हैदराबाद रेप-मर्डर के चारों कुकर्मियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया
बेटियों की बात : पांच
ये तो रूह थरथरा देने वाले हालात हैं। बर्बरता के जुनून में घटनाएं भी कैसी-कैसी हो रहीं। मुंबई में बच्ची को 21 मंजिल से नीचे फेक कर, बिहार में युवती को पराली में जलाकर मार दिया गया। गृह मंत्रालय ने देश के सभी थानों में महिला डेस्क के लिए निर्भया कोष से सौ करोड़ दिए हैं, देखिए, इससे बेटियां कितनी सुरक्षित रह पाती हैं!
ये तो हर ख़ासोआम की रूह थरथरा देने वाले हालात हैं। देश में बेटियां एकदम सुरक्षित नहीं। उनके साथ ऐसी क्रूरता तो सामंती समाजों के दौर में भी नहीं रही। इतने बर्बर तो आदिमानव भी नहीं रहे होंगे। जैसे चारो तरफ मनुष्य के चेहरों में भेड़िये घूम रहे हों। देखिए कि घटनाएं कैसी-कैसी हो रही हैं लेकिन भारत की आधी आबादी के लिए यह राहत की बात हो सकती है कि हैदराबाद के शादनगर में जानवरों की डॉक्टर से रेप और निर्मम हत्या के केस ने उस समय एक चौंकाने वाला मोड़ ले लिया, जब आज शुक्रवार सुबह ही चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया गया।
पुलिस जांच के लिए इन चारो आरोपियों शिवा, नवीन, केशवुलू और मोहम्मद आरिफ को मौका-ए-वारदात पर लेकर गई थी। चारों ने वहां से भाग निकलने की कोशिश की, जिस पर पुलिस ने उन्हें वहीं ढेर कर दिया।
इस बर्बर दौर में अब ऐसा ही होना लाजिमी लगता है। गर्भ में ही हजारों बेटियों की हत्या कर दी जा रही है। आएदिन उनके साथ दुष्कर्म की घटनाएं हो रहीं। सड़क चलते बेरहमी से मार दिया जा रहा है।
कांदीवली (मुंबई) में गुरुवार को एक नवजात बच्ची को 21वीं मंजिल से नीचे फेंककर मार दिया गया। रेप केस में सुनवाई के लिए अदालत जाते समय आग के हवाले की गई उन्नाव की लड़की को बृहस्पतिवार शाम लखनऊ से एयर लिफ्ट कराकर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसी तरह का अत्यंत लोमहर्षक वाकया इटाढ़ी (बिहार) के गांव कुकुढ़ा में हुआ है।
बीस साल की युवती को दो दिसंबर की रात पराली में जलाकर मार दिया गया। उसके दोनों पैरों में केवल मोजे के साथ सैंडिल बचे रह गए थे। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉ बीएन चौबे के मुताबिक, युवती के साथ गैंगरेप और ऑनर किलिंग का अंदेशा है। इस इलाके में इससे पहले भी महिलाओं को मारने और जलाने की घटनाएं हो चुकी हैं। अब इसे शर्म कहें या भय, मगर यहां ऐसा होता रहता है।
इस बीच गृह मंत्रालय ने देश के सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना के लिए निर्भया कोष से 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं ताकि हेल्प डेस्क, थानों को महिलाओं के लिए और अनुकूल तथा आसान पहुंच योग्य बनाने पर ध्यान केंद्रित करे क्योंकि पुलिस स्टेशन जाने पर किसी भी महिला के लिए यह पहला और एकल स्थान होगा।
राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस कार्यक्रम को लागू करेंगे। हेल्प डेस्क की कमान महिला पुलिस अधिकारी के हाथ में होगी। ऐसी महिला अधिकारियों को संवेदनशीलता से सुनवाई के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
हेल्प डेस्क पर कानूनी सहायता, परामर्श, पुनर्वास और प्रशिक्षण आदि के लिए वकील, मनोवैज्ञानिक और एनजीओ जैसे विशेषज्ञों के पैनल को शामिल किया जाएगा।
मोबाइल टेक्नोलॉजी भी समाज में आधी आबादी के साथ दरिंदगी का अंडर करंट दौड़ा रही है। ज्यादातर वारदातों की शुरुआत ऐसे ही यौन संस्कारों और कुचेष्टाओं के कारण अंजाम तक पहुंच रही है। स्वीडिश कॉलर आइडेंटिफिकेशन ऐप ट्रूकॉलर की दुनियाभर के 20 देशों पर फोकस एक ताज़ा स्टडी में बताया गया है कि भारत में हर तीन में से एक महिला को नियमित रूप से सेक्सुअल हैरेसमेंट के या अनचाहे कॉल और एसएमएस मिल रहे हैं।
पिछले साल भारत इसी लिस्ट में दूसरे स्थान पर था। भारत में हर तीन में से एक महिला का सामना यौन प्रताड़ना से संबंधित अनुचित कॉल और अनजाने लोगों से आने वाले एसएमएस से हो रहा है। ऐसे कॉल्स और एसएमएस नियमित रूप से महिला यूजर्स को टॉरगेट करके किए जा रहे हैं।
अब तो हमारे देश में भगवान का मंदिर माने जाने वाले न्यायालय, चिकित्सालय भी स्त्री विरोधी गतिविधियों की जद में आ चुके हैं। दिल्ली, हैदराबाद, उन्नाव में आज बर्रबरता जुनून की तरह सामने आ चुकी है। ऐसे में बेटियां जाएं तो जाएं कहां। हालात बदलने के लिए उन्हे एकजुट होकर अब लंबी लड़ाई लड़नी ही होगी।
(समाप्त)