वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
मनोज बाजपेयी के जीवन पर बन रही है बायोपिक
पद्म श्री (भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान) पुरस्कार विजेता और दो बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी की अविश्वसनीय यात्रा है, जो बिहार के पश्चिम चंपारण के बेलवा गाँव से शुरू हुई और मायानगरी मुंबई तक रही। अब उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा पर एक बायोपिक बनने जा रही है।
मनोज, जिन्हें 1998 की फिल्म सत्या के साथ बड़ा बॉलीवुड ब्रेक मिला, जिसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता, ने कहा,
"मुझे नहीं लगता कि मैं उस मुकाम पर पहुँचा हूँ जहाँ मुझ पर लिखी गई किताब या मुझ पर बनी फिल्म होनी चाहिए, मुझे अभी भी बहुत काम करना है।”
अभिनेता मनोज बाजपेयी ने योरस्टोरी से बात करते हुए अपने जीवन से जुड़े कई अहम खुलासे किए, पूरी स्टोरी पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें।
डॉक्टर्स जो बच्ची के जन्म पर नहीं लेते हैं फीस
महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले डॉ. गणेश राख और डॉ. प्रमोद लोहार, ऐसे डॉक्टर्स हैं जिनके क्लिक में बेटी पैदा होने पर वे कोई फीस नहीं लेते हैं बल्कि खुद केक काटकर बच्ची के जन्म को सेलिब्रेट करते हैं। वे बच्ची के जन्म से पाँच साल तक बच्ची और उसके माता-पिता का फ्री इलाज भी करते हैं।
3 जनवरी 2012 में, डॉ. गणेश राख और डॉ. प्रमोद लोहार ने भारत में अपना 'मुल्गी वचवा अभियान' / 'बेटी बचाओ जन आंदोलन' / 'सेव द गर्ल चाइल्ड' अभियान शुरू किया किया था।
बीते आठ सालों में उनकी इस नेक मुहिम 'बेटी बचाओ जन आंदोलन' से देश-विदेश से करीब 2 लाख से अधिक निजी डॉक्टर, 12 हजार एनजीओ और 1.75 मिलियन स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं और लड़कियों को बचाने के उनके प्रयासों में योगदान दिया है।
डॉ. राख बताते हैं, "मैंने फैसला किया कि अगर बेटी का जन्म हुआ तो मैं कोई शुल्क नहीं लूंगा। इसके अलावा हमने तय किया कि हम अस्पताल में बेटी के जन्म का जश्न मनाएंगे।"
साल 2016 में डॉ. गणेश राख के 'बेटी बचाओ जन आंदोलन' के पाँच साल होने पर उन्हें बीबीसी ने अपने शो "अनसंग हीरोज़" में फीचर किया। इसके अलावा उन्हें स्टार प्लस चैनल के टीवी शो 'आज की रात है ज़िंदगी' में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने सम्मानित करते हुए उन्हें 'रियल होरो' बताया।
डॉ. गणेश राख और डॉ. प्रमोद लोहार की इस नेक पहल की पूरी कहानी पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें।
सीखें मोती की खेती करना, कमाए लाखों का मुनाफा
राजस्थान के किशनगढ़ के पास रेनवाल के रहने वाले 45 वर्षीय नरेंद्र कुमार गरवा ने अपनी बीए की पढ़ाई पूरी की और पिछले दस वर्षों से अपने पिता के साथ एक किताबों की दुकान चलाते हैं और इसके साथ ही वह मोती की खेती भी करते हैं।
नरेंद्र कुमार गरवा ने 10 × 10 फीट के क्षेत्र में मोती की खेती करने के लिए 40,000 रुपये का निवेश किया था, जो उन्हें हर साल शून्य रखरखाव के साथ लगभग 4 लाख रुपये की आमदनी देता है।
उन्होंने 2017 में भुवनेश्वर के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (CIFA) में 'फ्रेश वाटर पर्ल फार्मिंग ऑन आंत्रप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट' में 5 दिन का कोर्स किया।
नरेंद्र अपने गांव रेनवाल में एनजीओ Alkha Foundation पर्ल फार्मिंग ट्रेनिंग स्कूल चलाते हैं। नरेंद्र ने मोती की खेती पर कक्षाएं लेना शुरू किया और सभी आयु वर्ग के लगभग 100 से अधिक लोगों को इसकी खेती के बारे में सीखाया है।
नरेंद्र ने कहा, "जिन लोगों की खेती में रुचि है, मैं मोती की खेती की अत्यधिक प्रशंसा करता हूं, क्योंकि इसमें कम निवेश की आवश्यकता होती है और अधिक रिटर्न मिलता है।"
नरेंद्र कुमार गरवा की पूरी कहानी पढ़ने और मोती की खेती करने के तरीके सीखने के लिये यहां क्लिक करें।
बेंगलुरु का ये शख्स चलाता है दुनिया की सबसे बड़ी 'HIV फैमिली'
बेंगलुरु के रहने वाले उद्योगपति मुरली केजी 200 से अधिक एचआईवी संक्रमित बच्चों के लिए 'पिता' हैं। 58 वर्षीय मुरली केजी ने एक दशक पहले 'Children of Krishnagiri' की शुरूआत की थी।
मुरली ने योरस्टोरी की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ बातचीत के दौरान कहा, “पिछले चार साल से हम जो कह रहे हैं वह है - एचआईवी की वजह से कोई बच्चा नहीं मरेगा। क्योंकि हमारे पास पहले चरण में बहुत सारे बच्चे मर रहे थे और हमें इसकी जिम्मेदारी लेने में कुछ समय लगा। इसलिए अब हमने (मौतों को) रोक दिया है, मुश्किल से एक या दो (जो) बच्चों को हमने खोया है, जो कैंसर या अन्य चीजों से हार गए थे।"
मुरली का एक दृढ़ संकल्प है- एचआईवी के कारण किसी भी बच्चे की मृत्यु नहीं होनी चाहिए।
'Children of Krishnagiri' चलाने वाले मुरली केजी की प्रेरणादायक कहानी पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें।
6 हज़ार से 3 करोड़ तक...
हरीश धरमदासानी, 30 वर्षीय दूसरी पीढ़ी के उद्यमी, फ्लिपकार्ट पर एक सफल फुटवियर व्यवसाय चलाते हैं। उनका ब्रांड Layasa ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 3 करोड़ रुपये का मासिक राजस्व कमाता है।। कई व्यवसायों के विपरीत जो महामारी के परिणामस्वरूप अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं।
जब हरीश ने अपनी पहली नौकरी शुरू की, तो वह हर महीने 6000 रुपये कमा रहे थे। अगले कुछ वर्षों में उन्होंने कड़ी मेहनत की और काम में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।
हरीश ने पुरुषों के पहनने के लिये जूतों का Layasa रिटेलिंग ब्रांड शुरू किया और 2015 में फ्लिपकार्ट पर एक विक्रेता के रूप में रजिस्टर किया।
हरीश धरमदासानी के 6 हज़ार से 3 करोड़ तक के सफर के पूरी कहानी पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें।