शारीरिक रूप से अक्षम, लेकिन हर काम में सक्षम... मिलिए Flipkart के खास ‘विशमास्टर्स’ से
आज विश्व विकलांगता दिवस पर हम आपके सामने ऐसे ही लोगों की कहानी लेकर आए हैं जो कि शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद समाज और बाजार के नियमों को धता बताकर दूसरे लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन रहे हैं. इसमें उनका सहयोग देश की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट Flipkart कर रही है.
रिसर्च इंस्टीट्यूट 'सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी' (सीएमआईई) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, देश में बेरोजगारी दर 8 फीसदी हो गई है. हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में शारीरिक रूप से अक्षम आधे से अधिक लोग बेरोजगार हैं.
मार्केट रिसर्च फर्म Unearthinsight की साल 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में करीब 3 करोड़ लोग शारीरिक रूप से अक्षम (PWD) हैं जिसमें से करीब 1.3 करोड़ लोग रोजगार कर रहे हैं. हालांकि, उनमें से केवल 34 लाख संगठित क्षेत्र, असंगठित क्षेत्र, सरकार के नेतृत्व वाली योजनाओं में कार्यरत हैं या स्व-रोजगार कर हैं.
PWD की बेरोजगारी का यह आंकड़ा इसलिए अधिक नहीं है क्योंकि वे काम करने में सक्षम नहीं है. बल्कि इसका सबसे बड़ा कारण उनकी समाज और बाजार में उपेक्षा से जुड़ा हुआ है. आज विश्व विकलांगता दिवस पर हम आपके सामने ऐसे ही लोगों की कहानी लेकर आए हैं जो कि शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद समाज और बाजार के नियमों को धता बताकर ऐसे ही दूसरे लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन रहे हैं. इसमें उनका सहयोग देश की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट
कर रही है.दिल्ली के मंडावली में रहने वाले 25 वर्षीय खुश मोहम्मद पिछले 6 महीने से लक्ष्मी नगर में स्थित फ्लिपकार्ट के PWD हब में डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहे हैं. फ्लिपकार्ट अपने इन डिलीवरी बॉय को ‘विशमास्टर्स’ कहता है.
हापुड़ की मोनाद यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल करने के बाद भी खुश के लिए नौकरी पाना इतना आसान नहीं था. वहां से न तो उनका प्लेसमेंट हुआ और न ही उसके बाद उन्हें नौकरी मिली. वह जब इंटरव्यू देने जाते थे, तब लोग हैंडीकैप होने के कारण उन्हें नौकरी देने से बचते थे. उन्हें जैसे ही पता चला कि फ्लिपकार्ट ने एक ऐसा हब खोला है जहां पर केवल शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को नौकरी पर रखा जा रहा है, तब वह यहां पर आए और उनकी सीधे ज्वाइनिंग हो गई.
YourStory से बात करते हुए खुश बताते हैं, 'मैं पिछले 6 महीने से यहां पर नौकरी कर रहा हूं और सब कुछ बढ़िया है. मुझे सभी का सपोर्ट मिलता है. मैंने हापुड़ की मोनाद यूनिवर्सिटी से 2018 में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स किया है. मैं पहले इंटरव्यू देने जाता था तब लोग बोलते थे कि आपको फोन करके बता देंगे. लेकिन कोई कॉल नहीं आती थी. बेसिकली वे PWD होने के कारण मना ही कर रहे होते थे. यहां पर तो मेरी सीधे ज्वाइनिंग हो गई थी. मैं सुबह 7 बजे आ जाता हूं और सुबह करीब 10-11 बजे तक डिलीवरी के लिए निकल जाता हूं.'
दरअसल, साल 2017 में फ्लिपकार्ट ने शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को नौकरी देने के लिए अपने सप्लाई चेन में इस विशेष प्रोग्राम की शुरुआत की थी. इसके तहत वे अपने विशेष सुविधा वाले हबों में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को ही नौकरी पर रखने लगे.
उनके पास दिल्ली और बेंगलुरु में ऐसे दो हब हैं, जहां पर PWD काम पर रखे जाते हैं. फ्लिपकार्ट ने PWD कर्मचारियों वाला अपना पहला हब जुलाई 2021 में खोला था, जहां पर ऊपर से लेकर नीचे तक पूरा ऑपरेशन 70 PWD कर्मचारी संभाल रहे हैं. वे रोजाना 1500 डिलीवरी करते हैं. आज फ्लिपकार्ट ने अपने सप्लाई चेन में PWD वाले 2100 कर्मचारियों को विभिन्न भूमिकाओं में काम पर रखा है.
