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वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!

यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।

वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!

Sunday September 05, 2021 , 9 min Read

इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।

IIT में नहीं मिला दाखिला फिर भी जारी रखा इनोवेशन

एक बेहद साधारण से किसान परिवार में पैदा हुए आनंद के लिए उनके शुरुआती दिन बेहद मुश्किलों से भर हुए थे। तमाम बार ऐसा भी हुआ जब उन्हें घर की बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते भूखा सोना पड़ता था।

आनंद पांडे, फोटो : सोशल मीडिया

आनंद पांडे, फोटो : सोशल मीडिया

दिल में हमेशा से ही इनोवेशन की ललक रखने वाले आनंद पांडे भले की सालों पहले IIT में दाखिले से चूक गए हों लेकिन आज उनके द्वारा किए गए आविष्कार लोगों के जीवन को लगातार सरल बनाने का काम कर रहे हैं। 31 साल के आनंद अब तक कई अवार्ड और ढेरों कैश प्राइज़ भी भी जीत चुके हैं।


एक बेहद साधारण से किसान परिवार में पैदा हुए आनंद के लिए उनके शुरुआती दिन बेहद मुश्किलों से भर हुए थे। तमाम बार ऐसा भी हुआ जब उन्हें घर की बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते भूखा सोना पड़ता था, हालांकि आनंद को यह बात शुरुआत से ही पता थी कि शिक्षा ही उन्हें इस गरीबी दलदल से बाहर निकाल सकती है और आनंद इसी उद्देश्य को लेकर आगे बढ़े भी।


डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित आनंद का रुझान शुरुआत से ही इनोवेशन की तरफ था, हालांकि तब आर्थिक हालात को देखते हुए आनंद के परिवार वाले यह चाहते थे कि आनंद अपनी पढ़ाई पूरी कर कोई ढंग की नौकरी कर लें। इनोवेशन के साथ आगे बढ़ते हुए आनंद के शुरुआती प्रोजेक्ट्स में मैनुअल रोबोट और ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन का मॉडल शामिल था। आनंद के इस प्रोजेक्ट को दूरदर्शन चैनल ने भी कवर किया।


हाल ही में आनंद ने एक ऐसी लड्डू मशीन भी बनाई थी जिसके जरिये एक घंटे में 1 क्विंटल लड्डू का निर्माण किया जा सकता है, गौरतलब है कि इस मशीन में लड्डू निर्माण के लिए तमाम तरह के सेंसर का भी इस्तेमाल किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कभी आईआईटी में दाखिला न ले पाने वाले आनंद को आज आईआईटी समेत तमाम बड़े शिक्षण संस्थान लेक्चर के लिए भी बुलाते हैं।

'अभी पढ़िए, पैसे बाद में दीजिए' की तर्ज पर चल रहा यह एडटेक स्टार्टअप

स्किलएनेबल तकनीकी प्रतिभा को भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य रोजगार-केंद्रित डेटा साइंस कोर्स ऑफर करता है। कोर्स को विभिन्न इंडस्ट्री की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार किए गया है।

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कोलकाता के उद्यमी निर्पेक्ष कुंभट ने 2019 में अपना स्टार्टअप शुरू करने से पहले ही एजुकेशन सेक्टर में काम करते थे। वह "यूनाइटेड किंगडम में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के संपर्क में" रहे हैं, जहां पहले उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक, और बाद में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कोर्स किए। वह जानता थे कि अच्छी शिक्षा संभावनाओं की नई दुनिया खोल सकती है। जब वे 2017 में भारत लौटे तो उन्होंने कॉलेजों के साथ काम करना शुरू किया ताकि उन्हें अपने पाठ्यक्रम ऑनलाइन लाने में मदद मिल सके।


उन्होंने पाया कि भारत में अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों में दो बड़ी दिक्कते थीं। पहला, उनके पास अपने पुराने पाठ्यक्रम को जॉब मार्केट की आधुनिक जरूरतों के हिसाब अपग्रेड करने के लिए संसाधन नहीं थे। दूसरा, वे लर्निंग से होने वाले फायदों पर ज्यादा जोर नहीं देते थे। इसलिए, अच्छी डिग्री वाले उम्मीदवार भी अक्सर बेरोजगार होते थे क्योंकि उनके कौशल इंडस्ट्री की आवश्यकताओं से मेल नहीं खाते थे।


निर्पेक्ष ने छात्रों को भविष्य के मुताबिक कौशल का प्रशिक्षण देने और इंडस्ट्री व शिक्षा के बीच इस व्यापक अंतर को पाटने में मदद करने के लिए स्किलएनेबल की स्थापना की। वह छात्रों को अपने करियर की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सही पाठ्यक्रम चुनने में मदद करना चाहते थे।


