वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
स्वानंद कदम ने डेवलप किया भारत का पहला हिंदी ऑनलाइन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज प्लेटफॉर्म Kalaam.io
स्वानंद कदम Masai School में इंस्ट्रक्टर और मेंटर हैं। उन्होंने पहला हिंदी ऑनलाइन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज प्लेटफॉर्म Kalaam.io डेवलप किया है। इसे डेवलप करने में उन्हें सिर्फ 6 महीने लगे। इस प्लेटफॉर्म पर यूजर्स हिंदी के अलावा मराठी भाषा में भी कोडिंग कर सकते हैं।
महाराष्ट्र के यवतमाल के स्वानंद कदम, जो कि Masai School में Senior Full Stack Developer और Advanced Js instructor हैं, ने भारत का पहला हिंदी ऑनलाइन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज प्लेटफॉर्म Kalaam.io डेवलप किया है। इसे डेवलप करने में उन्हें सिर्फ 6 महीने का समय लगा। दिलचस्प बात यह है कि इस प्लेटफॉर्म पर यूजर्स हिंदी के अलावा मराठी भाषा में भी कोडिंग कर सकते हैं।
इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज प्लेटफॉर्म में मॉडर्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज के सभी बेसिक फंक्शन्स मौजूद हैं। loops से लेकर while loops तक और फंक्शन्स से लेकर कंडीशनल स्टेटमेंट्स तक। स्मार्टफोन या कंप्यूटर के जरिए कोई भी व्यक्ति Kalaam में कोडिंग शुरू कर सकता है। Kalaam को अगर ग्रामीण युवाओं के लिए देसी W3Schools की संज्ञा दी जाए, तो कुछ गलत नहीं होगा।
स्वानंद कदम ने इस प्लेटफॉर्म का नाम 'Kalaam' भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित होकर रखा है।
स्वानंद बताते हैं, "मुझे वास्तव में कभी नहीं पता था कि लैंग्वेज (प्लेटफॉर्म) कैसे डेवलप किया जाता है। ऐसे में, मेरा पहला कदम उन किताबों को पढ़ना था जो प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के मूल सिद्धांतों को कवर करती थीं। मैंने सीखा है कि एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को कंप्यूटर को यह समझाने के लिए एक इंटरप्रेटर या कंपाइलर की आवश्यकता होती है कि आप इससे क्या कराना चाहते हैं। मैंने एक इंटरप्रेटर डेवलप करने का फैसला किया।"
'कलाम' के इम्पलीमेंटेशन के बारे में बताते हुए कदम कहते हैं, "यह सब शुरुआत में मुश्किल लग रहा था, लेकिन मुझे कहीं से शुरुआत करनी थी, इसलिए मैंने जो पहला कमांड बनाना शुरू किया, वह था प्रिंट मैकेनिज्म, ताकि मैं स्क्रीन पर "नमस्ते कलाम" आउटपुट दिखा सकूं।"
घर-घर ट्यूशन पढ़ाने वाली गांव की लड़की ने खड़ा किया एडटेक स्टार्टअप
तमाम बाधाओं से लड़ते हुए, नेहा मुजावदिया अपने गांव की पहली लड़की बनीं जिन्होंने शिक्षा पूरी की और इंदौर स्थित एडटेक स्टार्टअप TutorCabin की स्थापना की।
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के मेलखेड़ा गांव की रहने वाली नेहा मुजावदिया अपने गांव की पहली लड़की बनीं जिन्होंने पढ़ाई पूरी की। हालाँकि, उनकी महत्वाकांक्षा उच्च शिक्षा प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं थी।
"छोटे गांव की लड़की" सामाजिक भय से मुक्त होकर किसी दिन अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती थी। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के लिए, आंत्रप्रेन्योरशिप को फॉलो करना एक कल्पना की तरह है जिसे केवल सपना देखा जा सकता है और कभी महसूस नहीं किया जा सकता है।
तमाम बाधाओं के बावजूद, नेहा ने न केवल उच्च शिक्षा हासिल की, बल्कि एक सफल एडटेक स्टार्टअप — TutorCabin का निर्माण भी किया, जो आज कई लोगों के लिए प्रेरणा है।
2018 में शुरू हुआ यह स्टार्टअप प्राथमिक, माध्यमिक और कॉलेज स्तर से लेकर प्रतियोगी और प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी तक सभी उम्र के छात्रों के लिए व्यक्तिगत और समूह कक्षाएं प्रदान करता है।
