बीते हफ्ते की कुछ महत्वपूर्ण कहानियाँ, जो हमें प्रेरणा के साथ ही कुछ जरूरी टिप्स भी देती हैं
बीते हफ्ते हमने कई कहानियाँ और लेख प्रकाशित किए, लेकिन उनमे कुछ कहानियाँ ऐसी भी रहीं जो हम सभी को प्राभवित करने के साथ ही प्रेरणा भी देती हैं। इसी के साथ कुछ लेख में आपको आम जरूरतों और वित्तीय प्रबंधन संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी भी उपलब्ध कराई गई।
बीते हफ्ते हमने कई लेख प्रस्तुत किए, उनमे से कई कहानियों ने सफलता के साथ प्रेरणा का भी संचार किया। कई लेख ऐसे भी रहे जिन्होने वित्तीय प्रबंधन जैसी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कई विकल्प पेश किए।
नीचे ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण कहानियों का संक्षिप्त विवरण है, जो बीते हफ्ते प्रकाशित हुई हैं।
'कल्कि' से लड़कियां सीख रही हैं आत्मरक्षा में गुर
साल 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने गौरव को एक जरूरी पहल शुरू करने पर मजबूर कर दिया, आज गौरव लड़कियों और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहे हैं। गौरव ने अभी तक ढाई लाख से भी अधिक लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिग दी है।
गौरव खुद भी 9 तरह की मार्शल आर्ट्स में पारंगत हैं, जिसकी मदद से गौरव ने खुद भी ‘कल्कि’ नाम की एक मार्शल आर्ट ईजाद की है, जिसे आसानी से सीख कर महिलाएं जरूरत पड़ने पर अपनी रक्षा खुद भी कर सकती हैं। गौरव ‘कल्कि-आर्ट ऑफ सेल्फ डिफेंस’ नाम का एक एनजीओ चलाते हैं, जिसके बैनर तले वो महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हैं।
गौरव अभी तक रूस, थाईलैंड और भारत में सुरक्षाबलों को भी ट्रेनिंग दे चुके हैं। गौरव को उनके काम के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी सम्मान मिल चुका है।
इस मुहिम के संदर्भ में गौरव कहते हैं,
“आज देश में ‘बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ’ की मुहिम चल रही है, जिसमें बेटी पढ़ाओ तो आगे बढ़ रहा है, लेकिन बेटी बचाओ को लेकर अभी भी लोग जागरूक नहीं है, ऐसे में जब बेटी बचेगी ही नहीं तो वो पढ़ेगी कैसे?”
निवेश के ये विकल्प आएंगे काम
आज बचत अधिक बचत के लिए निवेश पर लोग अधिक ध्यान दे रहे हैं, इनमे से कुछ तरीके अधिक लोकप्रिय हैं, जैसे म्यूचुअल फंड्स और शेयर बाज़ार लेकिन कई ऐसे अन्य तरीके भी हैं, जिनमें निवेश के साथ आप अधिक रिटर्न कमा सकते हैं।
निवेश का सही माध्यम तलाशना सबसे महत्वपूर्ण है। एक बेहतर निवेश विकल्प आपको अनुशासित होने एक साथ ही आर्थिक स्वतन्त्रता भी प्रदान करता है।
निवेश के इन तरीकों के बारे में जानकारी आपको इधर मिल जाएगी, जिनकी मदद से आप बचत को लेकर अपने लिए बेहतर योजना तैयार कर सकते हैं।
हम सभी को आश्चर्य होता है कि हम बिना ज्यादा मेहनत किए कैसे पैसा कमा सकते हैं। हालांकि, अमीर बनने की दिशा में कुछ ही लोग घुमावदार रास्ते का अनुसरण करते हैं। अमीर बनने के लिए, एक व्यक्ति के पास एक अच्छी वित्तीय योजना होनी चाहिए, उसे मालूम होना चाहिए कि वो निवेश कैसे करे?