वह योरस्टोरी को बताते हैं, “भारत में अधिकांश संस्थान का ध्यान केवल डिग्री देने पर है। प्लेसमेंट पर ध्यान नहीं है। लगभग 99 प्रतिशत संस्थान उम्मीदवारों के करियर को लेकर चिंतित नहीं हैं। साथ ही छात्रों को करियर काउंसलर द्वारा गुमराह किया जाता है। काउंसलर को जिस भी कोर्स के लिए उन्हें सबसे ज्यादा मार्जिन मिलता है, वे उन्हें छात्रों को बेच देते हैं।"


उन्होंने बताया, "हमने महसूस किया कि छात्रों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में मदद की जरूरत है। हम एक ऐसा मंच बनाना चाहते हैं जो इन सभी मुद्दों को हल कर सके।"

IIT रोपड़ के स्टार्टअप ने बनाया विश्व का पहला प्लांट-बेस्ड स्मार्ट एयर प्यूरिफायर

IIT रोपड़ की स्टार्टअप कंपनी Urban Air Laboratory, जिसने यह प्रोडक्ट डेवलप किया है, का दावा है कि यह दुनिया का पहला, अत्याधुनिक 'स्मार्ट बायो-फ़िल्टर' है जो साँसों को ताज़ा कर सकता है।

Ubreathe Life – विश्व का पहला प्लांट-बेस्ड स्मार्ट एयर प्यूरिफायर (फोटो साभार: PIB)

Ubreathe Life – विश्व का पहला प्लांट-बेस्ड स्मार्ट एयर प्यूरिफायर (फोटो साभार: PIB)

IIT रोपड़ और कानपुर के नवोदित वैज्ञानिकों, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संकाय ने एक पौधे पर आधारित वायु शोधक "यूब्रीद लाइफ" (Ubreathe Life) को विकसित किया है। यह भवन के भीतर के (इनडोर- स्थानों में वायु शोधन प्रक्रिया को बढ़ाता है। ये भीतरी स्थान अस्पताल, स्कूल, कार्यालय और आपके घर भी हो सकते हैं।


IIT रोपड़ की स्टार्टअप कंपनी, अर्बन एयर लेबोरेटरी (Urban Air Laboratory), जिसने यह उत्पाद विकसित किया है, का दावा है कि यह दुनिया का पहला, अत्याधुनिक 'स्मार्ट बायो-फ़िल्टर' (Smart Bio-Filter) है जो साँसों को ताज़ा कर सकता है। इसे आईआईटी रोपड़ में इनक्यूबेट किया गया है, जो भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, सरकार द्वारा एक नामित iHub – AWaDH (Agriculture and Water Technology Development Hub) है।


इसकी तकनीक हवा को शुद्ध करने वाले प्राकृतिक पत्तेदार पौधे के माध्यम से काम करती है। कमरे की हवा पत्तियों के साथ संपर्क करती है और मिट्टी-एवं जड़ वाले क्षेत्र में जाती है जहां अधिकतम प्रदूषक शुद्ध होते हैं। इस उत्पाद में उपयोग की जाने वाली नई तकनीक 'अर्बन मुन्नार इफेक्ट' है, जिसमे "ब्रीदिंग रूट्स" द्वारा पौधों की फाइटोरेमेडिएशन प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाना है, के लिए पेटेंट आवेदन की प्रक्रिया जारी है। पौधों में फाइटोरेमेडिएशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा वे पौधे हवा से प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से हटाते हैं।


'यूब्रीद लाइफ' एक विशेष रूप से डिजाइन लकड़ी के बक्से में फिट फिल्टर है जिसे विशिष्ट पौधों, अल्ट्रा वायलेट (यूवी) कीटाणुशोधन और प्री-फिल्टर, चारकोल फिल्टर और उच्च दक्षता पार्टिकुलेट वायु (एचईपीए) के समग्र उपयोग से बनाया गया है। यह किसी भी भवन के भीतर ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाते हुए गैसीय पार्टिकुलेट कणों और जैविक संदूषकों (कन्टेमिनेंटस) को हटाकर उस भवन के भीतर की वायु गुणवत्ता में प्रभावी रूप से सुधार करता है।

कश्मीर का पहला ऑनलाइन फैशन स्टोर शुरू करने वाली महिला आंत्रप्रेन्योर

इकरा अहमद ने ट्रेडिशनल कश्मीरी फैशन को ट्विस्ट मॉडर्न के साथ प्रदर्शित करने के लिए घाटी में पहला ऑनलाइन कपड़ों का स्टोर तुलपलव (Tulpalav) शुरू किया है।

इकरा अहमद ने ट्रेडिशनल कश्मीरी फैशन को ट्विस्ट मॉडर्न के साथ प्रदर्शित करने के लिए घाटी में पहला ऑनलाइन कपड़ों का स्टोर तुलपलव (Tulpalav) शुरू किया है।

