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देश के सबसे बड़े दानी बने एचसीएल कंपनी के फाउंडर शिव नादर

देश के सबसे बड़े दानी बने एचसीएल कंपनी के फाउंडर शिव नादर

Tuesday October 22, 2019 , 3 min Read

अर्थव्यवस्था में सुस्ती से देश के सौ धनकुबेरों की पूंजी में भले ही आठ फीसदी की गिरावट आई हो, एडलगिव हुरुन इंडिया ने परोपकारियों की एक ताज़ा लिस्ट में खुलासा किया है कि आईटी सेक्टर की कंपनी एचसीएल के फाउंडर शिव नादर परमार्थ के लिए 826 करोड़ रुपए दान देकर देश के सबसे बड़े दानी हो गए हैं। 

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एडलगिव हुरुन इंडिया की ओर से जारी ताज़ा परोपकारियों की लिस्ट-2019 में खुलासा किया गया है कि आईटी सेक्टर की कंपनी एचसीएल के फाउंडर शिव नादर परमार्थ के लिए 826 करोड़ रुपए देकर देश के सबसे बड़े दानी हो गए हैं। उनके बाद अजीम प्रेमजी ने 453 करोड़ रुपए और मुकेश अंबानी ने 402 करोड़ रुपये दान किए हैं।


भारत में कॉर्पोरेट जगत लंबे समय से सामाजिक कार्यों के लिए भारी राशियां दान करता आ रहा है, लेकिन वर्ष 2013 में कंपनी कानून में बदलाव कर अपने मुनाफे का दो फीसदी रकम कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पर खर्च करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस कानून में एक निश्चित सीमा से अधिक कारोबार करने या मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के लिए सीएसआर पर खर्च करना जरूरी कर दिया गया है। परोपकारी लोगों की इस सूची में कंपनियों द्वारा दी गई जानकारी और साक्षात्कार भी शामिल किए गए हैं। 


यद्यपि सर्वे के नतीजों पर रोशनी डालते हुए एडलगिव फाउंडेशन की सीईओ विद्या शाह का कहना है कि अब भी कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनकी वजह से उद्यमियों के मन में परोपकार के लिए अधिक धन देने को लेकर संशय रहता है। भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी भले ही सबसे बड़े अमीर हों, दान दाता कंपनियों की कतार में वह तीसरे नंबर पर हैं। दूसरे नंबर पर विप्रो के अजीम प्रेमजी दूसरे स्थान पर हैं, जिन्होंने परोपकार के लिए 21 अरब डॉलर देने की घोषणा की है।





इस समय हमारे देश में सामाजिक कार्यों के लिए पांच करोड़ रुपये से अधिक धन देने वाले भारतीयों की संख्या बढ़कर 72 हो चुकी है। पिछले साल यह संख्या 38 थी। इस अवधि में परमार्थ कार्यों के लिए दी गई राशि दोगुना होकर 4,391 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। उसमें से करीब आधी राशि व्यक्तिगत दान से मिली। बाकी राशि का योगदान कंपनियों का रहा। 


अमीर दानदाता अपनी सर्वाधिक परमार्थ राशि एजुकेशन सेक्टर, उसके बाद हेल्थ सेक्टर पर खर्च कर रहे हैं। इंफोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकणी इन क्षेत्रों में 346 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं। इस बीच, यह भी गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती का असर देश के बड़े अमीरों की संपत्ति पर भी पड़ा है। देश के 100 धनकुबेरों की संपत्ति में 8 फीसदी की गिरावट आई है।


फोर्ब्स इंडिया की ताज़ा सूची में बताया गया है कि 14 अमीरों की संपत्ति 1 अरब डॉलर से अधिक कम हो गई है। इस गिरावट में एक बड़ा योगदान अजीम प्रेमजी की दानराशि का है। मार्च में अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान करने के बाद वह अमीरों की सूची में दूसरे स्थान से खिसक कर 17वें नंबर पर चले गए हैं। पतंजलि आयुर्वेद की बिक्री में कमी की वजह से आचार्य बालकृष्ण की संपत्ति में भी दो तिहाई से अधिक की गिरावट दर्ज हुई है।