श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से इन राज्यों में सबसे अधिक पहुंचे मजदूर
आंकड़ों के मुताबिक श्रमिकों को लेकर सबसे अधिक रेलगाड़ियां बिहार पहुंची हैं। यहां अबतक 13 विशेष रेलगाड़ियों से श्रमिक पहुंच चुके हैं।
नयी दिल्ली, कोरोना वायरस का संकमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से देशभर के विभिन्न इलाकों में फंसे प्रवासी कामगारों को उनके गृह प्रदेश में पहुंचाने के लिए रेलवे द्वारा चलाई जा रहीं श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से सबसे अधिक श्रमिक बिहार पहुंचे जबकि पश्चिम बंगाल के, अपने राज्य लौटने वाले कामगारों की संख्या सबसे कम है।
यह जानकारी ‘‘ पीटीआई-भाषा’’ को मिले आंकड़ों से सामने आई। अधिकारियों ने संकेत दिया कि पश्चिम बंगाल दूसरे राज्यों में फंसे अपने कामगारों की वापसी को बाधित कर रहा है।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद और राज्यसभा में पार्टी नेता डेरेक के ओ ब्रायन ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने केंद्र पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात से सबसे प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्यों को लौटे हैं जहां से अबतक 35 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां चलाई गई हैं। इसके बाद केरल का स्थान है जहां से 13 ऐसी विशेष रेलगाड़ियां रवाना हुई हैं।
प्रत्येक रेलगाड़ी में अधिकतम 1,200 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है और अबतक ऐसी 67 रेलगाड़ियों का संचालन किया गया जिनमें सवार होकर करीब 67 हजार प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्यों तक पहुंचे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक श्रमिकों को लेकर सबसे अधिक रेलगाड़ियां बिहार पहुंची हैं। यहां अबतक 13 विशेष रेलगाड़ियों से श्रमिक पहुंच चुके हैं जबकि 11 रेलगाड़ियां अब भी रास्ते में हैं एवं छह विशेष रेलगाड़ी का परिचालन प्रक्रिया में है।
पड़ोसी उत्तरप्रदेश में अबतक 10 विशेष रेलगाड़ियां पहुंच चुकी हैं जबकि पांच और श्रमिक विशेष रेलगाड़ी रास्ते में है एवं 12 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों का परिचालन प्रक्रिया में है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक केवल दो विशेष रेलगाड़ियों को ही मंजूरी दी है जिनमें से एक राजस्थान से और दूसरी केरल से रवाना हुई हैं और अभी रास्ते में हैं।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
‘‘एक ओर अन्य राज्य देश के दूसरे हिस्सों से अपने कामगारों को वापस बुला रहे हैं वहीं पश्चिम बंगाल इस प्रक्रिया को बाधित कर रहा है। दो रेलगाड़ी - ठाणे से शालीमार (हावड़ा के नजदीक) और बेंगलुरु से हावड़ा- को आज रवाना होना है लेकिन इन रेलगाड़ियों को जहां से प्रस्थान करना है वहां की सरकारों के दबाव के बावजूद राज्य सरकार ने मंजूरी नहीं दी है।’’
उन्होंने बताया, राजस्थान की भी अपने प्रवासी कामगारों को स्वीकार करने की गति कम है। केवल तीन रेलगाड़ियां ही अबतक राज्य सरकार ने स्वीकार की है जो इस समय रास्ते में हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद और राज्यसभा में पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल सहित सभी राज्य कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। दुर्भाग्य से केंद्र सरकार अपने विभिन्न मंत्रालय के जरिये गैर-भाजपा शासित राज्यों से लड़ रही है और उन्हें बदनाम कर रही है।’’
ब्रायन ने कहा,
‘‘राज्य योजना को लागू करने वाला प्राधिकार है। हम यह कार्य कर रहे हैं। यह समय राजनीति करने का नहीं है, नहीं तो हम भी पूछेंगे की महज चार घंटे के नोटिस पर 21 दिनों का लॉकडाउन क्यों घोषित किया गया।’’
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, पश्चिम बंगाल देश का चौथा राज्य है जहां से सबसे अधिक कामगार रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में गए।
वर्ष 2001 से 2011 के बीच पश्चिम बंगाल के करीब 5.8 लाख लोगों ने रोजगार के लिए राज्य से पलायन किया जो उत्तर प्रदेश (37.3 लाख), बिहार (22.6 लाख) और राजस्थान (6.6 लाख) के बाद सबसे अधिक है।
आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड ने चार विशेष रेलगाड़ियों को स्वीकार किया जबकि राज्य के श्रमिकों को लेकर आ रही पांच अन्य रेलगाड़ियां रास्ते में है। झारखंड के लिए दो श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों को चलाने की प्रक्रिया चल रही है।
ओडिशा में श्रमिकों को लेकर अबतक सात रेलगाड़ियों को आई हैं और पांच रास्ते में हैं जबकि एक रेलगाड़ी का परिचालन प्रक्रिया में है।