‘छपाक’ के खिलाफ याचिका पर अदालत ने कहा: जीवन की सच्ची घटनाओं पर कोई कॉपीराइट नहीं
दीपिका पादुकोण अभिनीत फिल्म ‘छपाक’ के प्रदर्शन का रास्ता साफ करते हुए बॉम्बे हाई कॉर्ट ने बुधवार को कहा कि कोई भी व्यक्ति सच्ची घटनाओं से प्रेरित किसी कहानी पर कॉपीराइट का दावा नहीं कर सकता है।
राकेश भारती नामक एक लेखक ने अदालत में याचिका दायर कर दावा किया था कि मूल रूप से उन्होंने एसिड हमले की एक पीड़ित के जीवन पर कहानी लिखी थी। मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित ‘छपाक’ भी एसिड हमले की एक पीड़िता के जीवन पर आधारित है।
अपनी याचिका में भारती ने फिल्म के लेखकों में से एक के रूप में श्रेय दिए जाने और 10 जनवरी, 2020 को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की।
संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति एस सी गुप्ते ने प्रथम दृष्टया टिप्पणी की कि ऐसी कहानियों पर कॉपीराइट का दावा नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा,
‘‘यह एक वास्तविक घटना है। जब कहानी का स्रोत समान हो तो कोई भी कॉपीराइट का दावा नहीं कर सकता। सिर्फ इसलिए कि कोई व्यक्ति वास्तविक घटना पर कहानी लिख रहा है या लिख चुका है, इसका मतलब यह नहीं है कि कोई और ऐसा नहीं कर सकता है।’’
अदालत ने कहा,
‘‘आप (भारती) एक वास्तविक घटना पर एकाधिकार का दावा कर रहे हैं। ऐसी कहानियों पर कॉपीराइट देना असंभव है।’’
हलफनामे में कहा गया है-
‘‘वादी किसी भी सामग्री को रिकॉर्ड पर रखने में विफल रहा है। फिल्म के प्री-प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन गतिविधियों का विवरण फरवरी 2017 से सार्वजनिक डोमेन में है। फिल्म को प्रिंट मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचारित किया गया है, इसलिए, यह अस्वीकार्य है कि याचिकाकर्ता सूट फिल्म का निर्माण करने वाले इस प्रतिवादी से अनजान था।’’
भारती के वकीलों गिरीश गोडबोले और अशोक सरोगी ने तब अदालत से कहा कि वे आज फिल्म की रिलीज पर रोक के जरिए अंतरिम राहत नहीं मांग रहे हैं।
वकीलों ने कहा कि वे कॉपीराइट उल्लंघन पर आगे भी दलीलें देंगे और ‘छपाक’ प्रदर्शित होने के बाद स्क्रिप्ट की तुलना करेंगे।
अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया। मामले में अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। यह फिल्म एसिड हमले की पीड़ित लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है।
(Edited by रविकांत पारीक )