वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
कांस्टेबल से एसीपी बने फिरोज़ आलम की प्रेरक कहानी
2010 में दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल पद पर चुने गए फिरोज़ ने 10 साल की कठिन मेहनत कर यूपीएससी परीक्षा पास की और अब एसीपी बन अपने सपने को पूरा किया है।
11वीं कक्षा में फेल होने और 12वीं कक्षा में सामान्य अंकों के साथ पास होने के बाद किसी के लिए भी महज कॉन्स्टेबल बन जाना ही किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं होगा, लेकिन फिरोज़ के लिए वह नाकाफी था।
बचपन में पढ़ाई में औसत छात्र रहे फिरोज़ आलम ने साल 2008 में 12वीं की परीक्षा पास की थी और उसके 2 साल बाद ही उनका चयन दिल्ली पुलिस में बतौर कॉन्स्टेबल हो गया था, हालांकि फिरोज़ ने कॉन्स्टेबल की ड्यूटी करते हुए ही अपने लिए अपने लिए एक बड़ा सपना चुन रखा था और वे पूरी लगन के साथ उसे पूरा करने में भी जुट गए थे।
फिरोज़ ने दिल्ली पुलिस की नौकरी करते हुए स्नातक और फिर परास्नातक की पढ़ाई पूरी की। फिरोज़ ने इसी के साथ यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के लिए भी अपनी तैयारी पर ज़ोर देना शुरू कर दिया था। हालांकि शुरुआती प्रयासों में उन्हें सफलता का स्वाद नहीं मिल सका लेकिन साल 2019 में फिरोज़ ने अपने 6वें प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली और उन्हें 645वीं रैंक हासिल हुई थी।
10 साल की मेहनत के बाद जब फिरोज़ ने इसी साल मार्च में एसीपी का पदभार संभाला तो उनके लिए काफी कुछ बदल चुका था।
मीडिया से बात करते हुए फिरोज़ ने अपना अनुभव बयां करते हुए बताया कि तब उन्हें ‘भाई’ कहने वाले उनके साथी कॉन्स्टेबल अब उन्हें ‘सर’ कह कर संबोधित कर रहे थे जबकि जिन्हें वे बीते 10 सालों से ‘सर’ कहते थे अब वे उनके बराबर खड़े थे। फिरोज फिलहाल ट्रेनिंग पर हैं और अगले साल मार्च तक अपना पदभार ग्रहण कर सकते हैं।
पैसे उधार देने वाला स्टार्टअप EarlySalary
अगस्त 2021 में EarlySalary ने एक महीने में 160 करोड़ रुपये से अधिक का उच्चतम वितरण देखा था। बाय नाउ पे लेटर (बीएनपीएल) की इसकी नई बिजनेस लाइन ने 25 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की और एक महीने में प्रोसेस किए गए व्यक्तिगत ऋणों की संख्या 5,000 से अधिक हो गई है।
2016 में अक्षय मेहरोत्रा और आशीष गोयल ने आईटी पार्कों, कॉफी की दुकानों और कैफेटेरिया में 100 से अधिक कामकाजी पेशेवरों के साथ बातचीत की। वे एक थीसिस का परीक्षण करना चाहते थे जिसका उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सामना किया था कि महीने का आखिरी समय आमतौर पर लोगों के लिए वित्तीय तनाव की अवधि होती है। यह स्थिर नौकरियों और आय वाले कर्मचारियों के लिए भी लागू होता है।
उन बैठकों के कारण ही अर्लीसैलरी का जन्म हुआ। आज यह कंज्यूमर लेंडिंग प्लेटफॉर्म काफी विकसित हो गया है और मासिक वितरण में 230 करोड़ रुपये से अधिक और संचयी वितरण में 4,750 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गया है। स्टार्टअप के 500,000 से अधिक सक्रिय ग्राहक हैं।
नए उत्पाद महामारी के साथ-साथ बदले उपभोक्ता व्यवहार से आए भारत के वित्तीय ईको-सिस्टम में बड़े बदलावों ने पिछले कुछ महीनों में पुणे स्थित कंपनी की वृद्धि को भी बढ़ावा दिया है। गौरतलब है कि अर्लीसैलरी ने इस साल जनवरी से अगस्त के बीच 1 लाख नए ग्राहक जोड़े हैं।
अक्षय कहते हैं, “महामारी पहले हम करीब 20 करोड़ रुपये का कारोबार देख रहे थे। अब हमने लगभग 250 करोड़ की बैलेंस शीट बनाई है।”
