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Friendship Day Special: दोस्त, जो बने को-फाउंडर और खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

अटूट विश्वास, आपसी समझ और मिलेजुले दृष्टिकोण के माध्यम से, इन दोस्तों ने ऐसे वेंचर शुरू किए हैं जो न केवल फले-फूले हैं बल्कि कॉर्पोरेट जगत में सफलता की नई इबारत लिखी है.

Friendship Day Special: दोस्त, जो बने को-फाउंडर और खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

Saturday August 05, 2023 , 15 min Read

अपने दोस्त के साथ स्टार्टअप शुरू करना कोई असामान्य बात नहीं है. Google के सर्गेई ब्रिन और लैरी पेज से लेकर Zomato के दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा तक - दोस्ती की अनगिनत दिल छू लेने वाली कहानियों के बीच, सबसे अच्छे दोस्तों से बिजनेस पार्टनर बनने की कुछ असाधारण कहानियाँ हैं, जिन्होंने दिखाया है कि 'ये दोस्ती' का बंधन व्यक्तिगत संबंधों से परे है. इन उद्यमशील जोड़ियों ने दिखाया है कि वास्तविक सौहार्द्र बिजनेस की दुनिया में उल्लेखनीय सफलता के लिए एक्सेलेरेटर कैसे हो सकता है.

अटूट विश्वास, आपसी समझ और मिलेजुले दृष्टिकोण के माध्यम से, इन दोस्तों ने ऐसे वेंचर शुरू किए हैं जो न केवल फले-फूले हैं बल्कि कॉर्पोरेट जगत में सफलता की नई इबारत लिखी है.

आइए हम इन दोस्तों की जोड़ियों की विस्मयकारी यात्राओं के बारे में जानें और उस जादू को देखें जो दोस्ती आंत्रप्रेन्योरशिप की दुनिया में ला सकती है.

विमल सागर तिवारी, आशीष सिंघल और गोविंद सोनी — CoinSwitch

आशीष सिंघल उत्तर प्रदेश के मेरठ से आते हैं. वे अपने स्कूल के दिनों से लेकर इंजीनियरिंग कॉलेज और अब तक, खुद को भाग्यशाली मानते हैं ये कहते हुए कि "मैं ऐसे लोगों से घिरा हुआ हूँ जिन पर मैं भरोसा कर सकता हूँ. वास्तव में, मेरे को-फाउंडर - विमल तिवारी और गोविंद सोनी, मेरे कॉलेज के दिनों से ही मेरे सबसे करीबी दोस्त रहे हैं. मुझे लगता है कि हमारी दोस्ती नई तकनीक की प्रगति के प्रति साझा जुनून और आकर्षण तथा कुछ नया करने के उत्साह से शुरू हुई और बढ़ी."

YourStory से बात करते हुए वे आगे कहते हैं, "साथ में, हमने भारत में Sequoia (अब Peak IV), Google, Amazon और अन्य द्वारा आयोजित कुछ प्रतिष्ठित हैकथॉन में भाग लिया और जीत हासिल की. इन अवसरों ने हमें एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझने और अपनी दोस्ती बढ़ाने का मौका दिया. प्रतियोगिताओं के दौरान हमें एहसास हुआ कि हम वास्तव में एक अच्छी टीम हैं और एक-दूसरे की स्किल्स के पूरक हैं."

CoinSwitch के को-फाउंडर (L-R) - विमल सागर तिवारी (COO), आशीष सिंघल (CEO) और गोविंद सोनी (CTO)

CoinSwitch के को-फाउंडर (L-R) - विमल सागर तिवारी (COO), आशीष सिंघल (CEO) और गोविंद सोनी (CTO)

2017 में ऐसे ही एक इवेंट के दौरान, तीनों ने एक महत्वपूर्ण उद्योग-व्यापी चुनौती को पहचाना - एक ऐसे मंच की अनुपस्थिति जो कई एक्सचेंजों में क्रिप्टो की कीमतों की तुलना कर सके और उपभोक्ताओं को सबसे अधिक लागत प्रभावी ट्रेडिंग प्रदान कर सके. कुछ गहन योजना और शोध के बाद, इस विचार ने तीनों को CoinSwitch शुरू करने के लिए प्रेरित किया.

