डेटा सेंटर की दुनिया में देश की एक और धनाढ्य शख्सियत डॉ निरंजन हीरानंदानी
"देश के सौ शीर्ष अमीरों और टॉप-10 रियल एस्टेट टायकून में से एक अरबपति डॉ निरंजन हीरानंदानी भी अब डेटा सेंटर के बिजनेस में कदम रखने जा रहे हैं। ग्रुप के डेटा सेंटर पार्क की पहली इमारत 1,000 करोड़ की लागत से इसी साल दिसंबर में लॉन्च होने जा रही है, जो ग्रुप के दावे के मुताबिक देश का सबसे बड़ा डेटा सेंटर होगा।"
डेटा सेंटर स्टार्टअप में देश की एक और धनाढ्य शख्सियत, टॉप प्रॉपर्टी डेवलपर डॉ निरंजन हीरानंदानी भी एक हजार करोड़ की लागत से 18 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में कदम रखने जा रहे हैं। मुंबई के हीरानंदानी समूह के संस्थापक चेयरमैन और सीएमडी डॉ हीरानंदानी नेशनल रियल इस्टेट डिवेलपमेंट काउंसिल (नरेडको) के नेशनल प्रेसीडेंट और भारतीय मर्चेंट चैंबर्स (आईएमसी) की रियल इस्टेट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी के भी अध्यक्ष हैं। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में एक यह भी है कि वह मुंबई में 60 लाख से अधिक झोपड़पट्टी वालों के स्लम एरिया के पुनर्वास के लिए राज्य नीति का मसौदा तैयार कर चुके हैं। वह नाथद्वारा मंदिर के ट्रस्टी एवं कम आय वालों के लिए गृह निर्माण में हर साल तीन बिलियन डॉलर के मददगार हाउसिंग एंड शहरी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हुडको) के बोर्ड में भी हैं।
डॉ निरंजन हीरानंदानी एक दशक से अधिक समय तक आवास नीति पर भारत सरकार के सलाहकार और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के हाउसिंग कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। वह पवई और ठाणे में हीरानंदानी फाउंडेशन सहित 17 स्कूलों के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स में शामिल हैं। वह प्रियदर्शनी अकादमी के भी चेयरपर्सन हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों में मदद करती है।
देश के सौ सबसे अमीर लोगों एवं टॉप-10 भारतीय रियल एस्टेट टायकून में से एक अरबपति डॉ निरंजन हीरानंदानी का जन्म 8 मार्च 1950 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता पद्म भूषण लखुमल हीरानंद हीरानंदानी एक ईएनटी सर्जन थे। उनके दो भाई हैं बड़े नवीन हीरानंदानी और छोटे भाई सुरेंद्र हीरानंदानी। डॉ हीरानंदानी ने कैंपियन स्कूल, मुंबई से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वहीं के सिडेनहम कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनकी शादी कमल हीरानंदानी से हुई थी, जिनसे दो संतानें बेटी प्रिया और बेटा दर्शन हीरानंदानी हैं। प्रिया की शादी साइरस वांडरेवाला से हुई, जो लंदन के एक व्यवसायी हैं। दर्शन ने दिल्ली के व्यवसायी प्रदीप झालानी और उनकी पत्नी पिंक झालानी की बेटी नेहा झालानी से विवाह किया है।
डॉ हीरानंदानी स्कूली अध्ययन के बाद लेखा शिक्षक की नौकरी भी कर चुके हैं। सन् 1981 में उन्होंने कांदिवली, मुंबई में अपना पहला व्यवसाय एक टेक्सटाइल वेविंग यूनिट के रूप में शुरू किया। उसके बाद वह अपने छोटे भाई सुरेंद्र हीरानंदानी के साथ 1985 में पवई में ही 250 एकड़ जमीन खरीद कर हीरानंदानी गॉर्डन के नाम से रियल एस्टेट कारोबार में कूद पड़े। हीरानंदानी कंस्ट्रक्शंस दो टाउनशिप दोबारा बनाकर लॉन्च कर अदालती नीलामी के जरिए लगभग एक हजार करोड़ रुपए हासिल करने के लिए भी सुर्खियों में रहा है। हीरानंदानी एस्टेट ठाणे में बना एक टाउनशिप है, जो महाराष्ट्र में मुंबई महानगर क्षेत्र का एक हिस्सा है। इसी ग्रुप ने 2006 में पवई और ठाणे में हीरानंदानी अस्पताल की शुरुआत की थी। निजी स्वामित्व वाले पूरे हीरानंदानी समूह का नियंत्रण उनके परिवार के हाथ में है।
हीरानंदानी समूह की ताज़ा योजना पनवेल और चेन्नई में योटा ब्रांड के तहत डेटा सेंटर बनाने की है। ग्रुप के डेटा सेंटर पार्क की पहली इमारत 1,000 करोड़ रुपए की लागत से इसी साल दिसंबर में लॉन्च होने जा रही है, जो ग्रुप के दावे के मुताबिक देश का सबसे बड़ा डेटा सेंटर होगा।