फ्लिपकार्ट ने अपने इस हब में PWD कर्मचारियों की सहायता के लिए कई तरह की विशेष सुविधाएं की हुई हैं. सभी कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने के लिए सेशन चलाया जाता है, विशेष ट्रेनिंग दी जाती है और साइन-लैंग्वेज इंटरप्रेटर के माध्यम से ऑन-जॉब ट्रेनिंग भी दी जाती है. ऐसे सभी कर्मचारियों की पहचान के लिए विशेष जैकेट भी दिए जाते हैं.
दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित PWD हब में खुश मोहम्मद की तरह ही 45 कर्मचारियों ऐसे हैं जो किसी न किसी तरह से शारीरिक रूप से अक्षम हैं. यहां पर केवल दो ऐसे कर्मचारी हैं जो कि किसी तरह से शारीरिक रूप से अक्षम नहीं हैं.
26 वर्षीय अमित कुमार की एक तो हाइट बहुत कम है और दूसरे वह पैरों से अक्षम हैं. अमित मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रहने वाले हैं और पिछले करीब 4 सालों से दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 स्थित चिल्ला गांव में रहते हैं. उनके परिवार में मम्मी-पापा और एक भाई है.
अमित पिछले एक महीने से इस हब में काम कर रहे हैं. वह एक विशमास्टर के रूप में अपना काम पूरी जिम्मेदारी के साथ पूरा करते हैं. उन्हें हब में अपना कामकाज करने के लिए व्हीलचेयर मिला हुआ है.
अमित ने बताया, 'मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि यहां पर PWD को काम पर रखा जाता है. इसके बाद मैं यहां और मुझे काम मिल गया. यहां पर सभी प्यार से बात करते हैं. हब में चलने-फिरने औऱ काम करने के लिए मुझे ट्राइसाइकिल दी गई है.'
वह आगे बताते हैं कि मैं यहां पर डिलीवरी का काम करता हूं. मैं जब डिलीवरी करने जाता हूं तो लोगों से फोन पर कहता हूं सर मैं PWD हूं, मेरे पास ट्राइसाइकिल है, कृपया आप नीचे आ जाएं. तब वे लोग अपना सामान लेने के लिए नीचे आ जाते हैं. 100 में से 1-2 लोग नहीं आते हैं, बाकी आ जाते हैं.
इसी तरह, ललित कुमार का परिवार दिल्ली-6 का रहने वाला है, लेकिन वह मधु विहार में रहते हैं. वह पैरों से अक्षम हैं और बैशाखी के सहारे चलते हैं. उन्होंने दिल्ली के ही जाकिर हुसैन कॉलेज से पत्राचार से बीए में एडमिशन लिया था लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ गई थी. वह पिछले एक साल से यहां पर काम कर रहे हैं. इससे पहले वह अलग-अलग समय पर पान-बीड़ी जैसी छोटी मोटी दुकानें लगाते थे, जिससे केवल खाने-पीने का खर्च निकल पाता था.
ललित ने बताया कि सबसे पहले तो मैं फ्लिपकार्ट और ई-कार्ट का शुक्रिया करना चाहता हूं जिसने हम PWD लिए रोजगार निकाला. कहीं भी काम मांगने जाते हैं तो हमें मिल नहीं पाता है. यहां काम मिलने के बाद हमारी लाइफ इजी हो गई है, थोड़े पैसे आने लगे हैं. हब के इनचार्ज ने उन्हें नई गाड़ी लेने में मदद की, जिससे वह अपना काम कर पा रहे हैं.
वह आगे कहते हैं कि जरूरत के हिसाब से डिलीवरी में 5-6 घंटे का समय लगता है. 99 फीसदी लोग हमारी समस्या को समझते हैं और खुद अपने घरों से निकलकर या ऊंचे फ्लोर से उतरकर सामान लेने आ जाते हैं. हम 6 किमी के रेंज में डिलीवरी करते हैं. हमें यहां समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती है.
