Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

वॉटर गांधी से जर्मन, जापानी, अमेरिकी भी सीख रहे पानी बचाने के उपाय

वॉटर गांधी से जर्मन, जापानी, अमेरिकी भी सीख रहे पानी बचाने के उपाय

Saturday June 29, 2019 , 5 min Read

पांच सौ झीलें और एक लाख बोरवेल रिचार्ज करने पर कर्नाटक के गांव गडाग निवासी 'वॉटर मैजीशियन' अयप्पा मसागी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। उन्हे कर्नाटक के लोग 'पानी का डॉक्टर', 'वॉटर गांधी' भी कहते हैं।


ayappa masagi

अयप्पा मसागी

दक्षिण के जो भी राज्य अवर्षण और पानी के संकट से जूझ रहे हैं, उनमें एक कर्नाटक भी है। उसी कर्नाटक के हैं, 'पानी का डॉक्टर', 'वॉटर मैजीशियन', 'वॉटर गांधी' कहे जाने वाले अयप्पा मसागी, जिन्होंने अपने खेत को ही 'रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब' बना दिया। पांच सौ झीलें और एक लाख बोरवेल रिचार्ज करने पर अयप्पा मसागी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके है।


इस समय पानी के गंभीर संकट से दो-दो हाथ कर रहे कर्नाटक के उडुपि जिले के कई सरकारी स्कूलों में पानी के कारण हाल ही में बच्चों को मिड-डे मील देना तक बंद कर दिया गया है। स्कूल समय में भी कटौती कर दी गई है। पीने के पानी की कमी के बीच कुछ दिन पहले से किसानों ने सिंचाई के पानी के लिए प्रदर्शन शुरू कर दिया है। मांग है कि कावेरी और हेमवती नदियों का पानी नहरों में छोड़ा जाए। मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी कहते हैं कि केंद्र सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) का गठन किया है। इस प्राधिकरण ने कर्नाटक सरकार को आदेश दिया है कि 9 टीएमसी पानी तमिलनाडु को दिया जाए।


महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि वह तब कनार्टक के साथ जल समझौता नहीं करेगी, जब तक कनार्टक की तरफ से लंबित आपूर्ति के उसके 600 मिलियन क्यूबिक फीट पानी की वापसी नहीं की जाती है। इस बीच कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डॉ. जी परमेश्वर ने कहा है कि सरकार पानी के गहरे संकट को देखते हुए बहुमंजिली आवासीय इमारतों के निर्माण पर पांच साल के लिए पाबंदी लगाने की सोच रही है।


बिल्डर ऐसे भवनों में रह रहे लोगों को पानी नहीं दे रहे हैं। पानी के स्रोत सूखने से लोग टैंकरों पर निर्भर हो गए हैं। उधर, कर्नाटक भाजपा प्रमुख बीएस येदियुरप्पा जल संकट को लेकर मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी पर निशाना साध रहे हैं। राज्य के ऐसे गंभीर हालात में 'पानी के डॉक्टर' अयप्पा मसागी को भला कैसे भुलाया जा सकता है।


एक वक़्त में अयप्पा मसागी ने कर्नाटक के अपने पैतृक गांव गडाग में छह एकड़ जमीन खरीद कर उसे ही 'रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब' बना दिया था। मसागी धरती को एक बड़ा फिल्टर मानते हैं। वे पानी को संग्रहित करते हैं और उसे जमीन में उतार देते हैं। इसके लिए पहले एक बड़े गड्ढे में बड़े पत्थर, बजरी, रेत और कीचड़ की मदद से एक स्ट्रक्चर खड़ा करते हैं। जब पानी गिरता है तो यह पानी बजरी और रेत से होता हुआ नीचे तक जाता है और भूमि को रिचार्ज करता है। वह प्रति एकड़ आठ ऐसी संरचना बनाते हैं। इसमें बारिश का पानी जमा होने लगता है।




