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कैशलेस नहीं, लेसकैश इकॉनमी है भविष्य, जानिए ई-पेमेंट्स लीडर्स ने क्यों कही यह बात

नवंबर, 2016 में नोटबंदी करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस कैशलेस इकॉनमी का सपना देखा था वह निकट भविष्य में पूरा होते हुए नहीं दिख रहा है. हालांकि, लेस-कैश सोसायटी एक ऐसा आइडिया है जिसे अगले कुछ सालों में हासिल किया जा सकता है.

कैशलेस नहीं, लेसकैश इकॉनमी है भविष्य, जानिए ई-पेमेंट्स लीडर्स ने क्यों कही यह बात

Thursday December 22, 2022 , 3 min Read

पिछले पांच सालों में डिजिटल पेमेंट्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. इसमें कोविड-19 महामारी ने एक बड़ी भूमिका निभाई. हालांकि, नवंबर, 2016 में नोटबंदी करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस कैशलेस इकॉनमी का सपना देखा था वह निकट भविष्य में पूरा होते हुए नहीं दिख रहा है. हालांकि, लेस-कैश सोसायटी एक ऐसा आइडिया है जिसे अगले कुछ सालों में हासिल किया जा सकता है.

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NCPI) के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) दिलीप एस्बे ने कहा, हम सभी कैशलेस के बजाय लेसकैश के आइडिया से सहमत हैं. मैं केवल उम्मीद कर सकता हूं कि CBDC (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) कुछ ऐसा जादू कर दे कि हम कैशलेस के सपने को साकार कर सकें.

उन्होंने आगे कहा, तो अगले 3 से 5 साल में अगर कैश से जीडीपी का अनुपात सिंगल डिजिटल में रहता है तो हम एक ऐसे इकोसिस्टम को लेकर खुश हो सकते हैं. यह भारत की डिजिटल पेमेंट की यात्रा में एक बड़ी सफलता होगी.

उनकी बातों से सहमति जताते हुए फिनो पेमेंट्स बैंक के एमडी और सीईओ ऋषि गुप्ता ने कहा, जब हम कैशलेस सोसायटी के बारे में बात करते हैं तो मुंबई के लोगों की बात नहीं कर रहे होते हैं. हम ऐसे लोगों की बात कर रहे होते हैं जो कि सुदुर ग्रामीण इलाकों में रहते हैं.

कैशलेस सोसायटी बनना भारत के लिए एक दूर का सपना है, लेकिन लेसकैश एक ऐसा आइडिया है जिसे हासिल किया जा सकता है. बहुत सारे फिनटेक और बैंकों ने खुद को डिजिटली सशक्त करने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.

वीजा के भारत और दक्षिण एशिया में कंट्री ग्रुप मैनेजर संदीप घोष ने कहा, भारत में लगभग 1.6 ट्रिलियन डॉलर का व्यक्तिगत उपभोग व्यय होता है. उसमें से वर्तमान में 55-60 प्रतिशत अभी भी कैश में लेन-देन है.

वहीं, एचडीएफसी बैंक के कंट्री हेड पराग राव कहा, हमें लंबी दूरी तय करनी है और लेस कैश ही मीडियम टर्म मंत्रा होना चाहिए. कैश अभी भी बढ़ रहा है.

एयरटेल पेमेंट्स बैंक के चीफ ऑपरेटिंग ऑपरेटर (COO) गणेश अनंतनारायण ने कहा, अगले 5 सालों में नकद और डिजिटल लेन-देन दोनों सह-अस्तित्व में रहेंगे क्योंकि आज भी हमारे पास संभवतः 30 ट्रिलियन रुपये से अधिक का प्रचलन है.

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन विश्वास पटेल ने कहा, डिजिटल पेमेंट्स बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. एक तरह सरकार कह रही है कि जीरो एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) होना चाहिए, तो वहीं दूसरी तरफ आरबीआई कह रहा है कि अगर आपको लाइसेंस चाहिए तो आपके पास पॉजिटिव नेट वर्थ होनी चाहिए.


Edited by Vishal Jaiswal