पिछले 6 वर्षों में, कंपनी ने चुनौतियों से निपटते हुए अपार सफलता का अनुभव किया है. आशीष बताते हैं, "मेरा मानना है कि हमारी यात्रा इस धारणा को मजबूत कर सकती है कि सच्ची दोस्ती एक सफल साझेदारी का आधार बन सकती है, जो चुनौतियों को पार कर सकती है और बड़ी उपलब्धियों की ओर ले जा सकती है."

आज CoinSwitch भारत का सबसे बड़ा क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म है और वर्तमान में कंपनी की वैल्यूएशन 1.9 बिलियन डॉलर है.

सुमित श्योराण और सुधांशु राय — Fyllo

सुमित Edgeverve में कैंपस प्लेसमेंट से उसी टीम में शामिल हो गए जहां सुधांशु पहले से ही काम कर रहे थे. वहीं दोनों की पहली मुलाकात हुई और आगे चलकर वे दोस्त बन गए.

स्टार्टअप का आइडिया किसे और कैसे आया? YourStory से बात करते हुए, इसके जवाब में सुमित कहते हैं, "हमारे बीच काफी विचार-विमर्श के बाद स्टार्टअप के अंतिम विचार का मूल्यांकन किया गया. घर पर, जहाँ खेती की जाती है, बहुत सारी अनिश्चितताएँ होती हैं. एक साल उपज अच्छी आती है, अगले साल खराब. किसी के पास कोई डेटा नहीं है कि ऐसा क्यों हुआ. हम इन्हें हल करना चाहते थे. कई अन्य किसानों से बात करते समय और किसान कॉल सेंटर से 8 मिलियन से अधिक प्रश्नों का विश्लेषण करने के बाद, हमें यकीन था कि यह समस्या हल करने लायक है. इसलिए, हमने इसका अनुसरण किया."

Sumit Sheoran & Sudhanshu Rai - Fyllo

Fyllo के को-फाउंडर (L-R) - सुमित श्योराण और सुधांशु राय

दोस्त से को-फाउंडर और साथ में बिजनेस करने का अब तक का सफर कैसा रहा? इस पर सुमित और सुधांशु बताते हैं, "यह बेहद शानदार यात्रा रही. 2 लोगों की टीम से हम अब 60 हो गए हैं. 5 किसानों से हम 5000 तक पहुंच गए हैं. शुरुआत में बहुत सारी चुनौतियाँ थीं. हम लॉकडाउन अवधि में कार से देश भर में यात्रा करते थे. कोई होटल नहीं चलने के कारण खेतों में ही सोते थे. उस बिंदु से जहां किसानों को हमारी तकनीक अपनाने के लिए मनाना बहुत मुश्किल था, आज उस बिंदु तक जहां हजारों लोग इसका दैनिक उपयोग कर रहे हैं, यह सफर वाकई बेहद शानदार रहा है."

विचारों में मतभेद होने पर आप रास्ता कैसे खोजते हैं? इसके जवाब में सुमित कहते हैं, "हम दोनों की भूमिकाएं अलग हैं, विशेषज्ञता अलग है. मार्केटिंग, बिक्री, निवेश से संबंधित किसी भी चीज का ध्यान सुधांशु रखते हैं और प्रोडक्ट, टेक्नोलॉजी पर अंतिम निर्णय मेरा होता है. अंततः हमें लगता है कि यदि आपके लक्ष्य संगठनात्मक लक्ष्यों के साथ मेल खाते हैं, तो मतभेदों को आसानी से सुलझाया जा सकता है."

