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अब इस बैंक का होने वाला है निजीकरण, सरकार और LIC बेच सकते हैं 60% हिस्सेदारी!

सरकार और एलआईसी जल्द ही आईडीबीआई बैंक में 60 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकते हैं. मौजूदा समय में दोनों के पास कुल मिलाकर आईडीबीआई में 94 फीसदी हिस्सेदारी है.

अब इस बैंक का होने वाला है निजीकरण, सरकार और LIC बेच सकते हैं 60% हिस्सेदारी!

Wednesday September 07, 2022 , 3 min Read

निजीकरण (Privatisation) के इस दौर में सरकार (Modi Govt) ने एक और कंपनी में अपनी बड़ी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है. सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट की मानें तो मोदी सरकार और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एलआईसी (LIC) जल्द ही आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) में 60 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकते हैं. अगले महीने यानी अक्टूबर में इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जारी किया जा सकता है.

ऐसा नहीं है कि यह बात पहली बार सामने आई है. इससे पहले भी ऐसी खबरें आई थीं, लेकिन तब तक कहा जा रहा था कि सरकार और एलआईसी साथ मिलकर आईडीबीआई में 65 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकते हैं. मौजूदा समय में दोनों के पास कुल मिलाकर आईडीबीआई में 94 फीसदी हिस्सेदारी है. 30 जून तक के आंकड़ों के अनुसार इसमें 45.48 फीसदी हिस्सेदारी मोदी सरकार के पास है, जबकि 49.24 फीसदी हिस्सेदारी एलआईसी के पास है.

आईडीबीआई के शेयरों पर असर

दोपहर 12 बजे तक आई़डीबीआई बैंक के शेयर में करीब 1 फीसदी की तेजी देखी जा रही है. इसी के साथ शेयर 44 रुपये के करीब पहुंच चुका है. दोपहर तक के कारोबार में एक वक्त ऐसा भी आया जब शेयर 44.30 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा. 6 जुलाई के बाद से इस शेयर में तगड़ी तेजी देखी गई है. 6 जुलाई को ये शेयर 30 रुपये के करीब था और महज दो ही महीनों में शेयर 46 फीसदी उछलकर 44 रुपये पर आ गया है.

कहां तक पहुंची सरकार की निजीकरण की तैयारियां

मोदी सरकार को 2021-22 में निजीकरण से 13,561 करोड़ रुपये मिले थे. यह सरकार के कुल 1.72 लाख करोड़ रुपये के टारगेट का सिर्फ 8 फीसदी था. अब मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए निजीकरण का टारगेट 65 हजार करोड़ रुपये रखा है. यानी पिछले साल की तुलना में टारगेट को एक तिहाई कर दिया गया है. इसमें भी 20,560 करोड़ रुपये तो एलआईसी के आईपीओ से ही मिल चुके हैं, यानी सरकार ने अपना करीब एक तिहाई टारगेट हासिल कर लिया है.

बजट में हुई थी दो बैंकों के निजीकरण की बात

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए 2022 में दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करने की घोषणा की थी. वहीं नीति आयोग ने कहा है कि इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए. हालांकि, सरकार ने अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है कि किस बैंक का निजीकरण किया जाएगा. वित्त मंत्री ने तो एक बीमा कंपनी को भी बेचने की बात कही थी. दो बड़े अर्थशास्त्रियों ने तो यह कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर बाकी सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए.