हर क्षेत्र में वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर सराहनीय काम कर रहा है हेल्थकेयर स्टार्टअप ‘वैक्सीन ऑन व्हील्स’
प्रियांशु द्विवेदी
Thursday June 25, 2020 , 5 min Read
‘वैक्सीन ऑन व्हील्स’ लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ उन लोगों तक वो ज़रूरी टीके भी पहुंचा रहा है जो आमतौर पर उन्हे उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
भारत जैसे विशाल देश में अभी भी सभी तक जरूरी टीकों की पहुँच नहीं है, ऐसे में कई बार हमें इसके बुरे परिणाम भी देखने को मिलते हैं। यूं तो सरकार की तरफ से पोलियो और खसरा जैसी बीमारियों के लिए टीकाकरण अभियान को बड़े स्तर पर संचालित किया जाता है, लेकिन फिर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने द्वारा सूचीबद्ध सभी टीके अभी भी तमाम लोगों की पहुँच से दूर हैं, हालांकि इसके पीछे तमाम कारण भी हैं।
इस बड़ी समस्या के समाधान के रूप में जिग्नेश पटेल ने 2018 में हेल्थकेयर स्टार्टअप ‘वैक्सीन ऑन व्हील्स’ की स्थापना की, जो आज देश के दूरस्थ क्षेत्रों में भी वैक्सीन की उपलब्धता और पहुँच को सुनिश्चित करने की ओर बढ़ रहा है।
कैसे हुई शुरुआत?
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद जिग्नेश ने शुरुआती दौर में कुछ स्टार्टअप में काम किया, हालांकि उसके बाद वो साल 2012 में आईबीएस हैदराबाद से एमबीए की पढ़ाई पूरी कर मारुति सुज़ुकी में अपनी सेवाएँ देने लगे। जिग्नेश मारुति सुज़ुकी के साथ सेल्स एंड मार्केटिंग पर काम कर रहे थे।
जिग्नेश बताते हैं,
“साल 2017-18 में मुझे एक तरह की असंतुष्टि का अहसास हुआ। मैं हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए कुछ अलग करना चाहता था। इसी बीच मैं वैक्सीन ऑन व्हील की अवधारणा के साथ आया और मैंने मारुति सुज़ुकी में अपनी नौकरी छोड़ दी।”
‘वैक्सीन ऑन व्हील’ के तहत टीके को लोगों के घरों तक पहुंचाने का काम किया जाता है। इसके जरिये स्कूल, कॉलेज, कॉर्पोरेट, सोसाइटी और हर उस जगह जहां लोगों की वैक्सीन तक पहुँच नहीं है, ‘वैक्सीन ऑन व्हील’ उन तक वैक्सीन पहुंचाने का काम करता है।
जिग्नेश आगे बताते हैं,
“इस क्षेत्र में आने पहले मैंने काफी रिसर्च की। मैंने हर दिन इन इंडस्ट्री के बारे में सीखने का काम किया। लोगों की जरूरत और वैक्सीन के बारे में मैंने विस्तृत जानकारी जुटाई।”
वह बताते हैं कि उन्होने कई लोगों के साथ मिलकर यह समझने की कोशिश की कि इस क्षेत्र में वास्तविक समस्याएँ क्या हैं? तब उनके सामने कई पहलू सामने निकल कर आए। उन्हे पता चला कि देश में 28 प्रतिशत जनसंख्या तक जरूरी वैक्सीन की पहुँच नहीं है।
उन्होने आगे बताया कि WHO ने जिन वैक्सीन का निर्धारण किया है, कई कारणों से वे सभी वैक्सीन को आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं। उदाहरण के तौर पर किसी बच्चे के लिए डबल्यूएचओ ने कुल 19 वैक्सीन का निर्धारण किया है, लेकिन अगर महाराष्ट्र की बात करें तो राज्य में सिर्फ बच्चों को 10 वैक्सीन ही मुफ्त में मिल पाती हैं, इससे 80 प्रतिशत जनसंख्या बची हुई वैक्सीन तक नहीं पहुँच पाती है।
जिग्नेश कहते हैं,
“इन समस्याओं पर गौर करते हुए हमने समझा कि इस क्षेत्र में एक व्यवस्थित खिलाड़ी की आवश्यकता है, जो सिर्फ वैक्सीन से जुड़ी इन समस्याओं पर ही काम करे।”
कैसे करते हैं काम?
वैक्सीन की उपलब्धता और पहुँच की जानकारी के लिए स्टार्टअप ने 5 हज़ार से अधिक घरों के साथ एक सर्वे किया था, जिसमें यह सामने आया कि 98 प्रतिशत लोग सरकारी माध्यमों से ही वैक्सीन ले रहे हैं और उनतक अतिरिक्त वैक्सीन की पहुँच नहीं है। स्टार्टअप ने इन अतिरिक्त वैक्सीन के लिए एक मासिक प्लान की शुरुआत की है, जिसमें इन सभी वैक्सीन के करीब 15 डोज़ उपलब्ध कराये जाते हैं। अन्य जगहों की तुलना में यह स्टार्टअप काफी कम दामों में लोगों तक वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है।
स्टार्टअप डॉक्टर की फीस न लेते हुए वैक्सीन की एमआरपी पर 10 प्रतिशत की छूट भी दे रहा है। इसी के साथ लोग प्लान के तहत किश्तों में पैसे दे सकते हैं। वैक्सीन की पूरी जानकारी के लिए स्टार्टअप एक कार्ड भी उपलब्ध कराता है, जिससे जरूरी वैक्सीन के बारे में पूरी जनकरी उन्हे मिल पाती है।
जिग्नेश ने बताया,
“हमने अब तक एक हज़ार से अधिक लोगों तक टीके को पहुंचाया है। हमारी सेवाएँ दिसंबर 2019 में शुरू हुई थी और लॉकडाउन होने के चलते हमारा काम भी प्रभावित हुआ है। हमारा मुख्य फोकस उन लोगों तक वैक्सीन को पहुंचाना है, जो सरकार के टीककारण अभियान से छूट गए हैं या उन्हे जरूरी वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। लोगों के बीच फिलहाल वैक्सीन को लेकर जागरूकता की भारी कमी है और हम उसे भी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। हम लड़कियों के सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी जरूरी वैक्सीन भी उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं। ”
वैक्सीन ऑन व्हील फिलहाल आईआईटी हैदराबाद के साथ मिलकर भी काम कर रहा है। वैश्विक स्तर पर ‘बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ और स्थानीय स्तर पर भी तमाम संगठनों के साथ मिलकर भी स्टार्टअप काम कर रहा है। वैक्सीन ऑन व्हील्स कॉर्पोरेट्स के लिए वैक्सीनेशन कैंप का भी आयोजन करता है।
वैक्सीन ऑन व्हील्स की खास आरवी वैन में अनुभवी डॉक्टरों की टीम, नर्स, सपोर्टिंग स्टाफ के साथ AEFI किट (इमरजेंसी किट) और रेफ्रिज़रेटर होते हैं। स्टार्टअप अभी सिर्फ पुणे में अपनी सेवाएँ दे रहा है, जहां यह टीम शहर भर में किसी भी जगह लोगों को वैक्सीन की सुविधा उपलब्ध कराने में जुटी है।
वर्तमान चुनौतियाँ
जिग्नेश बताते हैं कि स्टार्टअप सभी तरह की वैक्सीन लोगों तक उपलब्ध करा रहा है। कोरोना वायरस का प्रभाव ‘वैक्सीन ऑन व्हील्स' पर भी पड़ा है। स्टार्टअप को अब लोगों वैक्सीन के साथ जानकारी उपलब्ध कराने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जिग्नेश बताते हैं,
“महामारी के इस दौरान में भी हम कोविड के सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोगों तक सेवाएँ पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।”
भविष्य की योजनाएँ
जिग्नेश के अनुसार स्टार्टअप का मिशन साल 2025 तक 100 से अधिक शहरों तक पहुंचना है, वहीं अगले तीन से चार सालों में देश के सभी बड़े शहरों को कवर करना है। स्टार्टअप लॉकडाउन के बाद मुंबई, नवी मुंबई, नासिक और ठाणे में अपनी सेवाओं को शुरु करने की दिशा में अपने कदम बढ़ा रहा है।