सुमित आगे कहते हैं, "आज Fyllo का बिजनेस बहुत अच्छा चल रहा है. हम हर महीने हजारों एकड़ जमीन और सैकड़ों किसानों को जोड़ रहे हैं. नई साझेदारियां बना रहे हैं, लगातार नए क्षेत्रों में जा रहे हैं. बात करें रेवेन्यू की, तो हमने इसे पिछले 6 महीनों में दोगुना कर दिया है और अंतिम दौर का मूल्यांकन 80 करोड़ था."

नितिन जैन और विशाल मंगल — FIGHTRIGHT Technologies

नितिन और विशाल स्कूल के दिनों से दोस्त हैं. नितिन YourStory को बताते हैं, "हम पहली बार 1986 में बिड़ला हाई स्कूल में मिले थे. हम क्लासमेट्स हुआ करते थे और 1986-1993 तक वहाँ रहने के दौरान हम अच्छे दोस्त बन गए. स्कूल के बाद कुछ वर्षों के लिए हमारा संपर्क टूट गया क्योंकि हमारे करियर अलग-अलग हो गए. लेकिन हम 2000 में फिर मिले और पाया कि हमारी दोस्ती वहीं से शुरू हुई जहां रुकी थी. स्कूल के साथियों से लेकर रियल एस्टेट बिजनेस पार्टनर और को-फाउंडर्स तक, हमारी दोस्ती और मजबूत हुई है."

Nitin Jain and Vishal Mangal – Co-founders, FightRight

FightRight के को-फाउंडर - नितिन जैन और विशाल मंगल

FightRight शुरू करने का आइडिया किसका था? इसके जवाब में वे कहते हैं, "स्टार्टअप का आइडिया हम दोनों का था. हमारे रियल एस्टेट के दिनों के दौरान, हमें भूमि मुकदमेबाजी के मामलों में कई लोगों के साथ होने वाले अन्याय का एहसास हुआ. जब महामारी के बीच लंबित मामलों का संकट आया, तो हमें कार्रवाई करने और मुकदमेबाजी के लिए पैसे उपलब्ध कराने के लिए मजबूर होना पड़ा. हमारी विविध विशेषज्ञता ने हमें एक आदर्श टीम बना दिया है."

दोस्त से को-फाउंडर बनने तक का सफर कैसा रहा? इस पर नितिन कहते हैं, "यह सहज रहा है क्योंकि हम एक-दूसरे पर पूरा भरोसा करते हैं और खुलकर संवाद करते हैं. हम एक-दूसरे की ताकतों को संतुलित करते हैं और कमजोरियों की भरपाई करते हैं. किसी भी मतभेद को सम्मानजनक चर्चा के माध्यम से हल किया जाता है. संक्षेप में, दोस्तों के रूप में हमारा सहज विश्वास और समझ FightRight के साथ बिजनेस पार्टनर के रूप में हमारी सफलता की कुंजी रही है. हमें उम्मीद है कि हम आने वाले वर्षों में भी भारत के कानूनी परिदृश्य में बदलाव जारी रखेंगे."

राज यादव और गौरव कुमार Gramik

साल 2021 में एग्रीटेक स्टार्टअप Gramik की शुरुआत करने वाले राज यादव और गौरव कुमार भी अच्छे दोस्त हैं. Gramik (इसे पहले AgriJunction के नाम से जाना जाता था) किसानों, महिलाओं और ग्रामीण युवाओं को क्वालिटी फार्म इनपुट्स, एक्सपर्ट नॉलेज, टेक्नीकल इनोवेशंस और बिजनेस स्किल्स के जरिए ग्रामीण समुदायों को मजबूत बनाकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल रहा है.

Raj Yadav and Gaurav Kumar - Co-founders - Gramik

Gramik के को-फाउंडर - राज यादव और गौरव कुमार

स्टार्टअप पूरी सप्लाई चेन को शामिल करके, इनपुट क्वालिटी सुनिश्चित करके और बेहतर उपज के लिए किसानों को सटीक शोध मुहैया करके भारत में खेती की तस्वीर बदल रहा है.

