मिलें उस अनोखे कपल से जिन्होंने एक साथ मिलकर अब तक किये हैं 11 लाख मुफ्त आई ट्रीटमेंट्स
Ranjana Tripathi
Wednesday August 19, 2020 , 7 min Read
डॉ. सुरेखा पी और प्रशांत एस बी, एक ऐसे कपल हैं जो बहुत ही अनोखे मिशन पर निकले हुए हैं। डॉ. सुरेखा और प्रशांत की कोशिशों ने अब तक लगभग 11 लाख मुफ्त आई ट्रीटमेंट्स किए हैं। लंबे समय तक अमेरिका में रहने के बाद जब इन्हें लगा कि अब अपने देश लौटना है और देशवासियों की सेवा करनी है, तो इससे अच्छा अवसर इनके पास कोई नहीं था।
डॉ. सुरेखा और प्रशांत, नयोनिका आई केयर चेरीटेबल हॉस्पिटल के फाउंडर हैं। और कर्नाटक हेल्थ केयर डिपार्टमेंट के साथ मिलकर ज़रूरतमंद लोगों के लिये बेहतरीन प्रयास कर रहे हैं। हेल्दी विज़न इंडिया, BMTC नेत्रांजली, अमृत दृष्टि, नयोनिका विज़न वॉल और नयोनिका मक्कल नेत्रा जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। साथ ही अपने फाउंडेशन के माध्यम से कोरोनावायरस की लड़ाई भी लड़ रहे हैं और इन्होंने अपने चेरीटेबल हॉस्पिटल को पूरी तरह कोविड-19 सेंटर में तब्दील कर दिया है।
कैसे हुई शुरूआत
डॉ. सुरेखा पी और उनके पति प्रशांत एस बी साल 1999 में अमेरिका चले गए, जहां प्रशांत टाटा इन्फोटेक में बतौर सेल्स डायरेक्टर नौकरी कर रहे थे वहीं डॉ. सुरेखा पी अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के लिये डिग्री पूरी कर रही थी। साल 2006 तक वे वहीं रहे।
स्वदेश लौटने और नयोनिका आई केयर चेरीटेबल हॉस्पिटल शुरू करने के बारे में बात करते हुए प्रशांत बताते हैं,
“हम दोनों ने कुछ रिपोर्ट्स पढ़ी जिनमें बताया गया था कि भारत में शहरी क्षेत्रों में प्रति 20-25 हजार आंखों के मरीजों के लिये सिर्फ 1 डॉक्टर हैं और वहीं अगर बात की जाए ग्रामीण इलाकों की तो ये संख्या और भी हैरान कर देती है, इन इलाकों में 2 लाख 25 हजार मरीजों के बीच केवल एक आंखों का डॉक्टर है। इस बात ने हमें काफी बैचेन कर दिया और हमने वतन वापसी की ठानी।”
इसके बाद ये कपल स्वदेश लौट आया और बेंगलुरु में आकर जरुरतमंद लोगों की आंखों की रोशनी का ख्याल और सेवा की भावना लिये हुआ सरकार और कुछ एनजीओ की मदद से अपना मिशन शुरू कर दिया।
11 लाख लोगों के फ्री आई ट्रीटमेंट
डॉ. सुरेखा और प्रशांत अब तक 11 लाख लोगों का फ्री आई ट्रीटमेंट कर चुके हैं और अपने मिशन में लगातार प्रयासरत हैं।
प्रशांत कहते हैं,
“कोई भी अकेला आदमी एक लिमिट तक ही कुछ कर सकता है, लेकिन हम सब लोग मिलकर थोड़ा-थोड़ा भी करें तो हमारे देश में दृष्टिदोष की बीमारी खत्म हो जायेगी। हम सब को मिल-जुलकर इस दिशा में काम करने की जरुरत है। हमें इस काम में सरकार और कई एनजीओ का पूरा समर्थन मिला है, जिससे 11 लाख लोगों का इलाज संभव हो पाया है।”
नयोनिका आई केयर चेरीटेबल हॉस्पिटल में डॉ. सुरेखा मरीजों की आंखों की जांच, इलाज, सर्जरी करती हैं साथ ही समय-समय पर अपने स्टाफ मेंबर्स को ट्रेनिंग देती हैं वहीं उनकी पति प्रशांत कम्यूनिकेशन और मैनेजमेंट देखते हैं। वे सरकार और एनजीओ के साथ मिलकर नए-नए प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों का इलाज किया जा सके।
इन दोनों का यह मिशन साल 2012 में शुरू हुआ और 8 साल में अपने सफर के दौरान इन्होंने 11 लाख फ्री आई ट्रीटमेंट किए हैं।
नयोनिका काम कैसे करता है?