ई-कॉमर्स 2.0 ने दे दी दस्तक
देश का बाज़ार रोजाना नए आयामों की ओर आगे बढ़ रहा है। डिजिटल क्रांति के साथ आगे बढ़ा बाज़ार ई-कॉमर्स से होते हुए ई-कॉमर्स 2.0 तक पहुँच गया है।
ई-कॉमर्स 2.0 के दिशा में कई स्टार्टअप बेहद तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, इसी लिस्ट में पंपकार्ट का भी नाम शामिल है। पंपकार्ट देश के रिपेयर बाज़ार में बड़ी दस्तक दे रहा है।
पंपकार्ट पंजाब और हिमाचल में अपने सेंटर्स खोलने जा रहा है। गौरतलब है कि भारत का रिपेयर बाज़ार 150 अरब डॉलर है, लेकिन अभी इस बाज़ार का महज 30 प्रतिशत हिस्सा ही व्यवस्थित है। पंपकार्ट इस बाज़ार में बड़ी दस्तक देने के इरादे से अपने कदमों को बड़ी तेज़ी के साथ आगे बढ़ा रहा है।
इसी के साथ पंपकार्ट ने कई राज्य सरकारों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए हैं, जिसके तहत यह स्टार्टअप उन राज्यों में नौकरियों के भी मौके पैदा करेगा।
पंपकार्ट के फाउंडर केएस भाटिया कहते हैं,
“ऐसा नहीं है कि देश में नौकरियों की कमी है, लेकिन स्किल न होने चलते हमारे युवा आज भटक रहे हैं। आज सभी उद्यमी कुशल युवाओं की तलाश में हैं, लेकिन उन्हे ऐसे युवा नहीं मिल रहे हैं।”
देशी गुड़ को मिल रही नई पहचान
जापान से अपने देश वापस आकर लोगों के सामने गुड़ को नए अंदाज़ में पेश कर रहे हैं भूपेश सैनी। भूपेश ने ‘हाउस ऑफ फार्मर्स’ नाम की एक कंपनी चला रहे, नाम के अनुरूप कंपनी का मुख्य उद्देश्य किसानों की कृषि संबंधी मदद करना है।
कंपनी अपने ब्रांड जैगिक के जरिये लोगों को नए फ्लेवर के साथ गुड़ की कैंडी पेश कर रही हैं। भूपेश की इस यात्रा में उनके बिजनेस पार्टनर नवदीप खेड़ा भी उनके साथ हैं।
कंपनी के बारे में भूपेश कहते हैं कि
“हमारी कंपनी ‘हाउस ऑफ फार्मर्स’ अपने नाम के अनुसार ही किसानों के साथ काम करना चाहती है, हम चाहते हैं किसान हमसे जुड़कर काम करें, लेकिन उससे पहले हम जैगिक को एक उत्पाद के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, ताकि हम सबके सामने एक उदाहरण पेश सकें।"
लोगों की मदद में तल्लीन हैं यह विधवा
15 साल की उम्र में शादी और महज 20 साल की उम्र में विधवा हो जाने के बाद सिफिया हनीफ कमजोर होने के बजाय और मजबूत होकर सबके सामने आईं।
सिफिया ने साल 2015 में चिथल नाम के एक धर्मार्थ ट्रस्ट की स्थापना की जिसके तहत वो अब बीमार माताओं, बूढ़े लोगों, व्यथित विधवाओं और कैंसर रोगियों की मदद करती हैं।
इन बीते 6 सालों में सिफिया ने सैकड़ों परिवारों की मदद की है। सिफिया अपने काम के लिए प्रतिष्ठित नीरजा भानोट पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं।
अपनी कहानी के बारे में बात करते हुए सिफिया कहती हैं,
"मलयालम में 'चिथल का अर्थ दीमक (termites)' होता है। इस शब्द को सुनकर ऐसा लग सकता है, जैसे इसका नकारात्मक अर्थ है, लेकिन ऐसा नहीं है। ठीक वैसे ही जब आप को बिल्कुल उम्मीद नहीं होती हैं वैसे ही दीमक दिखाई देती है, ठीक उसी प्रकार मैं भी वहां लोगों के लिए रहना चाहती हूं और उनकी सारी चिंताओं को दूर कर देना चाहती हूं।"
सिफिया की कहानी आप यहाँ पढ़ सकते हैं।