एग्रीटेक स्टार्टअप को भारत के पहले पीयर कॉमर्स स्टार्टअप की संज्ञा दी गई है. इसे आसान भाषा में समझे तो यह ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास करके एक अधिक सोशल रिस्पोंसिबल इकोसिस्टम तैयार कर रहा है. स्टार्टअप न केवल 1.50 लाख से अधिक किसानों की 300 फीसदी तक आय बढ़ाने में मददगार साबित हुआ है, बल्कि इसने 350 से अधिक लोगों को रोजगार देकर उनके लिए आजीविका भी बनाई है.

अनुभव दुबे और आनंद नायक — Chai Sutta Bar

जिस उम्र में बच्चे खेलने-कूदने और मौज मस्ती में अपना सारा टाइम बर्बाद कर देते हैं, उस उम्र में अनुभव दुबे और आनंद नायक ने चाय का बिजनेस शुरू किया और नाम रखा Chai Sutta Bar. चाय सुट्टा बार में ना तो सुट्टा है, ना ही ये कोई बार है. यह एक चाय कैफे है, जहां पर आपको कई तरह के फ्लेवर वाली चाय मिलती है, वो भी कुल्हड़ में.

अनुभव दुबे और आनंद नायक

Chai Sutta Bar के को-फाउंडर - आनंद नायक और अनुभव दुबे

मौजूदा समय में चाय सुट्टा बार के दोनों ही को-फाउंडर्स की उम्र करीब 30 साल है. इतनी सी उम्र में ही उन्होंने करीब करोड़ों के टर्नओवर वाला बिजनेस खड़ा कर दिया है. अगर सिर्फ कंपनी के अपने आउटलेट के टर्नओवर की बात करें तो यह करीब 30 करोड़ रुपये सालाना का है. वहीं दूसरी ओर अगर सारे स्टोर्स और आउटलेट के रेवेन्यू को एक साथ देखें तो उनका कुल टर्नओवर 100 करोड़ रुपये सालाना से भी अधिक है.

इस वक्त भारत में उनके करीब 450 स्टोर हैं. इसके अलावा दुबई में भी इनके दो स्टोर हैं और एक और खुलने वाला है. वहीं नेपाल में भी उनका एक स्टोर है. इसके अलावा अमेरिका, कनाडा, यूके जैसे देशों में भी चाय सुट्टा बार अपने स्टोर्स खोलने की प्लानिंग में है.

संदीप मुखर्जी और समर्थ खोल्कर — BLive

समर्थ खोल्कर और संदीप मुखर्जी की दोस्ती दो दशकों से है. दोनों की पहली मुलाकात 2000 में पुणे में एमबीए की तैयारी के दौरान हुई थी. आगे चलकर जब संदीप फ़िनलैंड में थे, तब उन्हें ईवी इकोसिस्टम में स्टार्टअप करने के बारे में सोचना शुरू किया. उन्होंने इसकी चर्चा समर्थ से की. दोनों ने वाहनों की आमद और प्रदूषण के बारे में बढ़ती चिंताओं को ध्यान में रखते हुए B:Live की शुरुआत की.

को-फाउंडर दावा करते हैं कि B:Live भारत का पहला मल्टी-ब्रांड EV प्लेटफ़ॉर्म है जो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर EV प्रोडक्ट्स और सर्विसेज मुहैया करता है.

Sandeep Mukherjee and Samarth Kholkar, Co-founders, BLive

B:Live के को-फाउंडर - संदीप मुखर्जी और समर्थ खोल्कर

YourStory से बात करते हुए को-फाउंडर बताते हैंं, "एक साथ काम करना, सफलता के लिए महत्वपूर्ण पहलू हैं - दो को-फाउंडर होना, विश्वास बनाना, आपसी निर्णय के आधार पर निर्णय लेना, एक-दूसरे को समझना, अखंडता बनाए रखना, सामान्य मूल्यों को साझा करना और आपसी सम्मान दिखाना. जब एक साझा दृष्टिकोण के तहत एकजुट हो जाते हैं, तो आप आधी लड़ाई पहले ही जीत चुके होते हैं. अगला कदम महानता हासिल करने के लिए इसे क्रियान्वित करना है."

