानी की ओर से भी फ़ंडिंग मिल चुकी है। कुणाल ने जानकारी दी कि कंपनी की सालाना रेन्यूअल रेट लगभग 100 प्रतिशत है।
आंकड़ों की मानें तो, 2022 तक हेल्थकेयर मार्केट 372 बिलियन डॉलर्स तक पहुंच सकता है। इतने बड़े मार्केट में नाविया के सामने माय हेल्थकेयर, कॉनश्योर मेडिकल, डॉकटॉक, लिब्रेट और एमफ़ाइन जैसे कई प्रतिद्वंद्वी हैं, लेकिन कुणाल का मानना है कि जो बात उनके स्टार्टअप को सबसे अलग बनाती है, वह है उनके प्रोडक्ट्स द्वारा मुहैया कराई जा रही सहूलियत- उदाहरण के तौर पर डॉक्टर्स एक मिनट के अंदर वॉइस असिस्टेन्ट का इस्तेमाल करके प्रेसक्रिप्शन तैयार कर सकते हैं।
नाविया देश के बाहर भी ऑपरेशन्स शुरू करने की योजनाएं बना रहा है। इस संबंध में कुणाल कहते हैं कि उनकी टीम लगातार भारत के अलावा अन्य देशों के हिसाब से भी अपने प्रोडक्ट्स में वैल्यू अडिशन करने की कोशिश कर रही है और हाल में कंपनी जल्द से जल्द मध्य पूर्व के और दक्षिण पूर्व के बाज़ारों तक अपने प्रोडक्ट्स को पहुंचाने की जुगत में लगी हुई है।