जब महामारी की मार पड़ी, तो पारंपरिक ऋणदाता आरबीआई के नियमों से भी प्रभावित हुए। अक्षय के अनुसार अर्लीसैलरी ने पहले दिन से गुणवत्ता वाले ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे स्टार्टअप को कम यूजर्स को आरबीआई द्वारा राहत का विकल्प चुनने में मदद मिली।
बीएनपीएल योजना का उपयोग करते हुए ग्राहक एक स्किल प्रोग्राम खरीद सकते हैं या तो एक अग्रिम लागत पर या ईएमआई के साथ कार्यक्रम के लिए भुगतान कर सकते हैं जो अर्लीसैलरी द्वारा संचालित है। कंपनी का दावा है कि यह चैनल एक महीने में 10 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर रहा है।
अक्षय कहते हैं, “एडटेक के बाद हमने ईएमआई पर स्वास्थ्य सेवा और बीमा पर ध्यान दिया। हम उस सेगमेंट में 5000 से ज्यादा ट्रांजैक्शन कर रहे हैं।“
अभिनय से लेकर उद्यमिता तक, शेफाली शाह का सफर
अभिनेत्री से उद्यमी बनीं शेफाली शाह ने YourStory से बातचीत में कहा, "मैं इन दो वर्षों में जितनी व्यस्त रही उतना मैं अपने पूरे दो दशकों के करियर में कभी नहीं रही।"
समीक्षकों द्वारा प्रशंसा पाने और अवार्ड जीतने वाली नेटफ्लिक्स सीरीज़ दिल्ली क्राइम में मुख्य भूमिका निभाने के बाद वह आलिया भट्ट की 'डार्लिंग्स', जंगली पिक्चर्स की 'डॉक्टर जी', विपुल अमृतलाल शाह की वेब सीरीज़ ‘ह्यूमन' और 'दिल्ली क्राइम' सीजन 2 सहित प्रोजेक्ट्स की एक दिलचस्प लाइनअप की शूटिंग कर रही हैं। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने महामारी के दौरान अहमदाबाद स्थित एक्सपरिमेंटल फूड सेंटर जलसा के साथ अपनी उद्यमशीलता की शुरुआत की है।
जैसा कि वह कहती हैं 'जलसा' प्यार और जुनून का श्रम है, हर एलीमेंट के साथ सजावट और कटलरी से लेकर रेसिपी और प्रेशेंटेशन तक व्यक्तिगत रूप से सुपरवाइज़ किया जाता है और अक्सर व्यक्तिगत रूप से एग्जीक्यूट किया जाता है। शेफाली अपने साथ भोजन और आतिथ्य की दुनिया में मानवीय अनुभव के कलात्मक और दिल को छू लेने वाले पहलुओं की एक सहज समझ लेकर आई हैं।
लेकिन महामारी के दौरान एक रेस्तरां व्यवसाय की शुरुआत क्यों? इस बारे में बात करते हुए शेफाली कहती हैं, “इन दो वर्षों ने लोगों को एक साथ रहने और एकता के महत्व को सिखाया है। और जलसा के साथ भी यही हमारा लक्ष्य है। यह सिर्फ भोजन के बारे में नहीं है। यह उन लोगों के बारे में है जो बाहर निकलना चाहते हैं और एक साथ रहना चाहते हैं, अपने परिवार और दोस्तों के साथ कुछ करना चाहते हैं और ऐसे में जलसा उसके लिए एक जगह है।”
पूरी तरह से खाने की शौकीन शेफाली अपने खाली समय में खाना बनाने के लिए जानी जाती हैं। वह कहती हैं, "लगभग सभी की तरह की तरह यहाँ भी खाना पकाने के कुछ वीडियो थे जिन्होंने मेरा अधिकांश समय लिया। मैं बस खाना पकाने, डिजाइन, कला और भोजन के लिए अपने प्यार को एक साथ लाना चाहती थी।”
देश की पहली ट्रांसजेंडर आंत्रप्रेन्योर
ट्रांसजेंडर समुदाय को वास्तविक आधार पर उनके अधिकार हासिल हो सकें इसके लिए कल्कि सुब्रमण्यम बीते कई दशकों से प्रयासरत हैं। कल्कि देश की पहली ट्रांसजेंडर आंत्रप्रेन्योर हैं।
ट्रांसजेंडर समुदाय को कानूनी तौर पर भले ही देश में समानता के अधिकार मिलें हों लेकिन असल समाज में आज भी इस समुदाय को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ट्रांसजेंडर समुदाय को वास्तविक आधार पर उनके अधिकार हासिल हो सकें इसके लिए कल्कि सुब्रमण्यम बीते कई दशकों से प्रयासरत हैं।