B:Live की वृद्धि अभूतपूर्व रही है, पिछले साल कंपनी ने 20 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया और इस साल 4 गुना वृद्धि का लक्ष्य रखा है. उनका ईवी स्टोर प्लेटफॉर्म और नेटवर्क तेजी से बढ़ रहा है, जिसका अनुमानित कारोबार 80-100 करोड़ रुपये है. 2024 तक, B:Live ने 100 EV स्टोर स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसमें Revolt, Ola, Ather, और TVS जैसे मल्टीब्रांड विकल्पों के साथ-साथ लीजिंग सेवाओं सहित प्रोडक्ट्स की एक विविध श्रृंखला की पेशकश की जाएगी.

आलोक बाजपेयी और रजनीश कुमार — Ixigo

Final Quadrant नाम की एक कंपनी के लिए काम करने के बाद, जो 8-9 महीने तक ट्रैवल टेक्नोलॉजी का काम कर रही थी, आलोक ने 2006 में इस्तीफा दे दिया. आलोक के लिए, यह भारत में यात्रा में कुछ करने का एक रोमांचक समय था. उस समय, उनके दोस्त रजनीश ने उनके साथ मिलकर Ixigo के आइडिया पर काम करने के लिए फ्रांस में अपनी शानदार नौकरी छोड़ दी.

Rajnish Kumar, CTO and Aloke Bajpai, Co-Founder & CEO, ixigo

Ixigo के को-फाउंडर - आलोक बाजपेयी और रजनीश कुमार

आलोक बाजपेयी और रजनीश कुमार द्वारा 2007 में लॉन्च की गई, Ixigo एक टेक कंपनी है जो भारतीय यात्रियों को रेल, हवाई, बसों और होटलों में अपनी यात्राओं की योजना बनाने, बुक करने और मैनेज करने के लिए सशक्त बनाने पर केंद्रित है.

IIT कानपुर के 1997-01 के बैचमेट आलोक और रजनीश पहले मैड्रिड स्थित ट्रैवल कंपनी Amadeus में एक साथ काम करते थे. बाद में भारत वापस आकर, दोनों की नज़र मेटा-सर्च मॉडल के साथ एक इनोवेटिव प्रोडक्ट बनाने पर थी, इस विचारधारा के कारण कि यह अधिक उपभोक्ता-अनुकूल था. इरादा बाज़ार में पहले से मौजूद चीज़ों से अधिक कुशल कुछ बनाने का था.

सौरभ अरोड़ा और मयंक माहेश्वरी — University Living

जनवरी 2015 में, University Living की स्थापना भी दो दोस्तों - सौरभ अरोड़ा और मयंक माहेश्वरी ने की थी. उन्हें विदेश में हायर स्टडीज प्राप्त करने के दौरान एक आम चुनौती का सामना करना पड़ा - उपयुक्त आवास की कमी. वे अपने स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए विदेश गए और उचित आवास खोजने के लिए संघर्ष किया, जिसके कारण उन्हें महंगे होटलों में रहना पड़ा और खूब पैसा खर्च करना पड़ा. यह देखते हुए कि दूसरों को भी इसी तरह की बाधा का सामना करना पड़ता है, उन्होंने बाजार की खाई को पाटने और एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने का फैसला किया जो छात्रों के आवास के लिए परेशानी मुक्त बुकिंग सेवाएं और पारदर्शी मूल्य निर्धारण प्रदान करेगा.

Saurabh Arora and Mayank Maheshwari - Co-founder- University Living

University Living के को-फाउंडर - सौरभ अरोड़ा और मयंक माहेश्वरी

दो दशक से अधिक समय हो गया है जब से सौरभ और मयंक साथ काम कर रहे हैं. उनकी जोड़ी ने University Living को पिछले पांच वर्षों में 10 गुना वृद्धि देने का नेतृत्व किया है, यहां तक कि महामारी के दौरान भी. University Living दो से 250+ समर्पित व्यक्तियों की एक टीम बनी है, जो छात्रों के लिए प्रवेश के बाद एक सहज अनुभव सुनिश्चित करने के मिशन पर है, जिससे विदेश में शिक्षा दुनिया भर के छात्रों के लिए एक आनंददायक और यादगार यात्रा बन जाती है. यह जोड़ी साबित करती है कि सच्चा साथ उद्यमशीलता के क्षेत्र में शानदार सफलता दिला सकता है.