ग्रुप के चेयरमैन डॉ निरंजन हीरानंदानी कहते हैं कि उनका समूह देश में सबसे बड़ा डेटा सेंटर स्थापित करना चाहता है। उनका समूह डेटा सेंटर क्षेत्र में उतरने वाली कंपनियों के लिए भी इमारतें बनाकर उसे पट्टे पर देगा। पनवेल में समूह के पांच डेटा सेंटर और तीस हजार रैक होंगे। समूह के पास पहले से ऐसे सेंटर बनाकर बेचने का अनुभव है। डेटा सेंटर की दूसरी इमारत दिसंबर 2020 में तैयार होगी। फिलहाल, चेन्नई डेटा सेंटर प्रोजेक्ट अभी डिजाइन हो रहा है। इन डेटा सेंटर्स के लिए समूह अपने आंतरिक संग्रह से वित्त पोषण की रणनीति बनाई है।
समूह अपने मानकों के मुताबिक साझेदारों को भी अपने साथ जोड़ेगा। डॉ हीरानंदानी ने वर्ष 2009 में एच-एनर्जी के साथ तेल एवं गैस के क्षेत्र में कदम रखा था। कंपनी अभी देश के पश्चिमी और पूर्वी तट पर एलएनर्जी-गैसीफिकेशन टर्मिनल, क्रॉस-कंट्री पाइपलाइन विकसित कर रही है। एच-एनर्जी पश्चिम बंगाल में पाइपलाइन की योजना बना रही है। हीरानंदानी ग्रुप महाराष्ट्र में जयगढ़ से दाभोल तक और मंगलोर से कर्नाटक तक पाइपलाइनें भी बिछाना चाहता है। पिछले साल समूह ने लॉजिस्टिक्स पाक्र्स बनाने की योजना का ऐलान किया था। समूह की ओर से तलेगांव, नासिक, पनवेल, चेन्नई के ओरागदम और कोलकाता के दुर्गापुर में इन परियोजनाओं के लिए जमीनें चिह्नित कर चुका है।
भारत सरकार के बजट, रीयल स्टेट नीतियों आदि पर भी डॉ हीरानंदानी के विचारों को शीर्ष अहमियत दी जाती है। हाल ही में सरकार के आम बजट में रियल एस्टेट को बड़ा बूस्टर मिलने पर उनका कहना था कि रेंटल हाउसिंग के लिए नया टीनेंसी कानून लाने का एलान हाउसिंग फार ऑल के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगा। इसके आने से रियल इस्टेट सेक्टर में क्रांति आ जाएगी। कुछ दिन पहले, जब राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) ने आवास वित्त कंपनियों को परामर्श जारी कर ऐसे कर्ज देने से परहेज करने को कहा, जिसमें कर्जदाताओं की ओर से लिए गए कर्ज का बिल्डरों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, तो इस पर डॉ हीरानंदानी का कहना था कि बाजार में पहले से ही नकदी की किल्लत है। इस कदम से परियोजनाओं का वित्तपोषण और प्रभावित होगा।
जहां तक धोखाधड़ी पर रोक की बात है तो निश्चित तौर पर यह स्वागत योग्य कदम है लेकिन इससे परियोजना के लिए पैसे जुटाना कठिन हो जाएगा। नकदी की किल्लत से ऐसे डेवलपर दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए हैं, जिनकी परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं या फिर उनमें देरी हो रही है। सरकार को ध्यान रखना होगा कि सफल आवासीय परियोजनाएं रोजगार बढ़ाने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने में भी मददगार होती हैं। सरकारी प्रोत्साहन की वजह से ही 18.92 लाख प्रत्यक्ष रोजगार और 42.57 लाख अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित हुई हैं। अर्थव्यवस्था के लिए आवास क्षेत्र हमेशा से अहम रहा है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र सरकार को भारी मात्रा में राजस्व देता है।
डॉ हीरानंदानी कहते हैं कि इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए नेशनल रीयल इस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को बढ़ावा देने के लिये कंस्ट्रक्शन स्किल डेवलपमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया (सीएसडीसीआई) के साथ करार किया है, जिसके तहत मुख्यत: संगठित निर्माण क्षेत्र में काम कर रहे अकुशल श्रमिकों को कौशल तथा प्रमाणन की सुविधा दी जाएगी। इसके पहले चरण में 25 हजार श्रमिकों के कौशल विकास में मदद की जाएगी। पहला चरण 80 प्रतिशत पूरा होते ही दूसरे चरण में 25 हजार अन्य श्रमिकों को कौशल प्रदान किया जाएगा।
सरकार की ओर से भी रीयल एस्टेट में जीएसटी की नई दरों को लागू किये जाने के मद्देनजर डेवलपरों के लिए लचीला रुख अपनाया गया है। रीयल एस्टेट के जो डेवपलर नई जीएसटी दरों को चुनते हैं उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट को आनुपातिक हिसाब से वापस लेना होगा। कुल मिलकार जीएसटी परिषद का निर्णय रीयल एस्टेट के हित में है। हमारी सरकार की विवेकपूर्ण नीतियों एवं प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) और 2022 तक सभी के लिए आवास सहित कई पहलों के माध्यम से आवास क्षेत्र आर्थिक विकास के एक इंजन में बदल रही है।