बाप ने बचपन में जला दिया था चेहरा, अब फैशन मॉडल है यह एसिड अटैक सर्वाइवर
आज भले ही फैशन एंड लॉन्जरी ब्रांड क्लोविया (Clovia) का नया कैंपेन #HappyIsMySuperpower एसिड अटैक सर्वाइवर अनमोल रोड्रिगेज से प्रेरित हो लेकिन, उनका जीवन संघर्ष और दर्द से भरा रहा है।
अनमोल केवल दो महीने की थीं जब उनके पिता ने उनकी मां पर एसिड फेंका था। अनमोल की मां एसिड से जलकर मर गई थीं। बेबी अनमोल, उस समय अपनी मां की गोद में ही थीं जब उनके पिता ने मां पर एसिड फेंका था। एसिड अनमोल के चहरे पर भी पड़ा और उनका चेहरा लगभग पूरी तरह जल गया। उनके चेहरे पर हमेशा के लिए ऐसे निशान पड़ गए जो कभी नहीं जाएंगे।
वह कहती हैं,
“मेरे पिता को जेल की सजा सुनाई गई थी और मैं पांच साल तक अस्पताल में रही। मेरा इलाज चल रहा था। मेरा ऐसा कोई नहीं था जिसके पास मैं जाती और ना ही किसी ने मुझे अपनाया। अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सों ने मेरी देखभाल की और बाद में मुझे एक अनाथालय को सौंप दिया।”
अनमोल का पालन-पोषण श्री मानव सेवा संघ अनाथालय में हुआ, जहाँ उन्होंने बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और देखभाल प्राप्त की।
न कोई दोस्त और घूरते लोग
स्कूल खत्म होने के बाद जब उन्होंने एक कॉलेज में एडमिशन लिया, तो चीजें एक अलग मोड़ लेने लगीं। वे याद करते हुए कहती हैं,
“मैंने पहली बार भेदभाव का सामना करना शुरू किया। लोग मुझे अजीब लग रहे थे और कोई भी मेरा दोस्त नहीं बनना चाहता था।”
जब वह कॉलेज के सेकेंड इयर में आईं, तो काफी डिप्रेस रहने लगीं। इसके अलावा वे ज्यादातर अनाथालय में रहने लगीं। वह कहती हैं,
“जब अनाथालय के अधिकारियों को मेरे रिजल्ट्स मिले, तो वे बहुत आश्चर्यचकित थे क्योंकि मैं अकैडमिक्स में बहुत अच्छी थी और हमेशा अपने क्लास में टॉप रहती थी। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या दिक्कत है, लेकिन मैं उन्हें अपनी इस समस्या के बारे में नहीं बता सकी।"
अनाथालय ने एक ट्यूटर को हायर किया, जिसने न केवल अनमोल को अकैडमिक्स पढ़ाई, बल्कि उन्हें यह एहसास दिलाया कि उन्हें अपने जीवन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए बजाय इसके कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। अनमोल ने अपना बैचलर कंप्यूटर एप्लीकेशन्स में पूरा किया। जिसके बाद उन्हें एक निजी कंपनी में जॉब भी मिल गई।
वह कहती हैं,
“कॉलेज की डिग्री हासिल करने के बावजूद, मेरा संघर्ष समाप्त नहीं हुआ। लोग मुझे ऑफिस में घूरते रहे, और मुझे बहुत बुरा लगा। लेकिन मैं इस बार तैयार थी, जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ। लेकिन दुर्भाग्य से, उन्होंने मुझे निकाल दिया क्योंकि उन्हें लगा कि हर एक मेरे चेहरे पर फोकस्ड है।”
सोशल मीडिया ने धारणाओं को बदला
अनमोल ने दूसरी नौकरी पाने की बहुत कोशिश की। इस दौरान, उन्होंने कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साइन अप किया और अपनी तस्वीरों को पोस्ट करना शुरू कर दिया, खासकर फेसबुक पर।