प्रथम बारोट और अनंत बेंगानी — Zell Education

2015 में, कॉलेज के दोस्त प्रथम बारोट और अनंत बेंगानी फाइनेंस और अकाउंटिंग के प्रति अपने जुनून को बरकरार रखते हुए Zell Education की स्थापना के लिए एक साथ आए. जैसे ही उन्होंने फाइनेंस और अकाउंटिंग सेक्टर में अपनी व्यक्तिगत यात्रा शुरू की, उन्होंने भारत में फाइनेंस और अकाउंटिंग कोर्स की उपलब्धता में एक महत्वपूर्ण अंतर देखा.

Pratham Barot and Anant Bengani - Co-founder - Zell Education

Zell Education के को-फाउंडर - प्रथम बारोट और अनंत बेंगानी

विषय के प्रति उनके साझा जुनून ने एक ऐसे विचार को जन्म दिया जिसने न केवल उनके जीवन को बदल दिया बल्कि शैक्षिक परिदृश्य में भी क्रांति ला दी. अपनी दूरदर्शिता और समर्पण के साथ, उन्होंने केवल दो छात्रों के साथ बूटस्ट्रैप्ड कंपनी शुरू की और पिछले कुछ वर्षों में यह तेजी से बढ़ी है और अब दुनिया भर में 1 लाख से अधिक छात्रों को सेवाएं मुहैया कर रही है. उनका सच्चा जुनून छात्रों और इच्छुक पेशेवरों को करियर और प्रगति की जटिलताओं से निपटने में सहायता करना है.

प्रथम और अनंत की दोस्ती, उनके अटूट समर्पण के साथ, फाइनेंस की दुनिया में एजुकेशनल अपस्किलिंग करते हुए अपनी अमिट छाप छोड़ रही है.

ब्यास देव रल्हन और रवीन्द्रनाथ कामथ — Next Education

2007 में दो दोस्तों - ब्यास देव रल्हन और रवीन्द्रनाथ कामथ द्वारा स्थापित Next Education तेजी से बढ़ती, एंड-टू-एंड SaaS-बेस्ड कंपनी है जो भारत के एजुकेशन सेक्टर में क्रांति ला रही है.

Beas Dev Ralhan and Raveendranath Kamath - Co-founder - Next Education

Next Education के को-फाउंडर - ब्यास देव रल्हन और रवीन्द्रनाथ कामथ

इनोवेटिव एडटेक समाधानों के माध्यम से, कंपनी 12,000,000 से अधिक छात्रों, 18,000 से अधिक स्कूलों, 66,000 से अधिक कक्षाओं और 240,000 से अधिक शिक्षकों के जीवन में बदलाव ला रही है. एजुकेशन सेक्टर में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध, कंपनी का मुख्य उद्देश्य शिक्षा तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना और अग्रणी एडटेक SaaS (Software-as-a-Service) प्रदाता बनना है.

मनन जोशी और वैशल दलाल — Excellent Publicity

मनन जोशी और वैशल दलाल की दोस्ती 2004 में शुरू हुई जब वे 11वीं कक्षा में क्लासमेट थे. अलग-अलग फैमिली बैकग्राउंड से आने और विपरीत व्यक्तित्व होने के बावजूद, वे सबसे अच्छे दोस्त बन गए. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने एक साथ एक बिजनेस वेंचर शुरू करने का फैसला किया और Excellent Publicity की स्थापना की.

