देशभर का क्राइम डेटा जारी करने वाला NCRB कैसे काम करता है?
NCRB की स्थापना केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में की गई थी. एनसीआरबी का गठन पुलिस कंप्यूटर निदेशालय (DCPC), सीबीआई की अंतरराज्यीय अपराध डेटा ब्रांच और सीबीआई के केंद्रीय फिंगर प्रिंट ब्यूरो को मिलाकर किया गया था.
बीते मंगलवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने विभिन्न अपराधों से जुड़े आंकड़ों को जारी किया. अपनी रिपोर्ट में एनसीआरबी ने जहां देश की राजधानी दिल्ली को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित घोषित कर दिया तो वहीं यह भी सामने आया है कि कोविड-19 के बाद आत्महत्या करने के मामले में दिहाड़ी मजदूरों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.
ऐसे में यह समझना आवश्यक हो जाता है कि एनसीआरबी क्या है, यह कैसे काम करता है और इसके आंकड़े इतने विश्वसनीय क्यों होते हैं.
एनसीआरबी का गठन कैसे हुआ?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एक सरकारी एजेंसी है. इसका हेडक्वार्टर राजधानी दिल्ली में है. यह क्राइम डेटा इकट्ठा करता है और उसका विश्लेषण करता है. NCRB की स्थापना केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में की गई थी. NCRB की स्थापना टंडन समिति, राष्ट्रीय पुलिस कमीशन (1977-1981) तथा गृह-मंत्रालय के टास्क फोर्स की सिफारिश के आधार पर स्थापित किया गया था.
एनसीआरबी का गठन पुलिस कंप्यूटर निदेशालय (DCPC), सीबीआई की अंतरराज्यीय अपराध डेटा ब्रांच और सीबीआई के केंद्रीय फिंगर प्रिंट ब्यूरो को मिलाकर किया गया था. पहले ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPR&D) की सांख्यिकीय शाखा को भी एनसीआरबी में मिला दिया गया था लेकिन बाद में इसे अलग कर दिया गया.
एनसीआरबी का मिशन
एनसीआरबी की स्थापना अपराध और अपराधियों से जुड़ी जानकारियों के भंडार को एकत्रित करने के लिए किया गया ताकि अपराधियों को अपराध से जोड़ने में जांचकर्ताओं की सहायता की जा सके. एनसीआरबी का मिशन भारतीय पुलिस को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और क्रिमिनल इंटेलीजेंस की जानकारी से लैस करके सशक्त बनाना है ताकि वे कानून को बनाए रख सकें और लोगों की रक्षा कर सकें.
एनसीआरबी का उद्देश्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अपराधों और अपराधियों पर सुरक्षित साझा करने योग्य राष्ट्रीय डेटाबेस बनाना है. यह सभी अपराधियों के फिंगरप्रिंट्स को भी सुरक्षित रखता है. एनसीआरबी के आंकड़ों से सरकार को पता चलता है कि देश और विभिन्न राज्यों या शहरों में कितने अपराध दर्ज हो रहे हैं. इससे सरकार को अपराध को कम करने के लिए विशेष योजना और रणनीति बनाने में मदद मिलती है.
एनसीआरबी का काम
साल 2009 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (सीसीटीएनएस) परियोजना की मॉनिटरिंग, समन्वय तथा कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. इससे पुलिस कर्मी सीसीटीएनएस डेटाबेस से अपराधी/संदिग्ध की तलाश कर सकते हैं.
इसके साथ ही इसे यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीएसओ) की देख-रेख तथा इसे नियमित रूप से राज्यों/संघ प्रदेशों से साझा करने और ‘ऑनलाइन साइबर अपराध सूचना पोर्टल’ की तकनीकी एवं परिचालन प्रक्रिया की ज़िम्मेदारी भी सौंपी गई है.
एनसीआरबी ने साइबर क्राइम जांच तथा मुकदमे में विभिन्न स्टेकहोल्डर् के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण पोर्टल साईट्रेन की भी शुरूवात की है. यह फेक करेंसी की सूचना एवं प्रबंधन प्रणाली (FICN) तथा आतंकवाद पर इंटीग्रेटेड मॉनिटरिंग एप्लीकेशन का भी रखरखाव करता है. ब्यूरो ‘क्राइम इन इंडिया’, दुर्घटनात्मक मृत्यु तथा आत्महत्या’ एवं ‘जेल सांख्यिकी’ जैसी सूचनाओं का संकलन तथा प्रकाशन भी करता है.
ब्यूरो दिल्ली एवं कोलकाता स्थित प्रशिक्षण केंद्रो तथा हैदराबाद, गांधीनगर, लखनऊ तथा कोलकाता स्थित चार क्षेत्रीय पुलिस कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्रो के माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी, सीसीटीएनएस, फिंगरप्रिंट, नेटवर्क सुरक्षा तथा डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में क्षमता विकसित करने में भी विभिन्न राज्यों की सहायता करता है.
2021 की एनसीआरबी रिपोर्ट में क्या सामने आया?
NCRB की साल 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2021 में 2020 के मुकाबले महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4,28,278 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज हुए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले साल हर दिन दो नाबालिग लड़कियों से बलात्कार हुआ है. महिलाओं के अपहरण के मामलों में 17.6 फीसदी और बलात्कार की घटनाओं में भी 2020 के मुकाबले 7.4 फीसदी की वृद्धि हुई है.
इसी तरह साल 2021 में बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा के 1 लाख 49 हजार 404 मामले दर्ज किए गए, जो कि 2020 के 1 लाख 28 हजार 531 मामलों के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा हैं. आत्महत्या की घटनाएं भी 2020 के मुकाबले 2021 में 6 फीसदी से ज्यादा बढ़ी हैं. देश में 2020 में कुल 1 लाख 53 हजार 52 लोगों ने आत्महत्या की थी, जो कि 2021 में बढ़कर 1 लाख 64 हजार 33 हो गई है, जिसे आंकड़ो में 7.2 फीसदी की बढ़ोतरी माना जाएगा.
साल 2021 में जिन 1 लाख 64 हजार 33 लोगों ने आत्महत्या की है, उनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 22,207, तमिलनाडु में 18,925, मध्यप्रदेश में 14,965, पश्चिम बंगाल में 13,500 और कर्नाटक में 13,056 आत्महत्या की घटनाएं सामने आईं हैं.
दिहाड़ी मजदूरों, स्वरोजगार से जुड़े लोगों, बेरोजगारों और कृषि क्षेत्र से संबंधित लोगों ने 2021 में सर्वाधिक संख्या में आत्महत्या की. रिपोर्ट के अनुसार, ‘2021 में 1,18,979 पुरुषों ने आत्महत्या की, जिनमें से 37,751 दिहाड़ी मजदूर, 18,803 स्वरोजगार से जुड़े लोग और 11,724 बेरोजगार शामिल थे.’
आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 45,026 महिलाओं ने आत्महत्या की. रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र से संबद्ध 10,881 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 5,318 किसान और 5,563 खेत मजदूर थे. 5,318 किसान में से 5107 पुरुष और 211 महिलाएं थीं. 5,563 खेत मजदूरों में से 5,121 पुरुष तथा 442 महिलाएं थीं.
Edited by Vishal Jaiswal