Startup India Seed Fund Scheme के तहत 133 इनक्यूबेटरों को 477.25 करोड़ रुपये मंजूर
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (Startup India Seed Fund Scheme - SISFS) के तहत 133 इनक्यूबेटरों को 477.25 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं. इनमें से 31 दिसंबर 2022 तक 211.63 करोड़ रुपये का वितरण किया जा चुका है. हाल ही में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने संसद में एक प्रश्न के उत्तर में इस बात की जानकारी दी. बता दें कि SISFS स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत शुरू की गई एक प्रमुख योजना है और 1 अप्रैल 2021 से प्रभावी रूप से लागू की गई है.
स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत प्रमुख योजनाएं हैं — फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्टअप्स (Fund of Funds for Startups - FFS), स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (Startup India Seed Fund Scheme - SISFS) और क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर स्टार्टअप्स (Credit Guarantee Scheme for Startups - CGSS). ये योजनाएं स्टार्टअप्स को उनके बिजनेस की अलग-अलग स्टेप्स में सहायता प्रदान करती हैं. इसके बाद स्टार्टअप, एंजेल निवेशकों (angel investors) या उद्यम पूंजीपतियों (venture capitalists) से निवेश जुटाने या वाणिज्यिक बैंकों या वित्तीय संस्थानों से लोन लेने में सक्षम होते हैं.
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) को 2021-22 से 4 साल की अवधि के लिए 945 करोड़ रुपये के कोष के साथ मंजूरी दी गई है. SISFS के तहत, योजना के प्रावधानों के अनुसार, सरकार ने एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (Experts Advisory Committee - EAC) का गठन किया है जो SISFS के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिए जिम्मेदार है. ईएसी योजना के तहत धन के आवंटन के लिए इनक्यूबेटरों का मूल्यांकन और चयन करता है. चयनित इन्क्यूबेटरों ने योजना दिशानिर्देशों में उल्लिखित कुछ मापदंडों के आधार पर स्टार्टअप्स को शॉर्टलिस्ट किया जाता है.
गौरतलब हो कि देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम में इनोवेशन, स्टार्टअप और निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के इरादे से सरकार ने 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल शुरू की थी.
सरकार राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग (States’ Startup Ranking), राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार (National Startup Awards) और नवाचार सप्ताह (Innovation Week) सहित प्रमुख वार्षिक अभ्यास और कार्यक्रम भी लागू करती है जो स्टार्टअप इकोसिस्टम के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सरकार हितधारकों के परामर्श के माध्यम से व्यापार करने में आसानी बढ़ाने और स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए अनुपालन (compliance) बोझ को कम करने के लिए नियामक और नीति संबंधी सिफारिशें मांगती है. सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की भागीदारी और जुड़ाव की सुविधा भी देती है.
सरकार ने व्यापार करने में आसानी बढ़ाने (ease of doing business), पूंजी जुटाने और अनुपालन बोझ को कम करने के लिए कई उपाय भी किए हैं.
सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार, “स्टार्टअप को किसी अन्य केंद्र या राज्य सरकार की योजना के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की मौद्रिक सहायता नहीं मिलनी चाहिए. इसमें प्रतियोगिताओं और भव्य चुनौतियों, रियायती कार्य स्थान, संस्थापक मासिक भत्ता, प्रयोगशालाओं तक पहुंच, या प्रोटोटाइप सुविधाओं तक पहुंच से पुरस्कार राशि शामिल नहीं है."
कंपनी अधिनियम, 2013 और SEBI (ICDR) विनियम, 2018 के अनुसार, इस योजना के लिए इनक्यूबेटर के लिए आवेदन के समय स्टार्टअप में भारतीय प्रमोटरों की हिस्सेदारी कम से कम 51% होनी चाहिए.