Manan Joshi and Vaishal Dalal - Co-founders - Excellent Publicity

Excellent Publicity के को को-फाउंडर - मनन जोशी और वैशल दलाल

दोस्तों के साथ बिजनेस शुरू करने के बारे में उन्हें संदेह और चेतावनियों का सामना करना पड़ा, लेकिन एक-दूसरे पर उनका भरोसा कायम रहा. जब चुनौतियों और असफलताओं का सामना करना पड़ा, तो वे एक-दूसरे के साथ खड़े रहे और बाधाओं को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत की. जैसे-जैसे कंपनी बढ़ी, उनके विचार और सोच मिलती गई, और उनके आपसी विश्वास और अहंकार के टकराव की कमी ने उनकी साझेदारी को मजबूत किया.

उनकी दो दशक लंबी दोस्ती ने उन्हें एक साथ मिलकर एक सफल बिजनेस बनाने, समन्वय और साझा स्वाद बनाए रखने की अनुमति दी है, जिससे उनका जीवन पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से आपस में जुड़ गया है.

अतुल्य कौशिक, मनीष अग्रवाल और आशय मिश्रा — PrepInsta

अतुल्य कौशिक, मनीष अग्रवाल और आशय मिश्रा 2012 में VIT वेल्लोर में बैचमेट थे और यहीं पर उनकी दोस्ती हुई. वे बताते हैं, "PrepInsta शुरू करने का विचार हमारे मन में तब आया जब हमने इंजीनियरिंग छात्रों, विशेषकर टियर-2 और टियर-3 कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए अवसरों की असमानता और असमान वितरण देखा. शुरुआत में अतुल्य ने स्टार्टअप की संकल्पना की थी, और बाद में, हम दोनों को एहसास हुआ कि हम भी उनके दृष्टिकोण को साझा करते हैं. यह असमानता और असमान अवसर कुछ ऐसी चीज़ थी जिससे हमने व्यक्तिगत रूप से अपने दोस्तों और परिवार को पीड़ित देखा था, जिसने इस प्रयास को आगे बढ़ाने के हमारे दृढ़ संकल्प को और अधिक प्रेरित किया."

(L-R) Mr. Atulya Kaushik, Co-founder & CEO_Mr. Manish Agarwal, Co-founder  CMO_Mr. Aashay Mishra, Co-founder & COO at PrepInsta

PrepInsta के को-फाउंडर (L-R) - अतुल्य कौशिक (CEO), मनीष अग्रवाल (CMO) और आशय मिश्रा (COO)

दोस्तों से को-फाउंडर और साथ मिलकर कारोबार करने तक का सफर कैसा रहा? इस पर वे कहते हैं, "यात्रा काफी सहज रही है, हालाँकि इसमें उतार-चढ़ाव का उचित हिस्सा नहीं है - कुछ ऐसा जिसकी आप उम्मीद करेंगे जब तीन अलग-अलग दिमाग सहयोग करने के लिए एक साथ आएंगे. हालाँकि, दोस्त बनने से लेकर को-फाउंडर बनने तक, एक चीज़ जिसके बारे में हम निश्चित थे, वह थी एक-दूसरे की ताकत और कमज़ोरियाँ. बेशक, कभी-कभार विवाद होते थे, लेकिन हमने हमेशा अपने व्यापारिक सौदों में खुले संचार को प्राथमिकता दी, जो किसी भी विवाद को सुलझाने में फायदेमंद साबित हुआ."

वे आगे बताते हैं, "PrepInsta की स्थापना के बाद से पिछले पांच वर्षों में, हमने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, एक मजबूत कम्यूनिटी तैयार की है. 2023 तक, हमारी टीम में 150 से अधिक प्रतिभाशाली व्यक्तियों को शामिल करने के लिए विस्तार किया गया है, जिनमें से 100 से अधिक हमारे ऑफ़लाइन संचालन फिर से शुरू करने के बाद पिछले वर्ष हमारे साथ जुड़े थे. 40 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हमारी वेबसाइट पर आ रहे हैं, और प्रभावशाली 200,000 से अधिक भुगतान करने वाले उपयोगकर्ता सक्रिय रूप से हमारे प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ रहे हैं."

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