आज प्लेटफॉर्म पर इसके लगभग 1,000 शिक्षक हैं, और इसने दिल्ली, आगरा, मुंबई आदि में अपनी ऑनलाइन पहुंच का विस्तार किया है। 15-सदस्यीय स्टार्टअप ने FY20-21 में 22 लाख रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया और वर्ष के अंत तक 2,50,000 छात्रों के नामांकन का लक्ष्य रखा है, और अपने ट्यूटर बेस को 5,000 तक विस्तारित करने की योजना बना रहा है।
बांस के टूथब्रश बेचता है चेन्नई स्थित यह ईको फ्रेंडली स्टार्टअप
टेराब्रश, जिसे अब टेरा कहा जाता है, एक पर्यावरण के अनुकूल स्टार्टअप है जो टिकाऊ उत्पादों की एक रेंज को प्रदर्शित करता है और बेचता है। टेरा के उत्पादों का पुन: उपयोग और पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है।
चेन्नई के लोयोला कॉलेज के पूर्व छात्र कार्तिक सोलाई केएस, अर्जुन टी और हरीश कंदन का ज्यादा पैसा कमाने का सपना था। वे एक साथ एक ऐसा व्यवसाय शुरू करना चाहते थे जो उन्हें भविष्य में लाखों डॉलर कमाने में मदद कर सके।
हालांकि, 2015 में दुखद चेन्नई बाढ़ के दौरान इन दोस्तों के लिए चीजें बदल गईं। लोगों ने अपने घर खो दिए, और कई पूरी तरह से जलमग्न हो गए। वे कई लोगों में से थे जो जमीन पर दूसरों की मदद कर रहे थे। शहर को साफ करने में मदद करते हुए, उन्होंने कचरे का एक पूरा भार देखा - सिंगल-यूज प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें और कप, और सबसे महत्वपूर्ण टूथब्रश।
टेरा के सीईओ कार्तिक योरस्टोरी को बताते हैं, "अगर भारत की आबादी प्लास्टिक ब्रश का उपयोग करना जारी रखती है, तो आप हर महीने उत्पन्न होने वाले कचरे की मात्रा के बारे में सोचिए। इन टूथब्रशों की विशाल संख्या को देखकर, हम इसके बारे में कुछ करना चाहते थे।”
दोस्तों ने अपने उद्यम टेराब्रश के माध्यम से इस समस्या से निपटने का फैसला किया, जिसे उन्होंने 2018 में शुरू किया। शुरुआत करने के लिए, उन्होंने बांस टूथब्रश बेचना शुरू कर दिया। चेन्नई मुख्यालय वाले इस स्टार्टअप की टीम में 24 कर्मचारी हैं।
टेरा के सीओओ हरीश कहते हैं, "हमने बैंबू टूथब्रश से शुरुआत की, लेकिन समय के साथ, हम टंग क्लीनर, टूथ पाउडर, टूथपेस्ट और अन्य जैसे कंघी, बैग, तांबे की बोतलें आदि में चले गए।"
टूथब्रश वेबसाइट और बेंगलुरु में 300 से अधिक खुदरा स्टोर और ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजॉन के माध्यम से बेचे जाते हैं। अर्जुन ने बताया कि वेबसाइट और अमेजॉन के माध्यम से प्राप्त राजस्व ऑफलाइन बिक्री की तुलना में अधिक है। टेरा उत्तर भारत में स्थित तीन अलग-अलग घरेलू आपूर्तिकर्ताओं के माध्यम से अपने टूथब्रश बनाती है। इन उत्पादों को बेचने से पहले एक गुणवत्ता जांच और ऑडिटिंग से भी गुजरना पड़ता है।
वह कहते हैं, “हम हर तिमाही में लगभग एक से दो लाख ब्रश बेचते हैं। इसलिए प्रत्येक तिमाही के लिए राजस्व लगभग 50 लाख रुपये तक आता है।”
केरल के इस शख्स ने बीयर बॉटल और मिट्टी से बनाया घर, लागत सिर्फ 6 लाख रुपये
36 साल के अजी कपड़ों की एक दुकान चलाते हैं, जबकि उनकी पत्नी एक शिक्षण संस्थान में उप-प्रधानाचार्य हैं। अजी का हमेशा से यही सपना था कि वो एक दिन अपने लिए घर का निर्माण खुद से करें, जबकि इसके पहले अजी अपने संयुक्त परिवार में रहते थे।
जी आनंद केरल के कन्नूर जिले के निवासी हैं। अजी के अनुसार लॉकडाउन के दौरान वे और उनकी पत्नी अपनी पुस्तैनी जमीन पर एक घर का निर्माण करना चाहते थे हालांकि उनका ध्यान इस बात पर भी केन्द्रित था कि घर की लागत अधिक न हो और बनने जा रहा यह घर ईकोफ्रेंडली भी हो।
अजी ने अपने घर के निर्माण के लिए अपने परिवारजनों और दोस्तों की मदद ली। जिस जमीन पर घर का निर्माण हुआ है उसका क्षेत्रफल करीब 1 हज़ार वर्ग फीट है। घर के निर्माण में अजी को 6 महीने लग गए, जबकि लागत की बात करें तो इस निर्माण में महज 6 लाख रुपये का खर्च आया है।