वह कहती हैं,
“शुक्र है, मुझे सोशल मीडिया पर किसी भी अभद्र टिप्पणी या ट्रोलिंग का सामना नहीं करना पड़ा। लोगों ने मुझे प्रेरणादायक समझा, लेकिन वास्तविक जीवन बहुत अलग था।”
लोगों ने उनकी ऑनलाइन काफी सराहना की थी, लेकिन ऑफलाइन बहुत ज्यादा काम नहीं हो रहा था। हालाँकि, अनाथालय के लोगों ने उनका सपोर्ट किया, लेकिन वह 18 साल की होने के बाद अब वहां नहीं रह सकती थीं।
वह कहती हैं,
“मुझे किराए पर घर लेना पड़ा और स्वतंत्र रूप से रहना शुरू कर दिया। एक साल के बाद, मुझे एक एनजीओ के साथ नौकरी मिल गई लेकिन जिस महिला ने मुझे रेफर किया था वह मेरे 15,000 रुपये की सैलरी में से 5,000 रुपये काट रही थी। उस समय तक, मैं ऑफिस वर्क की तलाश में थक गई थी। मैं कैमरा, एक्टिंग, या मॉडलिंग करना चाहती थी। मेरी दोस्त और मैनेजर मेघा ने इस प्रक्रिया में मेरी मदद करना शुरू किया।”
समाज को कुछ वापस देने के लिए, अनमोल ने एसिड अटैक सर्वाइवर्स की मदद के लिए एक एनजीओ की भी स्थापना की। लेकिन उन्हें अपने पार्टनर्स के साथ मतभेदों के बाद मूव आउट होना पड़ा। आज, वह किनीर (Kineer) नामक एक संगठन के लिए काम करती हैं जो LGTBQ अधिकारों की दिशा में काम करता है। क्लोविया के साथ उनका कैंपन उनके लिए वो एक कदम है जो वह अपने जीवन से चाहती हैं।
ब्रांड्स कॉलिंग
कई ब्रांडों ने सोशल मीडिया पर अनमोल की उपस्थिति पर ध्यान दिया है और इसका नतीजा ये निकला है कि कुछ ने उन्हें अपने ब्रांड के एंडोर्समेंट के लिए भी साइन किया है। अनमोल क्लोविया की हाल ही में लॉन्च की गई नाइटवियर का चेहरा हैं, जिसके साथ ब्रांड ने एक कोट-प्रिंट किया है "यह आधुनिक भारतीय महिला को उसके वास्तविक स्व को मुक्त करने के लिए प्रेरित करती है"।
क्लोविया की संस्थापक और सीआरओ नेहा कांत कहती हैं,
"हम मानते हैं कि यह केवल लॉन्जरी बेचने के बारे में नहीं है; हमारे लिए जो मायने रखता है वो है साहसी महिलाओं की पहचान करना और उनकी सराहना करना। हम, क्लोविया में, हमेशा महिलाओं को वर्जनाओं से मुक्त होने और उन्हें वास्तव में गले लगाने के लिए प्रोत्साहित करने में विश्वास करते हैं। इसलिए मुझे लगता कि अनमोल से बेहतर कोई और हमारे आदर्श वाक्य 'हैपीनेस इज माय सुपरपावर' की बेहतर एम्बेसडर नहीं हो सकती है।"
अनमोल का मानना है कि समाज से स्वीकृति सबसे महत्वपूर्ण होती है। वह कहती हैं,
“रोजगार के अधिक अवसर होने चाहिए ताकि हम जैसे लोग एक सभ्य जीवन जी सकें। उन्होंने जीवन में बहुत सारे आघात झेले हैं, इसलिए उनके साथ सहानुभूति रखने के बजाय उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने में मदद करें।''
अनमोल आत्मविश्वास और गरिमा के साथ जीवन व्यतीत करती हैं और आशा है कि एक दिन लोग उन्हें बतौर एक्टर पहचान देंगे। वे कहती हैं, "मुझे उम्मीद है कि लोगों की मानसिकता बदल जाएगी और मैं 70 मिमी स्क्रीन पर खुद को देख सकूंगी।"