19 बार फेल हुए लेकिन नहीं हारी हिम्मत, फिर बने RAS ऑफिसर
इन दिनों रिजल्ट का मौसम है. अच्छे रिजल्ट की परिभाषा हम सबको पता है — वो रिजल्ट्स जिनमें मार्क्स अच्छे हों. लेकिन क्या यह परिभाषा सही है? मार्कशीट पर लाये गए नम्बर्स योग्यता या सफलता की गारंटी नहीं होते, मतलब जो अच्छे मार्क्स ना भी ला पाएं वो भी मेहनत करके सफल हो सकते हैं. इस बात को चरितार्थ करने वाले आज एक ऐसे ही शख्स की बात करेंगे — दलपत सिंह राठौड़ की. दलपत सिंह 12वीं से लेकर ग्रेजुएशन से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार असफल हुए लेकिन आज वो एक बड़े पद पर अहम् ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं. क्योंकि मार्कशीट किसी की भी योग्यता का पैमाना नहीं हो सकता, इनका भी नहीं था.
दलपत सिंह अलग-अलग एग्जाम में एक-दो नहीं बल्कि कई बार फेल हुए थे. लेकिन आज वे मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में वित्त नियंत्रक अधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
शुरुआत करते हैं 10वीं से जिसे उन्होंने एवरेज नंबर से पास किया. 12वीं में असफलता की हैट्रिक बनाई - साल 1993 से 1995 तक लगातार फेल हुए, फिर किसी तरह 12वीं पास की.
कॉलेज में आने पर भी यही हुआ. 1996 में बीएससी पास नहीं की तो बी.ए. में दाखिला लिया और वहां भी कई बार फेल होने के बाद बी.ए. थर्ड डिवीज़न बाई ग्रेस पास किया.
बी.ए. के बाद पीईटी और पीएमटी की परीक्षा क्लियर नहीं हो सका. उसके बाद अनेक प्रतियोगी परिक्षाएं जैसे BSTC, PET, कृषि विभाग, STE में भी निराशा ही हाथ लगी. यह किसी की भी हिम्मत तोड़ने के लिए काफी है, लेकिन इतनी असफलता देखने के बाद भी दलपत सिंह ने आईएएस बनने की ठानी. जिसकी उन्होंने जमकर तैयारी की. हालांकि, सिविल सेवा परीक्षा 2008 में मुख्य परीक्षा पास नहीं कर पाए. लेकिन साल 2007 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (Rajsthan administrative services) परीक्षा 448वीं रैंक पाकर को-ऑपरेटिव निरीक्षक बने. और फिर 2008 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा में और बेहतर रैंक - 55वीं - के साथ सफलता हासिल कर आज सरकार की सेवा कर रहे हैं.