नयोनिका के फाउंडर प्रशांत एस बी बताते हैं, हम सरकार का इन्फ्रास्ट्रक्चर काम में लेते हैं जहाँ प्रति दिन लगभग 250-300 मरीज आंखों से संबंधित जांच और इलाज के लिये आते हैं। यहाँ उनके चेकअप और सर्जरी आदि के लिये डॉक्टर्स हम उपलब्ध कराते हैं। कई डॉक्टर्स यहां मुफ्त स्वैच्छिक सेवाएं देते हैं तो कई डॉक्टर्स को पूरा वेतन दिया जाता है।
कई एनजीओ और राज्य सरकार भी इनकी मुहिम को पूरा समर्थन देती है। जरुरतमंद लोगों के लिये एसएलआर फाउंडेशन ने 35 हजार चश्में दान दिये है।
नयोनिका रोटरी अनुसेवा
नयोनिका आई केयर चेरीटेबल हॉस्पिटल ने रोटरी क्लब के साथ मिलकर नयोनिका रोटरी अनुसेवा प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके तहत उन्होंने चल रहे कोरोना काल में करीब 25 हजार पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्य कर्मियों को खाना, मास्क, सैनेटाइज़र, पीपीई किट्स, फेस शील्ड्स आदि मुफ्त में दी है। रोटरी क्लब के साथ मिलकर डॉ. सुरेखा और प्रशांत ने 300 बेड वाला कोविड-19 केयर सेंटर भी खोला है, जहां संक्रमितों को सभी सुविधाएं निशुल्क दी जाती है। इस मुहिम में प्रक्रिया हॉस्पिटल ने भी इनका साथ देते हुए कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम तैनात की है।
हेल्दी विजन इंडिया
साल 2016-17 में डॉ. सुरेखा और उनके पति प्रशांत ने इस प्रोग्राम की शुरूआत की। नयोनिका की तरह ही इस प्रोग्राम के तहत आंखों के मरीजों का इलाज किया जाता है। इस प्रोग्राम की शुरूआत के 10 दिनों में दंपति और उनकी टीम ने 300 मरीजों की सर्जरी की। इस आंकड़े से राज्य सरकार बेहद प्रभावित हुई और इनकी पूरी मदद करने लगी।
अब तक इस खास प्रोग्राम के तहत 18 हजार से अधिक लोगों की मोतियाबिंद और दृष्टिदोष की सर्जरी की जा चुकी है।
BMTC नेत्रांजली प्रोजेक्ट
प्रशांत कहते हैं कि BMTC शहर (बेंगलुरु) का मैन पिलर (स्तंभ) है। शहरभर में रोजाना करीब 35 लाख लोग बसों के जरिये यात्रा करते हैं। इन बसों में स्टाफ के रूप में ड्राइवर और कंडक्टर होते हैं। बस की सभी सवारियों की जान ड्राइवर पर निर्भर होती है। अगर वह देखने में अक्षम होगा, नज़र कमजोर होगी तो सोचिए कितनी दुर्घटनाएं होगी।
इसी सोच को लेकर हमने शहर के सभी 45 बस डिपों में विजिट करना शुरू किया। जहां हम केम्प लगाते हैं, सभी स्टाफ मेंबर्स की आंखों की निशु्ल्क जांच की जाती है, जिनकी सर्जरी होनी है, उनकी निशुल्क सर्जरी की जाती है। इन्हें फ्री चश्में दिए जाते हैं।
इस प्रोजेक्ट के तहत अब तक करीब 35 हजार लोगों को निशुल्क चश्में दिए जा चुके हैं, करीब 13 हजार लोगों का फ्री चेकअप किया जा चुका है और 64 मरीजों की फ्री सर्जरी की जा चुकी है।
