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स्कूल में टीचर की कमी को पूरा करने के लिए डीएम की अनोखी पहल में पत्नी ने दिया साथ

स्कूल में नहीं थे टीचर तो डीएम की पत्नी पढ़ाने लगीं बच्चों को...

स्कूल में टीचर की कमी को पूरा करने के लिए डीएम की अनोखी पहल में पत्नी ने दिया साथ

Sunday July 16, 2017 , 4 min Read

एक ओर रुद्रप्रयाग के स्कूलों का निरीक्षण कर उनकी स्थिति सुधारने के लिए रुद्रप्रयाग के डीएम अभिनव पहल कर रहे हैं, वहीं उनकी पत्नी ऊषा घिल्डियाल भी एक स्वयंसेवी शिक्षक के रूप में जुड़ गईं हैं इस मुहिम से...

रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल पत्नी ऊषा घिल्डियाल के साथ। फोटो साभार: सोशल मीडिया

रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल पत्नी ऊषा घिल्डियाल के साथ। फोटो साभार: सोशल मीडिया


2011 बैच के IAS अफसर मंगेश ने UPSC की परीक्षा में पूरे देश में चौथी रैंक हासिल की थी। मंगेश ने हमेशा ही अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। मई में जब उनका बागेश्वर जिले से ट्रांसफर हो रहा था, तो वहां के लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। 

सिविल सर्विसेज में जाना कईयों का सपना होता है। हर साल बहुत सारे युवा देश के लिए कुछ बेहतर करने के वास्ते ब्यूरोक्रेसी में आते हैं। उनमें से कुछ अफसर अपने काम से लोगों के दिलों पर छा जाते हैं। उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने कुछ ऐसा किया है जो बेहद प्रेरक और खास है। एक ओर रुद्रप्रयाग के स्कूलों का निरीक्षण कर उनकी स्थिति सुधारने के लिए रुद्रप्रयाग के डीएम अभिनव पहल कर रहे हैं, वहीं उनकी पत्नी ऊषा घिल्डियाल भी एक स्वयंसेवी शिक्षक के रूप में इस मुहिम में जुड़ गई हैं।

टीचर की कमी को पूरा करने की अनोखी पहल

दरअसल मंगेश कुछ दिनों पहले एक रूटीन चेक के लिए रुद्रप्रयाग के राजकीय गर्ल्स इंटर कॉलेज गए थे। वहां जाने पर उन्हें पता चला कि स्कूल में साइंस का कोई टीचर ही नहीं है। उन्होंने तुरंत इसका समाधान निकाला और अपनी पत्नी ऊषा घिल्डियाल से स्कूल में किसी शिक्षक की तैनाती होने तक पढ़ाने को कहा, पत्नी भी मान गईं और स्कूल की छात्राओं को उनकी साइंस की टीचर मिल गई। बिना किसी स्वार्थ और पैसे के निशुल्क रूप से उषा घिल्डियाल कक्षा 9 और 10वीं की छात्राओं को विज्ञान पढ़ा रही हैं। वह हर दिन दो से ढाई घंटे स्कूल में बच्चों की पढ़ाई को दे रही हैं। सुबह साढ़े 8 बजे स्कूल पहुंच रही हैं, जबकि साढ़े ग्यारह बजे तक स्कूल में ही रहती हैं। 

मंगेश घिल्डियाल, फोटो साभार: सोशल मीडिया

मंगेश घिल्डियाल, फोटो साभार: सोशल मीडिया


मंगेश की पत्नी ऊषा घिल्डियाल ने खुद पंतनगर यूनिवर्सिटी से प्लांट पैथलॉजी में पीएचडी किया है। इस बारे में मंगेश से बात करने पर उन्होंने बताया, 'मैं रूटीन चेक पर जीजीआईसी गया हुआ था, वहां जाने पर पता चला कि छात्राओं को पढ़ाने के लिए कॉलेज में साइंस के टीचर नहीं हैं। मैंने पत्नी से बात की और चूंकि इन दिनों वह घर पर ही हैं, तो वह भी तैयार हो गईं। कॉलेज के प्रिंसिपल से जब इस बारे में बात की, तो उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं थी और उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया। शासन स्तर पर टीचर की भर्ती की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। तब तक मेरी पत्नी अवैतनिक रूप से वहां अपनी सेवाएं दे देंगी।'

प्रेरणास्रोत हैं ऊषा

स्कूली जीवन में भी वे जूनियर सहपाठियों और जरूरतमंद बच्चों को गणित, विज्ञान, अंग्रेजी आदि विषयों में समय देकर पारंगत बनाती रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके इस छोटे से प्रयास से बेटियों को लाभ मिल रहा है, इसमें उन्हीं भी खुशी मिलती है। बकौल उषा, मैं चाहती हूं बेटियां शिक्षा, कला, विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ें और अपने क्षेत्र और जिले का नाम रोशन करें। विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. ममता नौटियाल ने कहा कि उषा घिल्डियाल नई मिसाल पेश कर रही हैं। सौम्य व्यवहार के साथ-साथ उनके पढ़ाने का तरीका उनको सबका चहेता बना रहा है। अभिभावक-शिक्षक संघ के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सेमवाल का कहना है इससे बड़े सौभाग्य की बात क्या हो सकती है, डीएम की पत्नी निस्वार्थ भाव से हमारी बेटियों को पढ़ा रही हैं। इससे बेटियों को भी नई सीख मिलेगी, साथ ही अन्य लोग भी प्रेरित होंगे।

पत्नी उषा घिल्डियाल, फोटो साभार: सोशल मीडिया

पत्नी उषा घिल्डियाल, फोटो साभार: सोशल मीडिया


डीएम मंगेश से बाकी अफसरों को लेनी चाहिए सीख

2011 बैच के IAS अफसर मंगेश ने UPSC की परीक्षा में पूरे देश में चौथी रैंक हासिल की थी। मंगेश ने हमेशा ही अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। मई में जब उनका बागेश्वर जिले से ट्रांसफर हो रहा था, तो वहां के लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए। जगह-जगह भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे। 

रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने जिले में कार्यभार संभालते ही शिक्षा की बेहतरी के प्रयास शुरू कर दिए थे। वह समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं। बच्चों की स्थिति जानने के लिए उनसे सवाल जबाव भी कर रहे हैं। इसके अलावा वह बच्चों को पढ़ा भी रहे हैं। पहाड़ से पलायन रुके और यहां के छात्र-छात्राओं को अच्छी शिक्षा मिले इसके लिए वह पूरा प्रयास कर रहे हैं। डीएम और उनकी पत्नी की इस पहल की रुद्रप्रयाग सहित अन्य स्थानों पर भी खूब सराहना हो रही है। 

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