फटाफट पढ़ें इस हफ्ते की टॉप 5 स्टोरीज़!
यहाँ संक्षेप में रखीं इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़ के साथ दिये गए लिंक पर क्लिक पर आप उन्हें विस्तार से पढ़ सकते हैं।
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पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
देश में 59 चीनी ऐप्स के बैन के बाद अब भारतीय ऐप्स के लिए यह गोल्डन पीरियड है और इस पर ज़ोर देते हुए केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने योरस्टोरी के डिजिटल इंडिया टाउनहॉल में अपनी बात और उससे जुड़े सुझाव बड़े ही विस्तार से रखे। वहीं दूसरी ओर सरकार की योजनाओं को जन-जन तक ले जाने का महत्वपूर्ण काम आज ‘राजमंच’ संस्था कर रही है, जो देश के 22 से अधिक राज्यों में अपने काम से लोगों को लाभ पहुंचा रही है।
ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण स्टोरीज़ इस हफ्ते प्रकाशित हुई हैं, जिन्हे आपको जरूर पढ़ना चाहिए। हम यहाँ आपको उन स्टोरीज़ की एक झलक दे रहे हैं, जिनके साथ दिए गए लिंक पर क्लिक कर उन स्टोरीज़ को विस्तार से पढ़ सकते हैं।
'यह भारतीय ऐप्स का समय है'
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YourStory के डिजिटल इंडिया टाउन हॉल में टेक आंत्रप्रेन्योर्स के साथ बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
भारत सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान के पाँच साल पूरे होने के मौके पर योरस्टोरी के डिजिटल इंडिया टाउनहॉल में शामिल हुए केन्द्रीय मंत्री रविशंकर ने यह स्पष्ट तौर पर कहा कि देश से 59 चीनी ऐप्स के बैन हो जाने के बाद अब यह भारतीय ऐप्स के चमकने के लिए एकदम सही समय है।
उन्होने इसी के साथ कहा,
“इंडिया में ऐप डाउनलोड बहुत होता, इंडिया में अपलोड नहीं होता लेकिन मुझे विश्वास है कि भारतीय स्टार्टअप इसे कर सकते हैं। हमारे पास क्षमता है और मैं स्टार्टअप से ऐसा करने की अपील करता हूं।”
आप इधर क्लिक कर यह पूरी स्टोरी विस्तार से पढ़ सकते हैं। गौरतलब है योरस्टोरी के डिजिटल इंडिया टाउनहॉल में केन्द्रीय मंत्री के साथ देश के बड़े टेक आंत्रप्रेन्योर्स भी शामिल हुए थे।
सरकार की योजनों को कर रहे प्रभावी

राजमंच और न्यायकर्ता के संस्थापक शुभम शर्मा
केंद्र और राज्य सरकारें जनता के हित में लगातार फैसले लेते हुए नीतियों और योजनाओं का निर्माण करती रहती हैं, लेकिन कई बार इन योजनाओं के बारे में आम जनता (खास तौर पर ग्रामीण आँचल) तक जानकारी सही ढंग से नहीं पहुँच पाती है या पहुँच ही नहीं पाती है और यह खाईं उन योजनाओं के प्रभाव को भी कम कर देती है। यूं तो केंद्र और राज्य सरकारें अपनी योजनाओं के प्रचार के लिए हर संभव कदम उठाती रहती हैं, लेकिन इस बीच एक संस्था ऐसी भी है जो इस दिशा में बड़े ही सक्रिय और प्रभावी तरीके से काम कर रहा है।
इस दिशा में सक्रिय तौर पर काम रही राजमंच संस्था और सोशल स्टार्टअप न्यायकर्ता दोनों आज यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश के हर हिस्से तक लोगों के पास सरकार की योजनाओं और लोगों के हित में उठाए गए कदमों की जानकारी पहुंचे, साथ ही उन्हे परेशानी के दौरान जरूरी राय और उचित सहायता भी मिल सके। इस दिशा में आगे बढ़ रहे इस सोशल स्टार्टअप के बारे में आप इधर विस्तार पढ़ सकते हैं।
नवजात को मिले कमाल की नैप
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नैपनैप टीम
नवजात शिशुओं के लिए अच्छी नींद नए माता-पिता के लिए एक चुनौती सी बन जाती है, क्योंकि जब बच्चा अच्छे से सो नहीं पता है तब वह अधिक रोता है और परेशान करता है, लेकिन इस समस्या का समाधान एक स्टार्टअप ने निकाल लिया है और उसके उत्पाद के जरिये नवजात बच्चे अच्छी नींद ले पा रहे हैं।
साल 2017 में शुरू हुए नैपनैप नाम के इस स्टार्टअप ने नैपनैप मैट ईजाद की है, जो एक पोर्टेबल गद्दा है, जिसमें माँ के गर्भ के भीतर के माहौल की नकल की गई है जिससे बच्चे को बेहद जल्द सोने में मदद मिलती है। इस स्टार्टअप और उसके इस बेहद खास उत्पाद के बारे में आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
बना रहे हैं सुरक्षा उपकरण
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राजेश निगम, को-फाउंडर और अध्यक्ष, करम
आज जब कोरोना वायरस महामारी के बीच फ्रंटलाइन पर खड़े स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पीपीई किट अनिवार्य है, आईआईटी कानपुर से पढ़ाई कर चुके हेमंत की कंपनी करम आज बड़े पैमाने पर पीपीई का निर्माण करती है, जो आज फ्रंटलाइन में खड़े स्वास्थ्यकर्मियों समेत कई उद्योगों से जुड़े कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपकरणों का निर्माण करती है।
इस कंपनी के सह-संस्थापक राजेश ने महज 2 लाख रुपये के निवेश के साथ यह कंपनी खड़ी की थी, जो आज 520 करोड़ के राजस्व और 3300 से अधिक सदस्य वाली एक मजबूत फर्म है। हेमंत और इस कंपनी के बारे में आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
संक्रमण से बचाएगा डोर ओपनर
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COVID-19 ने लोगों को अपने परिवेश को लेकर सावधान कर दिया है। यह बीमारी किसी सतह या किसी वस्तु को छूने से फैल सकती है जैसे कि दरवाजे की कुंडी, टेबल इत्यादि और यदि कोई व्यक्ति उसे चुने के बाद अपने मुंह, नाक या आंखों को छूता है, तो उसके भीतर इस वायरस के प्रवेश की संभावना बढ़ जाती है। हर दरवाजे को उतने ही सामान्य ढंग से छूते हैं, जितना हम अपने चेहरे को छूते हैं, लेकिन आज यह बेहद जोखिम भरा है।
लोगों को इससे बचाने के लिए इंदौर स्थित Tuchware Systems & Solutions आज स्वचालित डोर ओपनर के साथ आया है। अमोल बोयाटकर और राहुल सिंह द्वारा 2016 में स्थापित Tuchware आतिथ्य उद्योग के लिए इंटरनेट-आधारित इलेक्ट्रॉनिक और आरएफआईडी लॉकिंग समाधानों का निर्माण कर रहा है। इस स्टार्टअप और इसके उत्पाद के बारे में आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।