डॉ. सुरेखा और प्रशांत का कहना है कि जब ड्राइवर की आंखे सही रहेगी तो सड़क पर दुर्घटना के चांस और कम हो जाएंगे।
उनका अगला मिशन दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में इस मुहिम को शुरू करना है।
मिशन अमृत दृष्टि
इस खास मिशन के बारे में बताते हुए प्रशांत ने कहा कि बेंगलुरु में सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब 502 स्लम (झुग्गी-झोंपड़ीं) एरियाज है। जहां प्रति स्लम एरिया 800 से 1 हजार लोगों की आबादी है। यहां रहने वाले अधिकतर लोग आंखों की बिमारियों का इलाज कराने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनके पास 2 वक्त की रोटी के लिये भी पैसे नहीं होते हैं। ऐसे में हमने सरकार के साथ मिलकर पीएचसी को विजन सेंटर बनाया है। जहां सरकार का इन्फ्रास्ट्रक्चर होता है और डॉक्टर्स हम लाते हैं। सभी जरूरी मेडिकल उपकरण भी हम लाते हैं। मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाता है।
नयोनिका - विजन ऑन वॉल
यह बेहद खास और बिलकुल अलग तरह की मुहिम है। इसके शुरूआत के बारे में बताते हुए प्रशांत कहते हैं,
“एक बार में फ्लाइट से ट्रेवल कर रहा था तो मैनें विंडो से देखा कि किसी खुले एरिया में एक टीचर एक वॉल (दीवार) पर बच्चों को पढ़ा रहा है। तभी मैनें इसके बार में सोचा और इसे करने का निर्णय लिया।”
प्रशांत कहते हैं कि इस मुहिम के तहत हम बच्चों को इस तरह की ट्रेनिंग देते हैं कि वे खुद अपनी आंखों की जांच कर सकते हैं।
प्रशांत दावा करते हैं कि अगले 5 सालों में करीब 65 लाख बच्चों को इस नयोनिका - विजन ऑन वॉल का सपोर्ट मिलेगा।
नयोनिका मक्कलनेत्र
प्रशांत कहते हैं कि 'मक्कल' कन्नड़ भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है - बच्चे का नेत्र (आंख)
प्रशांत के अनुसार अकेले कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 65 लाख बच्चों में से 3 लाख 25 हजार बच्चों को चश्मों की जरूरत है। प्रशांत इस मिशन के तहत 45 हजार स्कूलों में विजन ऑन वॉल शुरू करना चाहते है, ताकि अगले 5 सालों में कर्नाटक को आई प्रॉबलम फ्री बनाया जा सके।
भविष्य की योजनाएं
नयोनिका आई केयर चेरीटेबल हॉस्पिटल के फाउंडर प्रशांत एस बी और डॉ. सुरेखा पी अपने अनोखे मिशन के जरिये देश को दृष्टिदोष मुक्त बनाना चाहते हैं। इसके लिये वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा डॉक्टर्स उनकी इस मुहिम का हिस्सा बनें।
वे कहते हैं,
“जिस तरह बूंद-बूंद से घड़ा भरता है उसी तरह से हम सब मिलकर काम करें तो देश को जल्द ही दृष्टिदोष मुक्त बना लेंगे।”
वे कहते हैं बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इसी तरह है की मुहिम शुरू करने की योजना हम लोग बना रहे हैं।