वीकली रीकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुईं टॉप स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में बॉलीवुड की जानी-मानी अदाकारा और उद्यमी माधुरी दीक्षित ने अपने करियर के साथ ही अन्य पहलुओं पर भी खुलकर चर्चा की है। इसी के साथ महज 22 दिनों के रिकॉर्ड समय के भीतर कोरोना काल में उपन्यास लिखने वाले 18 साल के यश तिवारी की प्रेरणादायक कहानी भी आपको खूब पसंद आएगी।
ऐसी ही तमाम प्रेरक कहानियाँ और रोचक कहानियाँ हमने इस हफ्ते प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने सक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हे विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
'माधुरी का सफर'
बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा माधुरी दीक्षित नेने (53) ने महज तीन साल की उम्र में कथक के लिए प्रशिक्षण शुरू कर दिया था और आठ साल तक प्रशिक्षण लेने के साथ ही एक पेशेवर प्रशिक्षित कथक डांसर बन गई। तब वह नहीं जानती थी कि वह देश की सबसे प्रतिष्ठित डांसरों में से एक गिनी जाएंगी।
माइक्रोबायोलॉजी की इस छात्रा का फिल्म अभिनेत्री बनने का कभी कोई इरादा नहीं था लेकिन जब माधुरी ने 1984 में अपनी पहली फिल्म 'अबोध' से शुरुआत की और तब उन्हें कैमरे से ऐसा प्यार हुआ कि बाद में उन्होंने अपने फिल्मी करियर को आगे बढ़ाने का फैसला किया। योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में माधुरी ने ऐसे ही कई पहलुओं पर खुलकर बातचीत की है, जिसे आप इधर पढ़ सकते हैं।
कहानी ‘मिलाप’ की
"बढ़ती डिजिटल पहुंच और ऑनलाइन भुगतान की सुविधा, अधिक से अधिक भारतीयों के लिए सही समय पर तत्काल जरूरतों व समर्थन हेतु डिजिटल तरीके अपना रही हैं। क्राउडफंडिंग अप्रत्याशित आर्थिक दबाव की जरूरतों को पूरा करने का एक तेज और आसान तरीका है। स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से इसको अपना सकता है। देखा जाये तो अधिकतर लोग अब किसी भी तरह की आर्थिक आपात स्थिति से निपटने के लिए ऑनलाइन फंडिंग का सहारा ले रहे हैं, जो कि सबसे आसान और कारगर तरीका है। इसी ज़रूरत को देखते हुए आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र मयूख चौधरी और अनुज विश्वनाथन ने साथ मिलकर साल 2010 में भारत के अग्रणी क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म 'मिलाप' की स्थापना की।"
मयूख मिलाप के को-फाउंडर और सीईओ हैं। योरस्टोरी हिंदी की एडिटर रंजना त्रिपाठी के साथ हुई बातचीत में मयूख ने मिलाप के काम और अन्य पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है, जिसे आप इधर पढ़ सकते हैं।
पीएम मोदी को लिखा 'जरूरी' खत
उम्र महज 12 साल और बीते 2 सालों से एक वैश्विक जलवायु कार्यकर्ता के तौर पर उत्तराखंड के हरिद्वार की रिद्धिमा पांडे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन समेत कई सामाजिक मुद्दों को लेकर आवाज़ उठा रही हैं। फिलहाल रिद्धिमा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने खास खत को लेकर चर्चा में हैं, जिसमें उन्होने पीएम मोदी से वायु प्रदूषण के खिलाफ तत्काल कदम उठाने की मांग की है।
रिद्धिमा ने पीएम मोदी को लिखे अपने खुले खत को सोशल मीडिया पर भी सभी के साथ साझा किया है। उन्होने पीएम मोदी को यह खत 1 सितंबर को लिखा था। योरस्टोरी के साथ हुई खास बातचीत में रिद्धिमा ने इस खुले खत के बारे में खुलकर चर्चा की है, बल्कि उन्होने भविष्य को लेकर अपनी योजनाओं को भी साझा किया है, जिसे आप इधर पढ़ सकते हैं।
'उम्र महज संख्या है'
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के रहने वाले 18 साल के यश तिवारी अब तक 4 टेड टॉक्स और एक जोश टॉक कर चुके हैं। वे एक अंतर्राष्ट्रीय युवा लेखक है, दो पुस्तकों के पुरस्कार विजेता भी हैं। अपने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित डेब्यू नॉवेल "A Celebration In Tribulation" उन्होंने महज 16 साल की उम्र में लिखा था।
यश ने हाल ही में चल रही कोरोना वायरस महामारी पर "PANDEMIC 2020 - Rife Of The Virus" शीर्षक से एक उपन्यास लिखा है, जिसे कोरोना काल में लिखा जाने वाला दुनिया का पहला काल्पनिक उपन्यास कहा जा रहा है। यश तिवारी ने योरस्टोरी के साथ बातचीत में एक्सक्लुजिव अनाउंसमेंट करते हुए बताया कि उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा कोरोनावायरस आउटब्रेक पर किताब लिखने के लिए यंगेस्ट फिक्सनिस्ट नॉवलिस्ट का अवार्ड भी दिया गया है।
100 करोड़ रुपये पहुंचा कारोबार
दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली स्थित अतुल गर्ग अपने पिता के थोक स्टेशनरी व्यवसाय से जुड़ गए और अन्य ब्रांडों के उत्पाद बेचने लगे। उन्होंने महसूस किया कि ग्राहकों ने ब्रांडों पर इतना भरोसा किया कि वे कभी-कभी ब्रांड मूल्य के लिए अतिरिक्त भुगतान करने को तैयार थे।
आखिरकार अतुल ने अपना खुद का स्टेशनरी व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने 1998 में अतुल पेपर्स प्राइवेट लिमिटेड को लॉन्च किया। उनके पिता निवास गर्ग ने ऑन डिमांड नाम का सुझाव दिया, जिसके कारण ब्रांड को Oddy नाम दिया गया। आज, दिल्ली की यह कंपनी भारतीय बाजार में कैमलिन, फेबर कास्टेल, कोर्स और अन्य के साथ प्रतिस्पर्धा करती है। आज जब पेपरलेस दौर जारी है तब भी इस ब्रांड ने 100 करोड़ रुपये का कारोबार किया है। इस खास कंपनी के बारे में आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।