कल्कि ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट होने के साथ ही एक्टर, राइटर और आंत्रप्रेन्योर भी हैं। लैंगिक असमानता के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखते हुए कल्कि ने सहोदरी फाउंडेशन की भी स्थापना की है। यह संस्था ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करती है। हालांकि इसी के साथ कल्कि एक सफल उद्यमी भी हैं।
तमिलनाडु के कोयंबटूर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गाँव की रहने वाली कल्कि इस मामले में भाग्यशाली थी कि वह एक ऐसे परिवार में पैदा हुई जिसने उसे स्वीकार किया कि वह कौन है। हालांकि दुर्भाग्य से देश में अधिकांश ट्रांसजेंडर लोगों को इस तरह का सहायक परिवार नहीं मिलता है। अब कल्कि उन सभी लोगों की मदद करना चाहती हैं और ट्रांसजेंडर समुदाय की मज़बूत आवाज बनना चाहती हैं।
कल्कि के लिए उनकी उद्यम यात्रा की शुरुआत तब हुई जब एक बार एक आर्टिस्ट मित्र ने उनके पास आकर उनसे अपने क्राफ्ट के प्रोमोशन के लिए मदद मांगी। इस दौरान कल्कि ने अपने उस मित्र के प्रॉडक्ट में निवेश किया और उसे ऑनलाइन बेंचने में मदद करने लगीं। हालांकि अब वो काम कल्कि अपने उद्यम ‘कल्कि एंटरप्राइजेस’ के जरिये करती हैं।
इसी के साथ कल्कि ने अपना नया उद्यम ‘कल्कि ऑर्गैनिक’ भी शुरू किया। कल्कि का यह उद्यम अपने ग्राहकों को केमिकल रहित ईको-फ्रेंडली साबुन और पर्सनल हेल्थकेयर उत्पादों की बिक्री करता है। इसी के साथ ही कल्कि अपनी पेंटिंग्स के लिए प्रदर्शनियों का भी आयोजन करती हैं।
तारों और केबल्स के अग्रणी निर्माता RR Kabel की कहानी
आज भारत में तार और केबल व्यवसाय में अग्रणी ब्रांड के तौर पर पहचाने जाने वाले RR Kabel को अपने शुरुआती दिनों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
RR Kabel की शुरुआत 90 के दशक में रामेश्वरलाल काबरा ने दिल्ली में तारों और केबलों के एक छोटे व्यवसाय के रूप में की थी, लेकिन उनके शुरुआती दिनों में ही उनके कार्यालय में भीषण आग लग गई थी। सौभाग्य से उस दुर्घटना में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन रामेश्वरलाल को तारों से जुड़ी सुरक्षा के बारे में सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
रामेश्वरलाल के बेटे श्रीगोपाल काबरा दूसरी पीढ़ी के उद्यमी हैं और आरआर ग्लोबल के प्रबंध निदेशक और ग्रुप प्रेसिडेंट हैं। YourStory के साथ हुई बातचीत में उन्होंने बताया, "मेरे पिता ने महसूस किया कि तार और केबल उद्योग में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और हमें सुरक्षित तारों को बाजार में लाना चाहिए।"
रामेश्वरलाल ने उस भयानक घटना से सबक लिया और इससे उन्हे सुरक्षित तार और केबल बनाने की प्रेरणा मिली। इस प्रकार RR Kabel की यात्रा शुरू हुई, जिसे अब RR Global के नाम से जाना जाता है। यह बिजली क्षेत्र में 850 मिलियन डॉलर से अधिक का समूह है जिसकी वैश्विक स्तर पर 85 से अधिक देशों में उपस्थिति है।
इसकी शुरुआत करने के लिए रामेश्वरलाल ने व्यापक बाजार पर रिसर्च की और भारत में गुणवत्ता वाले तारों के निर्माण के लिए आवश्यक अंतरराष्ट्रीय टेक्नालजी और मशीनरी का भी अध्ययन किया।
श्रीगोपाल कहते हैं, "तब तक बाजार में हलोजन फ्री फ्लेम रिटार्डेंट और यूनीले वायर के कॉन्सेप्ट को पेश किया जा चुका था और यह हमारी कंपनी के दृष्टिकोण के अनुरूप था। इस विकास के कारण हम भारत में जल्दी से जर्मन तकनीक लाने में सक्षम रहे और इस तरह हमने 1995 में अपने तारों और केबलों का कारोबार शुरू किया।”