क्या निप्पॉन म्यूचुअल फंड और यस बैंक के निवेश में निवेशकों के पैसे का हुआ दुरुपयोग? सेबी कर रही जांच
इस निवेश के समय, म्यूचुअल फंड की मूल कंपनी का स्वामित्व अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के पास था. 2020 में यस बैंक को केंद्रीय बैंक ने अपने कब्जे में ले लिया और संपत्ति में नाटकीय वृद्धि के बाद बैंकों के एक संघ को बेच दिया.
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) 2016 और 2019 के बीच देश के सबसे बड़े विदेशी स्वामित्व वाले फंड निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड (Nippon India Mutual Fund) और यस बैंक
के बीच निवेश की जांच कर रहा है. सेबी इस बात की जांच कर रहा है क्या इस निवेश में निवेशकों के पैसे का दुरुपयोग किया गया. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 19 जनवरी को सूत्रों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है.इस निवेश के समय, म्यूचुअल फंड की मूल कंपनी का स्वामित्व अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के पास था. 2020 में यस बैंक को केंद्रीय बैंक ने अपने कब्जे में ले लिया और संपत्ति में नाटकीय वृद्धि के बाद बैंकों के एक संघ को बेच दिया.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) इस बात की जांच कर रहा है कि क्या उस समय रिलायंस म्यूचुअल फंड के रूप में जाने जाने वाले फंड द्वारा निवेश, यस बैंक के स्थायी बॉन्ड में एक सौदे के हिस्से के रूप में किया गया था, जिसके बदले में ऋणदाता ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों की सिक्योरिटीज में निवेश किया. जांच के गोपनीय होने के कारण सूत्रों ने फिलहाल नाम बताने से इनकार कर दिया है.
सेबी के रेगुलेशंस के अनुसार, म्यूचुअल फंड की पैरेंट कंपनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निवेशकों के पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सकती है.
सूत्रों का कहना है कि अगर सेबी की जांच में पाया जाता है कि फंड, उसके अधिकारियों या बैंक के खिलाफ आरोप सही हैं तो कैपिटल मार्केट से प्रतिबंधित करने से लेकर जुर्माने तक का दंड लगाया जा सकता है. इसके लिए न केवल निप्पन इंडिया बल्कि पुराने मालिक यानी अनिल अंबानी को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
बता दें कि, निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की ईकाई निप्पॉन इंडिया ने म्यूचुअल फंड का मालिकाना हक लेने के लिए अक्टूबर 2019 में रिलायंस एसेट मैनेजमेंट कंपनी में 75 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की थी. हालांकि, जांच के घेरे में आने वाले ट्रांजैक्शन ओनरशिप ट्रांसफर होने से पहले का है.
बता दें कि, सितंबर, 2022 तक निप्पॉन इंडिया 29 खरब रुपये के साथ देश का चौथा सबसे बड़ा म्युचुअल फंड था. इसके साथ ही वह देश में सबसे बड़ा विदेशी मालिकाना वाला म्युचुअल फंड था.
बता दें कि, साल 2016 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा जारी किए गए अतिरिक्त टियर-1 बॉन्ड्स का सबसे बड़ा होल्डर निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड था. वह यस बैंक द्वारा जारी की गई 84,100 करोड़ रुपये की ऐसी सिक्योरिटीज में से 25 हजार करोड़ रुपये को होल्ड करता था.
साल 2020 में यस बैंक के पुनर्गठन के हिस्से के तहत इन बॉन्ड्स को कैंसिल कर दिया गया था, जिसे उसके होल्डर्स ने कोर्ट में चुनौती दी थी.
सेबी ने शुक्रवार को म्युचुअल फंड नियमों को और सख्त करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें म्युचुअल फंड मालिकों को निवेश निर्णयों पर अपने प्रभाव की जांच करने के उपाय के रूप में धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए कहा गया.
इसने यह नहीं बताया कि किस स्तर तक उन्हें अपनी होल्डिंग कम करनी चाहिए. वर्तमान नियमों के अनुसार म्युचुअल फंड मालिकों के पास न्यूनतम 40% हिस्सेदारी होनी चाहिए.
Edited by Vishal Jaiswal