2015 में, इकरा अहमद ने पारंपरिक कश्मीरी कपड़ों में विशेषज्ञता वाला अपना स्टोर शुरू करने का फैसला किया। एक फैशन प्रेमी, उन्होंने घाटी में पहली शुरुआत करके, इसे ऑनलाइन शुरू करने का फैसला किया। श्रीनगर के सनत नगर इलाके की रहने वाली इकरा ने कश्मीर की बेहतरीन बुनाई और डिजाइन पेश करने के लिए तुलपलव (Tulpalav) की शुरुआत की।


इकरा ने YourStory को बताया, "उन दिनों कश्मीर में कोई ऑनलाइन कारोबार नहीं था और मैंने 2015 में बिना कोई कर्ज लिए सिर्फ 10,000 रुपये से अपना ऑनलाइन कारोबार शुरू किया।"


आज, तुलपलव दुनिया भर के ग्राहकों के साथ एक फलता-फूलता ऑनलाइन बिजनेस है। 37,000 से अधिक फॉलोअर्स के साथ इंस्टाग्राम पर उनकी मजबूत उपस्थिति है।


फिरन, कुर्ता, प्लीटेड स्कर्ट से लेकर शादी के कपड़े तक, तुलपलव आधुनिक फैशन को कश्मीरी संस्कृति के साथ मिश्रित करने के लिए डिज़ाइन किए गए कपड़ों की एक शानदार रेंज प्रदान करता है। इकरा मटेरियल की खरीद से लेकर डिजाइनिंग, सिलाई और कढ़ाई तक हर कदम पर बहुत सोच-विचार करती है।


इकरा कहती हैं, “अपने कपड़ों पर कश्मीरी अलंकरणों (embellishments) का उपयोग करते हुए हम लेटेस्ट ट्रेंड्स के अनुसार डिजाइनिंग, सिलाई और कढ़ाई करते हैं। मेरा लक्ष्य पारंपरिक कश्मीरी डिजाइनों के साथ समकालीन रुझानों को मिलाना है। मेरी टीम हर बार मटेरियल, कट और सिल्हूट के साथ प्रयोग करके कुछ अनोखा बनाने की कोशिश करती है, यह एक प्रक्रिया है जो वर्षों से बहुत लोकप्रिय हो गई है।”


वह आगे कहती हैं, "हमारा सबसे लोकप्रिय प्रोडक्ट एक कस्टम-मेड Tlla-work Pheran है जिसने ग्राहकों के बीच बहुत अधिक ध्यान आकर्षित किया है।"

कोरोना काल में माँ-बाप खोने वाले बच्चों के लिए मसीहा बने शशि प्रकाश

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही शशि प्रकाश ने शिक्षण कार्य की तरफ रुख कर लिया था। बीते 14 सालों से लगातार शिक्षण कार्य में जुटे शशि प्रकाश सिंह फिलहाल कोटा से अनअकैडमी के छात्रों को पढ़ा रहे हैं।

(चित्र साभार: शशि सिंह/इंस्टाग्राम)

(चित्र साभार: शशि सिंह/इंस्टाग्राम)

कोरोना महामारी के चलते देश भर में बड़ी संख्या में बच्चों ने अपने परिजनों को खो दिया है। कई मामलों में तो महामारी के चलते बच्चों के ऊपर से माँ और बाप दोनों का ही सहारा उठ गया है और ऐसे में उन बच्चों के ऊपर उनके बेहतर भविष्य को लेकर भी अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसे ही बच्चों की मदद के लिए उत्तर प्रदेश के बलिया के एक शिक्षक ने अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं।


किसान परिवार में जन्मे शिक्षक शशि प्रकाश सिंह आज ऐसे बच्चों की शिक्षा में रुकावट ना आए इसका पूरा ख्याल रखने का प्रयास कर रहे हैं। शशि प्रकाश बलिया के एक छोटे से गाँव से आते हैं और उनकी शुरुआती शिक्षा एक सरकारी स्कूल में ही सम्पन्न हुई थी, जिसके बाद उन्होने रुड़की से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी।


शशि प्रकाश सिंह के अनुसार कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान सामने आ रही खबरों ने उन्हें बुरी तरह विचलित कर दिया। इसी दौरान उन्हें यह भी पता चला कि बहुत बड़ी संख्या में बच्चों ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी है। इसके पीछे का कारण जानकर शशि प्रकाश भी बेचैन हो गए क्योंकि दरअसल उनमे से अधिकतर बच्चों ने कोरोना काल के दौरान अपने माँ-बाप को खो दिया था जिसके चलते बने बुरे आर्थिक हालत की वजह से वे अपनी पढ़ाई को आगे जारी नहीं रख सकते थे।


बस यहीं से शशि प्रकाश ने खुद आगे आकर पहल करते हुए इन बच्चों की मदद करने का फैसला किया। शशि सिंह ने ऐसे कुछ बच्चों को ना सिर्फ मुफ्त पढ़ाने का फैसला किया बल्कि उन्होने ऐसे बच्चों की फीस भरनी भी शुरू कर दी। जल्द ही यह दायरा बड़ा होने लगा और बच्चों की संख्या काफी अधिक हो गई।


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