Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मैं, मेरा बचपन और गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी...

हर बार गणतंत्र दिवस कुछ पुरानी यादों को भी ताजा कर जाता है. यादें उस दौर की, जब 26 जनवरी हमारे लिए आज से कहीं ज्यादा एनर्जेटिक हुआ करती थी....

मैं, मेरा बचपन और गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी...

Thursday January 26, 2023 , 5 min Read

26 जनवरी...भारत का गणतंत्र दिवस (Republic Day of India). साल 1950 में आज की ही तारीख पर भारत का संविधान लागू हुआ था. गौर करेंगे तो पाएंगे कि 15 अगस्त के बाद 26 जनवरी ही वह दिन है, जब देशभक्ति की भावना खून में एक अलग ही उबाल मारती है. हर तरफ राष्ट्रप्रेम की बयार चल रही होती है. फिर चाहे वह घर हो, स्कूल हो, कॉलेज हो, ऑफिस हो या फिर बाजार...हर तरफ एक निराली ही छटा बिखरी रहती है. कहीं तिरंगे लहरा रहे होते हैं तो कहीं तिरंगे के रंगों वाले गुब्बारे, रिबन, या कपड़ों से की गई सजावट दिख रही होती है. इतना ही नहीं इस दिन आसमान में पतंगें भी उड़ती दिख जाती हैं.

अरे रुकिए, देश​भक्ति की बात चले और इससे जुड़े गानों का जिक्र न हो, ऐसा कैसे हो सकता है. आज का दिन कुछ खास है, इसका अहसास कराने में हमारी बॉलीवुड की देशभक्ति वाली फिल्मों के गाने कहां पीछे हैं, जिनके बोल सुबह से ही आपके कानों में पड़ने लगते हैं...

हर बार गणतंत्र दिवस कुछ पुरानी यादों को भी ताजा कर जाता है. यादें उस दौर की, जब 26 जनवरी हमारे लिए आज से कहीं ज्यादा एनर्जेटिक हुआ करती थी. उस छोटी उम्र में भले ही हमें इस दिन के मायने, खासियत अच्छे से पता नहीं थे लेकिन फिर भी इस दिन सुबह से ही उत्साह का एक अलग ही संचार जिंदगी में दिखा करता था. इसकी एक वजह थी कि अक्सर 26 जनवरी पर घर में कुछ स्पेशल बनता था. क्यों? क्योंकि 26 जनवरी हुआ करती थी. दूसरी वजह थी गणतंत्र दिवस की परेड, झांकियां और उस दिन टीवी पर आने वाली फिल्में.

स्कूल में बहुत ज्यादा और बड़े लेवल के सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होते थे. तो बचपन में हमारे कई गणतंत्र दिवस छुट्टी के तौर पर घर में ही बीते. कभी कड़कड़ाती ठंड, घने कोहरे की वजह से भी ऐसा हुआ. जब कभी 26 जनवरी को स्कूल जाना हुआ करता था तो ज्यादा से ज्यादा एक-सवा घंटे के बाद घर वापसी हो जाती थी.

ब्लैक एंड व्हाइट टीवी और दूरदर्शन

बचपन में घर में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी हुआ करती थी, जिसमें केबल कनेक्शन नहीं था. एंटीना था, जिसकी मदद से केवल दूरदर्शन आता था. दूरदर्शन और हमारा नाता टीवी के माध्यम से काफी लंबे वक्त तक रहा और शायद यही वजह है कि आज भी दूरदर्शन की दिल में एक खास जगह है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गणतंत्र दिवस परेड का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर ही होता है. दिल्ली के राजपथ से लाइव. वैसे बता दें कि अब राजपथ का नाम कर्तव्य पथ हो चला है.

तो 26 जनवरी पर सुबह से ही घर में परेड देखने का प्रोग्राम फिक्स रहता था. भगवान से प्रार्थना रहती थी कि लाइट न कटे, ताकि गणतंत्र दिवस परेड और फिल्में न छूटें. इस दिन वैसे तो लाइट नहीं ही जाती थी या कम जाती थी, लेकिन अगर कभी परेड या फिल्म के दौरान चली जाती थी तो उदास होकर मुंह लटका लेने के अलावा और कुछ किया भी नहीं जा सकता था. इन्वर्टर या जनरेटर था नहीं तो बस यही मनाते रहते थे कि लाइट, चली तो गई हो लेकिन प्लीज जल्दी से वापस आ जाना.

