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वीकली रीकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!

वीकली रीकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!

Saturday August 15, 2020 , 5 min Read

यहाँ संक्षेप में दी हुई स्टोरीज़ के साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हे विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।

पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़

पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़



2018 में ‘माई पैड बैंक’ की स्थापना करने के बाद बरेली के चित्रांश सक्सेना 81 सौ से अधिक लड़कियों को मुफ्त सैनेटरी नैपकीन बाँट चुके हैं, वहीं कोरोना वायरस से मिले झटके से उबरते हुए IoYfy ने नए विचार के साथ आगे आकर अब खास ‘गो कोरोना’ बैग का निर्माण शुरू कर दिया है और यह स्टार्टअप अब अपने व्यापार को फिर से ऊपर की ओर ले जा रहा है।


इस तरह की कई बेहतरीन स्टोरीज़ हमने इस हफ्ते प्रकाशित की हैं, जिन्हे आप इधर संक्षेप में पढ़ सकते हैं, जबकि उनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन स्टोरीज़ को विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।

दिव्यांग छात्रों को बना रहे हैं सशक्त

खेल के मैदान में कुछ छात्रों के साथ आदित्य।

खेल के मैदान में कुछ छात्रों के साथ आदित्य



आज के समय में पैरेंट्स अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ खेल-कूद और एथलेटिक्स में भी सक्रिय तौर पर भाग लेने के लिए प्रेरित करते रहते हैं, हालांकि वास्तविकता में देश में हर छात्र के पास ऐसे संसाधन मौजूद नहीं हैं या उसकी उन संसाधनों तक पहुँच नहीं है।


दिल्ली स्थित उमोया स्पोर्ट्स के संस्थापक आदित्य केवी ने विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की मदद करने के लिए एक पहल शुरू की है, जो इस अंतर को समाप्त करने की क्षमता को बढ़ावा देकर उनके भीतर आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद करती है। आज यह एनजीओ बौद्धिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग छात्रों को विशेष तौर पर क्यूरेट किए गए खेल कार्यक्रम उपलब्ध करा रहा है। इस खास पहल के बारे में आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।

माई पैड बैंक

MyPadBank ने फरवरी 2020 में देश में सबसे बड़ा सैनेटरी पैड बनाकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का खिताब हासिल किया।

MyPadBank ने फरवरी 2020 में देश में सबसे बड़ा सैनेटरी पैड बनाकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का खिताब हासिल किया।



पूरी तरह से प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया होने के बावजूद, मासिक धर्म को अक्सर भारतीय समाज में एक वर्जित विषय के रूप में देखा जाता है, खासकर अशिक्षित ग्रामीण जनता के बीच। एक प्रगतिशील समाज होने का हमारा दावा पीरियड्स के बारे में बात करने में हमारी शर्म के विपरीत है।


इस लंबे समय से उपेक्षित चिंता से जूझते हुए उत्तर प्रदेश के बरेली के चित्रांश सक्सेना ने महिलाओं में मासिक धर्म जागरूकता फैलाने के लिए साल 2018 में एक नॉन-प्रोफिट ऑर्गेनाइजेशन 'MyPadBank' की स्थापना की। चित्रांश अपनी टीम के साथ मिलकर अब तक 25 से अधिक जागरूकता अभियान चला चुके हैं और 81 सौ से अधिक लड़कियों को नि:शुल्क सैनेटरी पैड्स बाँट चुके हैं। चित्रांश के इस सराहनीय काम के बारे में आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।

लोगों तक पहुंची हिन्दी कविता

नसीर साहब के साथ मनीष गुप्ता (फाउंडर- 'हिन्दी कविता')

नसीर साहब के साथ मनीष गुप्ता (फाउंडर- 'हिन्दी कविता')



देश में आई डिजिटल क्रान्ति के बाद लोगों के पास मनोरंजन के विकल्पों की उपलब्धता जितनी अधिक हो गई, साहित्य में लोगों की रुचि उसी के साथ निरंतर कम होना शुरू हो गई है। आज आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध मनोरंजन सामग्री के दौर में आमजनमानस को साहित्य के साथ जोड़ने के उद्देश्य से फिल्ममेकर और नॉवेलिस्ट मनीष गुप्ता बड़ी ही सराहनीय पहल के साथ आगे बढ़ रहे हैं।


योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में मनीष ने इस बात पर ज़ोर देकर कहा कि आज लोगों के बीच भाषा को लेकर गंभीरता खत्म हो रही है, वे हिन्दी और अंग्रेजी के बीच कहीं झूल रहे हैं और यही कारण है कि साहित्य उनकी पहुँच से दूर होता जा रहा है।


न्यूयॉर्क में फिल्में बनाने और मायामी में नाइटक्लब के संचालन के बाद मनीष कुछ साल पहले जब भारत वापस लौटे तब उन्होने इस खाईं को पाटने और हिन्दी साहित्य को नए कलेवर के साथ लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से हिन्दी कविता मंच की स्थापना की और वो हिन्दी के साथ ही उर्दू व पंजाबी साहित्य तक लोगों की पहुँच को आसान बना रहे हैं, इसी के साथ अब मनीष अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य को लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से भी आगे बढ़ रहे हैं।

‘गो कोरोना’ बैग्स

IoTfy टीम

IoTfy टीम



कोरोना वायरस महामारी ने जब तीन साल पहले स्थापित हुए स्टार्टअप IoTfy को झटका दिया तो टीम ने हार मनाने के बजाय नए विचार के साथ इस मौके का फायदा उठाने का विकल्प चुना।


IoTfy ने अब UVC LED इनेबल्ड ‘गो कोरोना’ बैग्स बनाए हैं। इस खास बैग को इसके अंदर के सामान को कीटाणुरहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बैग पर स्थापित या एंड्रॉइड ऐप के जरिये बस एक बटन के साथ यह संचालित होता है, जो यूजर्स को इसे कहीं से भी संचालित करने में सक्षम बनाता है। ‘गो कोरोना’ बैग्स के बारे में आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।

बोनसाई से कमाई

बोनसाई पौधा

बोनसाई पौधा



अपने घरों में हरे-भले माहौल को कौन पसंद नहीं करता। लोग बड़े शौक के साथ अपने घर में गमले लाकर उनमें पौधे लगाते हैं और उनकी देखभाल करते हैं, लेकिन अगर आपका यह शौक आपकी अच्छी कमाई का एक जरिया बन जाये तो कैसा रहेगा? जी ये बिल्कुल संभव है और इसमें कमाई को लेकर काफी संभावनाएं भी हैं।


जापानी तकनीक बोनसाई आज पौधों के शौकीन लोगों का ना सिर्फ ध्यान अपनी ओर खींच रही है, बल्कि लोग इसे पार्ट टाइम या फुल टाइम व्यवसाय की तरह भी अपना रहे हैं। बोनसाई तकनीक से उगे पौधों की मांग बाज़ार में बड़ी तेजी से बढ़ रही है और यह किसी के लिए भी उभरता हुआ व्यवसाय बन सकता है। बोनसाई के बारे में और अधिक जानने के लिए आप इधर क्लिक कर सकते हैं।