कुछ साल पहले की बात है, पांच एकड़ जमीन के मालिक मुनी नागप्पा 21 बोरवेल सूख जाने के कारण ऐसा मान चुके थे कि अब खेती नहीं हो पाएगी। तभी उनके बेटे ने एक किसान सम्मेलन में किसी 'वॉटर डॉक्टर' के बारे में सुना। दोनों इस 'वॉटर डॉक्टर' से मिले। पानी तीन दिन में गांव के तमाम बोरिंग में जमा होने लगा। ये वॉटर डॉक्टर और कोई नहीं, अयप्पा मसागी ही हैं।


मसागी बताते हैं कि पानी गड्‌ढे में जमा होने के बाद रेत और बोल्डर से छनते हुए ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने लगता है। ऐसा करते हुए पूरी जमीन में ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ने लगता है। जब जमीन पूरी तरह से पानी पी चुकी होती है तो उस खड्ढे में बुलबुले नजर आने लगते हैं। कोशिश ये रहती है कि जो पानी जमा हो रहा है, वह गर्मी के कारण स्टीम बनकर उड़ न जाए। इस तरह मसागी अब तक बीस लाख से अधिक लोगों की मदद कर चुके हैं। मसागी एक 'वॉटर लिटरेसी फाउंडेशन' भी चलाते हैं।


वर्ष 2014 में उन्होंने आंध्र प्रदेश के सूखा प्रभावित चिलमाचुर में 82 एकड़ बंजर जमीन खरीदने के बाद उसे 37 कंपार्टमेंट में बांटकर पानी से लबालब कर डाला था। मसागी का फाउंडेशन वॉटर वॉरियर्स तैयार कराता है। वह स्कू लों में जाकर बच्चोंन को पानी के महत्वन और उसको बचाने के उपायों के बारे में बताते हैं। वे अब तक तकरीबन 100 से ज्या दा इंटर्न्स को ट्रेनिंग भी दे चुके हैं। अब तो जर्मनी, जापान और अमेरिका के लोग भी उनसे पानी बचाने के उपाय सीख रहे हैं।


अय्यप्पा मसागी का जन्म उत्तरी कर्नाटक के गडग जिले में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। अपने पिता की अनिच्छा के बावजूद मसागी जैसे-तैसे पढ़कर मैकेनिकल इंजीनियरिंग बन गए। उनकी पढ़ाई के लिए मां को अपने गहने बेचने पड़े। इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करते ही मसागी को बेंगलुरू के बीईएमएल में नौकरी मिल गई। इसके बाद वह एल एंड टी में आ गए। मसागी बताते हैं कि जब वह छोटे थे, देखा करते थे कि किस तरह उनके किसान पिता पानी की कमी से किस तरह जूझते रहते हैं। तभी से उनका सपना था कि वे गांवों के विकास के लिए साइंस एंड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें।


नौकरी के साथ ही सबसे पहले उन्होंने अपने खेत में पानी पर रिसर्च की प्रयोगशाला बना ली। उसी दौरान सूखा पड़ गया, बाद में बाढ़ से उनकी सारी फसल चौपट हो गई। एक बार तो बाढ़ में उन्हे पेड़ पर बैठकर रात गुजारनी पड़ी थी लेकिन मसागी अपने मिशन से पीछे नहीं हटे। उस आपदा से ही उन्हें आइडिया मिला कि क्यों न बाढ़ के पानी को जमा करने के उपायों पर वह काम करें।


विमर्श के लिए अन्ना हजारे और जलपुरुष राजेंद्र सिंह से मिले। धीरे-धीरे उन्होंने खुद की बोरवेल रिचार्ज तकनीक विकसित कर ली। अब 'वॉटर मैजीशियन' मसागी अपना लैपटॉप और सीडी लेकर कर्नाटक के गांव-गांव घूमते रहते हैं। इस दौरान वह किसानों को सावधानी बरतने सम्बंधी एक बुकलेट भी बांटा करते हैं।