किरण मजूमदार शॉ ने पूछा, क्या बिना लक्षण कोविड-19 की जांच कराना अपराध है ?
मजूमदार-शॉ ने जोर देकर कहा कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि उन्हें यह संक्रमण है या नहीं।
बेंगलुरु, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग की दिग्गज किरण मजूमदार-शॉ ने बिना लक्षण के बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस की जांच की अनुमति नहीं देने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की आलोचना की है। मजूमदार-शॉ ने जोर देकर कहा कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि उन्हें यह संक्रमण है या नहीं।
बेंगलुरु मुख्यालय वाली जैव प्रौद्योगिकी कंपनी बायोकॉन लिमिटेड की कार्यकारी चेयरमैन मजूमदार-शॉ ने कहा कि देश के आकार को देखते हुए जब कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को खोलने से संक्रमण के मामले बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि उनकी चिंता आईसीएमआर द्वारा बिना लक्षण के बड़ी संख्या में जांच की अनुमति नहीं देने को लेकर है।
मजूमदार-शॉ ने कहा कि कंपनियों ने अब अपने कार्यालय और संयंत्र खोल दिए हैं। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके परिसर में आने वाले कर्मचारी कोविड-19 संक्रमित नहीं हों।
मजूमदार-शॉ ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इनमें से कुछ पॉजिटिव हो सकते हैं, कुछ संवाहक या बड़े संवाहक हो सकते है। मुझे कैसे पता चलेगा? आईसीएमआर हमें जांच से क्यों रोक रही है? यह मेरी समझ से परे है। दुनिया में सभी जगह वे जांच या परीक्षण की अनुमति दे रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह का व्यवहार कर रही है जैसे जांच कराना अपराध है। वे कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। जांच कराना क्या अपराध है? यदि मुझमें लक्षण नहीं हैं, तो क्या मुझे यह जानने का अधिकार नहीं है कि मुझे संक्रमण है या नहीं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार विमान यात्रा करने वाले लोगों को जांच की अनुमति दे रही है, लेकिन काम पर आने वाले लोगों को इसकी अनुमति नहीं दी जा रही।
मजूमदार-शॉ ने कोविड-19 के मामलों केा हल्के, मध्यम और गंभीर में बांटने तथा अस्पताल में बिस्तरों का प्रबंधन उचित तरीके से करने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को मामूली लक्षण हैं, उन्हें पृथक केंद्रों में रखा जाना चाहिए। वहां उनके स्वास्थ्य की निगरानी होनी चाहिए। सिर्फ सांस लेने में परेशानी या ऑक्सिजन की जरूरत वाले मरीजों को ही अस्पताल में रखा जाना चाहिए।