वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
हिमालयी महिला किसानों की मदद करने वाली हिमानी नौटियाल
वाइल्डलाइफ रिसर्चर हिमानी नौटियाल महिला किसानों को अपना खुद का ऑर्गेनिक कीवी फ्रूट फार्मिंग बिजनेस शुरू करने में मदद करते हुए उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं।
2014 में, जब हिमानी नौटियाल ने उत्तराखंड की मंडल घाटी में अपनी यात्रा शुरू की, तो उनका उद्देश्य वन्य जीवन और मानव व्यवहार को बारीकी से समझना था।
उन्होंने जानवरों और उनके परिवेश के प्रति उनकी प्रतिक्रिया को देखना शुरू कर दिया। दूसरी ओर, उन्होंने स्थानीय लोगों से उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने के लिए साक्षात्कार किया, जो दूध बेचकर जीविकोपार्जन के लिए मुख्य रूप से अपने मवेशियों पर निर्भर हैं।
YourStory से बात करते हुए हिमानी कहती हैं, “जंगल ने मवेशियों के लिए मुख्य चारा भूमि के रूप में काम किया और जंगल की गुणवत्ता में बाधा उत्पन्न की, जिसके परिणामस्वरूप जंगली जानवर खेतों की ओर अपना रास्ता बना रहे थे। इसलिए, मेरी परियोजनाएँ वन्यजीवों, जंगल की बेहतरी और हिमालयी घरेलू आय स्रोत को आसान बनाने के इर्द-गिर्द घूमती हैं।”
वन और वन्यजीव क्षेत्र के प्रति उनकी जिज्ञासा ने हिमानी को इसमें से अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। वर्तमान में हिमानी महिला स्वयं सहायता समूह रुद्रनाथ महिला ग्राम संगठन, उत्तराखंड की मदद के लिए फंड जुटा रही हैं।
वह कहती हैं, "अगर मैं कर सकती हूं, तो अन्य ग्रामीण महिलाएं भी कर सकती हैं। मुझे विश्वास है, वे भारत में हजारों ग्रामीण महिलाओं के लिए आदर्श होंगी।”
फोटोग्राफी के दम पर दुनिया भर में नाम कमा रहे विकी रॉय
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के रहने वाले विकी रॉय जिन्हें दिल्ली की सड़कों पर कभी कूड़ा बीनने के लिए मजबूर होना पड़ा था, आज उन्हें दुनिया एक प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफर के रूप में जानती है।
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के रहने वाले विकी रॉय जिन्हें दिल्ली की सड़कों पर कभी कूड़ा बीनने के लिए मजबूर होना पड़ा था, आज उन्हें दुनिया एक प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफर के रूप में जानती है। मालूम हो कि विकी के पिता दर्जी थे और 7 भाई-बहन होने के चलते घर चलाना भी आसान नहीं था। विकी अपने जीवन में कुछ खास करना चाहते थे और आगे चलकर उन्होंने ऐसा किया भी।
किशोरावस्था के दौरान ही विकी अपने घर से भाग गए थे और उस दौरान उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए ट्रेन पकड़ कर दिल्ली जाना चुना, हालांकि इस दौरान भी विकी को यह बात बखूबी मालूम थी कि आने वाले दिन संघर्ष से भरे हुए हैं। दिल्ली पहुँचने के बाद विकी के लिए पैसों की तंगी के चलते दो वक्त के खाने का जुगाड़ करना भी मुश्किल साबित हो रहा था।
विकी ने एक अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफी प्रतियोगिता 2008 में जीती थी और इससे उन्हें छह महीने के लिए अमेरिका जाने का मौका मिला था। इसके अलावा उन्हें ICP (इंटरनेशनल सेंटर ऑफ़ फ़ोटोग्राफ़ी) में प्रशिक्षण भी मिला। मालूम हो कि ICP को दुनिया में फोटोग्राफी का सबसे अच्छा स्कूल माना जाता है।
विकी मार्च 2009 में न्यूयॉर्क आ गए थे और उनके अनुसार यह उनके जीवन का सबसे अच्छा समय था। वहां अपने ट्रेनिंग के दौरान उन्हें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के पुनर्निर्माण की तस्वीर लेने के लिए चुना गया था। इन खास तस्वीरों को जनवरी 2010 में उनकी एकल प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था। अमेरिका में काम करने से विकी के भीतर एक आत्मविश्वास भर चुका था जो उन्हें भविष्य में और भी आगे ले जाने वाला था। आज विकी दुनिया भर की प्रदर्शिनीयों में हिस्सा लेते हैं और अपनी बेहतरीन फोटोज़ का प्रदर्शन करते हैं।
बच्चों और युवाओं के बीच वित्तीय साक्षरता फैला रही अमृता देशपांडे
अमृता देशपांडे, जोकि एक फाइनेंशियल प्रोफेशनल हैं, बच्चों को बचत के महत्व और इस महत्वपूर्ण आदत को कैसे विकसित करें, इस पर शिक्षित करने के लिए विदर्भ के स्कूलों का दौरा करती हैं।
अमृता देशपांडे पिछले तीन महीनों से विदर्भ की यात्रा एक ही उद्देश्य के साथ कर रही हैं - इस क्षेत्र में युवाओं के बीच वित्तीय साक्षरता (financial literacy) का प्रसार करना।
महाराष्ट्र में विदर्भ क्षेत्र अपने आवर्ती सूखे और कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्या के लिए कुख्यात है।
एक प्रसिद्ध वाक्यांश का उपयोग करने के लिए, अमृता का लक्ष्य "युवाओं को समझाना" और बचत की आदत डालना है ताकि परिवार विविध परिस्थितियों में बेहतर जीवन जी सकें।
मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा के बाद, सरकारी नौकरी से लेकर कॉर्पोरेट नौकरियों तक, काफी अनुभव के साथ कॉस्ट अकाउंटेंट, अमृता अपने गृहनगर, नागपुर लौट आई।
अमृता कहती हैं, “ज्यादा कुछ नहीं करने के कारण, चूंकि मेरा काम घर से नहीं किया जा सकता था, मैंने दो किताबें लिखना शुरू किया।Basics of Banking छोटे बच्चों को बैंकिंग और बचत से परिचित कराती हैं जबकि Saving and Introduction to Banking कॉलेज के छात्रों के लिए है।”
Basics of Banking, जो अंग्रेजी और मराठी दोनों भाषाओं में उपलब्ध हैं, बच्चों को कहानी कहने के प्रारूप के माध्यम से बचत से परिचित कराती हैं, जो दृष्टांतों के पूरक हैं। यह RBI के उद्देश्य, बैंकिंग इतिहास, बैंक सुविधाओं, बहुउद्देश्यीय एटीएम के उपयोग, बच्चों के लिए योजनाओं आदि के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है।
अमृता बताती हैं कि ग्रामीण इलाकों में कमाने वाले समझदार बच्चों की कोई कमी नहीं है। लेकिन वह कहती हैं कि वे बचत के विस्तारित लाभों को देखने के उद्देश्य से प्रेरित नहीं हैं।
वह कहती हैं, "मैंने बहुत सारे स्मार्ट लड़के और लड़कियों को देखा है, लेकिन उनका एकमात्र उद्देश्य एक उद्देश्य के लिए जल्दी पैसा कमाना है। उदाहरण के लिए, एक फोन खरीदने के लिए पर्याप्त कमाई करें, और फिर बिना काम किए लंबे समय तक काम करें, जब तक कि अगली जरूरत न पड़े।”
महिला आंत्रप्रेन्योर्स को माइक्रो लोन दे रहा Mahila Money
महिला मनी वर्तमान में 10,000 रुपये से 2 लाख रुपये के बीच के टिकट साइज के साथ सूक्ष्म ऋण प्रदान करती है। लेकिन सायरी का कहना है कि लोन देने के साथ ही उनकी सेवाएं खत्म नहीं होती हैं।
महिलाओं के लिए महिला-प्रथम सामुदायिक मंच, Sheroes के निर्माण के सात साल बाद, संस्थापक सायरी चहल का लक्ष्य अब एक मिलियन महिलाओं को उनकी उद्यमिता आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करना है, जिससे उन्हें उनकी जरूरत का वित्त और संसाधन मिल सके।
ऐसा करने के लिए, उन्होंने हाल ही में एक डिजिटल महिला बैंक Mahila Money लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य एक महिला की विकास आकांक्षाओं के बीच में आने वाली वित्तीय बाधाओं को पाटना है।
Sheroes के साथ, सायरी ने 25 मिलियन से अधिक का एक मजबूत नेटवर्क बनाया है, जिसके तीन मुख्य उद्देश्य हैं- रोजगार, उद्यमिता और पूंजी तक पहुंच प्रदान कराना।
वे कहती हैं, “जब महामारी आई, तो बहुत से लोगों ने मदद के लिए हमारी ओर रुख किया. मैंने यूजर्स की मदद करने और यह समझने के लिए कि सिस्टम कैसे काम कर सकता है, मैंने अपनी जेब से कुछ सॉफ्ट लोन की पेशकश की. मैंने सोचा कि अगर मुझे अपना पैसा वापस मिल गया, तो हम इस पर और आगे बढ़ेंगे।”
यही कारण है कि महिला मनी का जन्म हुआ।
94 साल की उम्र में बनीं आंत्रप्रेन्योर, खड़ा किया खुद का स्पेशल ब्रांड
हरभजन कौर को अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रियता हासिल थी लेकिन देश भर में उनकी चर्चा तब शुरू हुई जब देश के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा एक ट्वीट शेयर करते हुए इन दादी को ‘आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ईयर’ बताया था।
अपने सपनों को पूरा करने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है और इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण पंजाब की एक दादी हैं जिन्होने ना सिर्फ 94 साल की उम्र में एक सफल आंत्रप्रेन्योर बनकर दिखाया है बल्कि आज वे दुनिया भर के लिए प्रेरणाश्रोत बन चुकी हैं। चंडीगढ़ की रहने वाली हरभजन कौर अब अपने पैशन को प्रोफेशन में बदलकर अपना सपना पूरा कर रही हैं।
हरभजन कौर को अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रियता हासिल थी लेकिन देश भर में उनकी चर्चा तब शुरू हुई जब देश के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा एक ट्वीट शेयर करते हुए इन दादी को ‘आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ईयर’ बताया था।
हरभजन कौर ने जब अपना स्टार्टअप शुरू किया तब उनकी उम्र 90 साल थी। हरभजन कौर को यह स्टार्टअप शुरू करने की प्रेरणा दरअसल अपनी बेटी से मिली थी। एक दिन जब वे अपनी बेटी से बात कर रही थीं तब उन्होने कहा कि उन्होने अपने जीवन में आज तक एक भी पैसा नहीं कमाया है और इसी के बाद उनकी बेटी ने उन्हें ऐसा आइडिया दिया जिससे उन्हें नई शुरुआत मिल गई।
हरभजन कौर शुरुआत से ही खाना बनाने की शौकीन रही हैं और वे बेहद स्वादिष्ट खाना बनाती हैं। हरभजन कौर अपने घर में एक खास बेसन की बर्फी भी तैयार करती थीं, जिसे खाने के बाद लोग हमेशा उनकी तारीफ करते थे। और फिर यही बेसन की बर्फी हरभजन कौर के लिए उनकी शुरुआत का जरिया बन गई।