क्या ChatGPT आपकी नौकरी छीन लेगा? जानें Infosys के फाउंडर का जवाब...
दुनियाभर के कई नामचीन विशेषज्ञों द्वारा यह तक कहा जा रहा है कि आने वाले भविष्य में ChatGPT दिग्गज टेक कंपनी Google तक को टक्कर दे सकता है.
दुनिया भर के पेशेवर लोग इस सवाल से जरूर परेशान हैं कि क्या चैटजीपीटी (ChatGPT) उनकी नौकरी छीन लेगा? एक तो वैसे भी कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रही है और ऊपर से ChatGPT के कारनामे...
बीते साल नवंबर में
ने 'ChatGPT' नाम का एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI)-बेस्ड चैटबॉट लॉन्च किया. ChatGPT आपके लिए निबंध, यूट्यूब वीडियो की स्क्रिप्ट, कवर लेटर, बायोग्राफी, छुट्टी की एप्लीकेशन आदि लिख सकता है.यह एक ऐसा डीप मशीन लर्निंग बेस्ड चैट बॉट है, जो आपके द्वारा पूछे गए सवालों के लगभग सटीक उत्तर देता है.
कंपनी का कहना है कि यह हमारे प्रश्नों का उत्तर दे सकता है, अपनी गलतियां मान सकता है. इसके अलावा यह अनुमान भी लगा सकता है कि उससे पूछा जाने वाला अगला सवाल क्या होगा? इतना ही नहीं GPT उन अनुरोधों को अस्वीकार भी कर सकता है, जो उसे सही नहीं लगते हैं.
दुनियाभर के कई नामचीन विशेषज्ञों द्वारा यह तक कहा जा रहा है कि आने वाले भविष्य में ChatGPT दिग्गज टेक कंपनी Google तक को टक्कर दे सकता है.
के को-फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति (N R Narayana Murthy) ने गुरुवार को कहा कि चैटजीपीटी जैसे जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म मानव नौकरियों को प्रभावित नहीं करेंगे. उन्होंने यह याद दिलाया कि 1977-78 में "प्रोग्राम जनरेटर" के उद्भव के साथ ऐसी चिंता व्यक्त की गई थी.
मूर्ति के हवाले से पीटीआई ने बताया, "यह (चैटजीपीटी) कोडर को प्रभावित नहीं करेगा. इंसान का दिमाग सबसे लचीला है और बहुत अच्छी तरह से अनुकूलन कर सकता है. लोग बेहतर उद्देश्यों के लिए रचनात्मक और स्मार्ट तरीके से मंच का उपयोग करेंगे."
NASSCOM टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम 2023 में बोलते हुए, मूर्ति ने कहा कि व्यापक आर्थिक चुनौतियों का मौजूदा सेट भारतीय आईटी कंपनियों की मांग को प्रभावित करने की संभावना नहीं है क्योंकि वे ग्राहकों के लिए मूल्य लाते हैं, और तनाव के पिछले उदाहरणों ने भी ऐसी कंपनियों की मांग और राजस्व में वृद्धि का प्रदर्शन किया है.
आईटी कंपनियों द्वारा फ्रेशर्स के लिए ज्वाइनिंग डेट्स में देरी के उदाहरणों के बारे में पूछे जाने पर, मूर्ति ने कहा कि वह बिना डेटा के कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन याद दिलाया कि इंफोसिस ने 2001 के डॉट-कॉम बस्ट के बाद 1,500 फ्रेशर्स के प्रति अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि शीर्ष नेताओं ने सभी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए गहरी वेतन कटौती का विकल्प चुना.
चैटबॉट हमेशा सटीक नहीं होता है: इसके स्रोतों की तथ्य-जाँच नहीं की जाती है, और यह अपनी सटीकता में सुधार के लिए मानवीय प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है.
इससे पहले, ओला कैब्स (Ola) के को-फाउंडर और ग्रुप सीईओ भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक बड़ा टेक्नोलॉजी टूल है और भारत को ऐसी टेक्नोलॉजी को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए. एक टीवी चैनल के समिट में बोलते हुए, अग्रवाल ने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि इस तरह की टेक्नोलॉजी को अपनाने से नौकरियां खत्म हो जाएंगी.
बाद में, देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के चीफ ह्यूमन रिसॉर्स ऑफिसर (CHRO) मिलिंद लक्कड़ ने कहा कि इस तरह के टूल प्रोडक्टिविटी में सुधार करने में मदद करेंगे, लेकिन कंपनियों के बिजनेस मॉडल को नहीं बदलेंगे. लक्कड़ ने हाल ही में पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "यह AI जेनरेटिव एक को-वर्कर होगा और को-वर्कर को ग्राहक के संदर्भ को समझने में समय लगेगा." उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि ये आपकी नौकरी खा जाएगा, लेकिन नौकरी की परिभाषाएं बदल जाएंगी."
वहीं, वर्तमान में ChatGPT का उपयोग करने वाली लगभग आधी अमेरिकी कंपनियों ने कहा कि चैटबॉट ने पहले ही वर्कर्स की जगह ले ली है. एक हालिया सर्वे में ये बात सामने आई है. वहीं, OpenAI, जिसने ChatGPT को बनाया है, के सीईओ सैम ऑल्टमैन (OpenAI CEO Sam Altman) की चेतावनी है कि AI चैटबॉट पर "किसी भी जरूरी बात" के लिए भरोसा नहीं किया जाना चाहिए.
फॉर्च्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में जॉब एडवाइस प्लेटफॉर्म Resumebuilder.com ने अमेरिका में 1,000 बिजनेस लीडर्स का सर्वे किया था, जो या तो चैटजीपीटी का इस्तेमाल करते हैं या करने की योजना बना रहे हैं. यह पाया गया कि सर्वे में शामिल लगभग आधी कंपनियों ने चैटबॉट का उपयोग करना शुरू कर दिया है. और सर्वे में शामिल 50 प्रतिशत अमेरिकी लीडर्स ने दावा किया कि ChatGPT ने पहले ही उनकी कंपनियों में वर्कर्स की जगह ले ली है.