राष्ट्रपति की एंट्री और हमारा बेड पर जम जाना

खैर...गणतंत्र दिवस परेड कब शुरू होगी...बचपन में यह सवाल टीवी खोलकर बैठने के बाद से ही शुरू हो जाता था. अब वह अलग बात है कि वक्त से कुछ मिनट पहले ही टीवी शुरू कर देते थे और फिर घरवालों को पूछ-पूछ कर परेशान करते थे. दो-तीन बार परेड देखने के बाद समझ आ गया कि परेड बस शुरू ही होने वाली है, यह कैसे पता चलता है. चूंकि गणतंत्र दिवस परेड की सलामी भारत के राष्ट्रपति लेते हैं तो प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत सभी लोग पहले से आकर उनका इंतजार करते हैं. एकदम सटीक वक्त पर राष्ट्रपति भवन से घुड़सवारों की टुकड़ियां परेड स्थल पर एंट्री करती हैं और इन्हीं के साथ एंट्री होती है राष्ट्रपति की गाड़ी की. जैसे ही राष्ट्रपति आ जाते थे, हम बेड पर एकदम जमकर बैठ जाते थे कि बस अब यहां से हिलना नहीं है.

republic-day-2023-26th-january-and-childhood-memories-74th-republic-day-of-india-republic-day-parade-bollywood-movies-on-patriotism

Image taken from Wikipedia

राज्यों की झांकियों का इंतजार

गणतंत्र दिवस परेड में सैन्य टुकड़ियों के मार्च पास्ट के दौरान हर टुकड़ी में सभी के हाथ और पैर एक साथ हवा में उठना और नीचे आना, कदमों का एक बराबर दूरी में पड़ना, राष्ट्रपति को सैल्यूट का तरीका...सब कितना परफेक्ट रहता है. सैन्य टुकड़ियों, आर्म्ड फोर्सेज के बैंड; मिसाइल, टैंक, रॉकेट, जैसे हथियारों आदि के प्रदर्शन के बाद आता है वह पल, जब विभिन्न प्रदेशों की झांकियां राजपथ से गुजरती हैं. बचपन में जैसे ही झांकियों की एंट्री होती थी, उत्साह और ललक और बढ़ जाती थी. किस राज्य की क्या खासियत है, वहां का क्या फेमस है, यह तो बहुत ज्यादा पता नहीं था लेकिन फिर भी हर पार्टिसिपेटिंग झांकी को जिज्ञासा के साथ देखा जाता कि क्या दिखने वाला है. अपने राज्य की झांकी का तो खास तौर पर इंतजार रहता.

बाइक्स पर दिखाए जाने वाले करतब, फॉर्मेशंस, आसमान में फाइटर जेट्स के करतब और फॉर्मेशंस, आंखों में चमक ला देते. कभी-कभी तो ऐसा भी लगता था कि काश हम भी कुछ ऐसा कर जाएं कि राजपथ की इस परेड का हिस्सा बन सकें. या फिर कुछ ऐसा कि हम भी हाथी पर आने वाले वीरता पुरस्कार प्राप्त बच्चों में शामिल हो सकें...

इंतजार कि कौन सी फिल्म आएगी...

गणतंत्र दिवस परेड खत्म हो जाने के बाद इंतजार रहता, उस दिन दूरदर्शन पर आने वाली फिल्म का. मजा तब दोगुना हो जाता, जब हमारी फेवरेट्स की लिस्ट में से ही कोई फिल्म आ जाती, जैसे कि क्रांति, तिरंगा, कर्मा, मिस्टर इंडिया, क्रांतिवीर वगैरह-वगैरह. अगर कभी 26 जनवरी पर दो फिल्में आ गईं तो फिर तो बस सोने पर सुहागा...मौजा ही मौजा...

खैर..हम ने तो 74वें गणतंत्र दिवस (74th Republic Day) के मौके पर 26 जनवरी से जुड़ीं कुछ खूबसूरत पुरानी यादें ताजा कर लीं. आप भी इस दिन को अपने तरीके से सेलिब्रेट कीजिए. जाते-जाते आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...वंदेमातरम्, जय हिंद...