अजी ने अपने घर के निर्माण से पहले अपने एक रिशेतदार से भी संपर्क किया जो आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे थे और तब अजी को ईको-फ्रेंडली घर के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री की सारी जानकारी उन्हीं से हासिल हुई। जनवरी 2021 में जब कोरोना लॉकडाउन में सरकार द्वारा ढील दी गई उसी समय अजी ने इस दिशा में तेजी से काम करना शुरू कर दिया।
घर के निर्माण के लिए प्रमुख सामाग्रियों में प्लास्टिक बैग, बीयर बॉटल, मिट्टी और बांस की लकड़ी को शामिल किया गया। घर के निर्माण के दौरान भारी सामान उठाने के लिए अजी को दो लेबरों की सहायता भी लेनी पड़ी। गौरतलब है कि घर के निर्माण में अजी ने 2500 से अधिक बीयर बॉटल का इस्तेमाल किया है। अब अजी के इस घर में दो कमरे, एक हाल, किचन और टॉयलेट मौजूद है। मुख्य तौर पर मिट्टी से तैयार हुए इस घर की बाहरी दीवारों पर एक दोस्त की मदद लेते हुए अजी ने तमाम कलाकृतियों का भी निर्माण किया है।
बाप-बेटे की जोड़ी ने सूत कातने की एक छोटी सी यूनिट से खड़ा किया 2,552 करोड़ का बिजेनस
अनिल कुमार जैन ने 1988 में जब इंडो काउंट की शुरुआत की थी, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि एक दिन कॉटन यार्न की यह यूनिट घरेलू टेक्सटाइल बाजार की अग्रणी भारतीय कंपनियों में गिनी जाएगी। अनिल और उनके बेटे मोहित ने कैसे अपने मेक इन इंडिया टेक्सटाइल्स बिजनेस को इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचाया, आइए जानते हैं...
अनिल कुमार जैन ने जब 1988 में Indo Count शुरू किया, तब यह महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित कॉटन स्पिनिंग (कपास की कताई) की एक छोटी यूनिट थी, जो निर्यात (Export) पर फोकस करती थी। 90 के दशक के दौरान, उनकी इस छोटी कंपनी ने अपने सूती वस्त्रों को यूरोप और अमेरिका के साथ-साथ दूसरे बहुत से देशों में निर्यात किया।
आंत्रप्रेन्योर अनिल ने ब्रिटेन में रहने वाले परिवार के कुछ सदस्यों से जब भारत में उत्पादित सूती वस्त्रों की खराब गुणवत्ता के बारे में सुना, तब उन्होंने Indo Count शुरू करने का फैसला लिया था।
हालांकि उन्हें तब पता नहीं था कि इस समस्या को दूर करने के मिशन से शुरू किए गया उनका व्यवसाय आगे चलकर घरेलू टेक्सटाइल बाजार में भारत के अग्रणी खिलाड़ियों में से एक बन जाएगा।
उनके बेटे और मुंबई मुख्यालय वाली Indo Count में प्रमोटर और कार्यकारी उपाध्यक्ष मोहित जैन कहते हैं, “मेरे पिता ने कोल्हापुर में कुछ जमीन खरीदी क्योंकि यह मुंबई से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर था, और मौसम कपास के लिए अनुकूल था। उन्होंने महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) परियोजना के तहत यहां यूनिट शुरू की, जो पानी, बिजली और अन्य बुनियादी ढांचा प्रदान करती है।"
2005 में Indo Count ने बेडस्प्रेड, कंबल, गद्दे, गद्दे के कवर, तकिए, दुपट्टे आदि के होम टेक्सटाइल व्यवसाय में भी प्रवेश किया। 2011 और 2017 के बीच, इसने यूएस, यूके और दुबई में अपनी उपस्थिति दर्ज की।
आज अपने स्थापना के 30 वर्षों में, Indo Count 2,552.49 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री और इससे टैक्स देने के बाद 260.26 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाकर (वित्त वर्ष 2021 के आंकड़े) एक लाभदायक फर्म के रूप में विकसित हो गई है। कंपनी दावा करता है कि वह 54 से अधिक देशों में होम टेक्सटाइल रिटेल विक्रेताओं को निर्यात करती है और इसने Boutique Living, Heirlooms of India, Atlas, Revival, The Pure Collection, और Haven जैसे इन इन-हाउस B2C ब्रांड भी विकसित किए हैं।
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