वहीं, मूल रूप से बिहार के रहने वाले 36 वर्षीय शेखर मयूर विहार फेज-1 में रहते हैं और उनके हाथ की कुछ उंगलियां बचपन से ही खराब हैं. जब वह 10 साल के थे तभी उनके माता-पिता की मौत हो गई थी.
शेखर बताते हैं, 'मैं पिछले 1.5 साल से ई-कार्ट में काम कर रहा हूं. इससे पहले मैं कंस्ट्रक्शन का काम करता था और फिर मैं अपनी ई-रिक्शा खरीदकर उसे चलाने लगा था. कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन में मुझे घर बैठना पड़ गया था. इसके बाद मैंने सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट में तीन महीने का ऑनलाइन कोर्स किया और वहीं से यहां पर नौकरी का पता चला.'
वह आगे बताते हैं कि परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटे और एक बेटी है. दो बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं जबकि दो अभी छोटे हैं. फ्लिपकार्ट में काम शुरू करने के बाद मैंने अपना घर भी बना लिया है. अभी हम आराम से उसी घर में रहते हैं.
इन सबसे अलग, 24 वर्षीय फिरोज मूक हैं यानी बोल नहीं पाते हैं और पिछले 1.5 साल से यहां काम कर रहे हैं. साल 2014 में बीए कंप्लीट करने के बाद उन्होंने एक कंप्यूटर कोर्स किया था. लेकिन इसके बाद भी उन्हें कहीं काम नहीं मिल रहा था. यहां पर उनकी सहायता के लिए एक इंटरप्रेटर को रखा गया है. अपनी निजी जिंदगी में जब उन्हें समस्या होती है तो वह वीडियो कॉल करके इंटरप्रेटर की सहायता ले लेते हैं.
अपनी इंटरप्रेटर सहयोगी अनिशा की सहायता से फिरोज बताते हैं, मुझे यहां काम करके बहुत अच्छा लग रहा है. मुझे कुछ समझ में नहीं आता है तब इंटरप्रेटर मेरी हेल्प करते हैं. सभी मिलजुल कर काम करते हैं.
वह आगे बताते हैं, 'पहले मैं देखता था कि सामान्य लोग जॉब करते थे, डिलीवरी करते थे. मैं भी सोचता था कि मुझे कैसे जॉब मिलेगी. जब मुझे यहां नौकरी का पता चला तब मैंने यहां आकर इंटरव्यू दिया. मैंने ट्रेनिंग ली और सबकुछ सीखकर डिलीवरी करना शुरू कर दिया. शुरुआत में डिलीवरी के दौरान मुझे कई तरह की दिक्कतें आईं. मदद लेकर धीरे-धीरे मैंने अपना काम सही तरह से करने लगा.'
फिरोज ने बताया कि हम लोगों को जॉब सर्च करने में थोड़ी दिक्कतें आती हैं लेकिन फ्लिपकार्ट के इस नए हब में हम जैसे लोग आसानी से काम कर सकते हैं. ऐसे और भी हब होने चाहिए जहां पर हम जैसे लोगों को आसानी से नौकरी मिल सके. जितने भी बोल-सुन नहीं सकने वाले लोग हैं, मैं उनसे यही कहना चाहता हूं कि हार नहीं मानें, कोशिश करते रहिए, लगातार प्रयास करेंगे तो आप सफल हो जाएंगे.
फिरोज आगे बताते हैं, 'मेरे परिवार में सात सदस्य - मेरी मम्मी, दो बहनें, दो भाई और मेरी पत्नी हैं. मेरी शादी 2019 में हुई थी. मुझे अपने पर्सनल काम से जब बाहर जाना पड़ता है तब मैं वीडियो कॉल करके इंटरप्रेटर की मदद लेता हूं.'
फ्लिपकार्ट ही नहीं, कई अन्य नई कंपनियां भी PWD द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को समझ रही हैं और उनकी मदद के लिए हाथ भी बढ़ा रही हैं. पिछले महीने क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म ब्लिंकिट ने PWD को रोजगार के अवसर मुहैया कराने के मकसद से लक्ष्मी नगर में ही एक ‘साइलेंट स्टोर’ की शुरुआत की थी. इस स्टोर को साइलेंट इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इसमें काम करने 20 लोगों का स्टाफ मूक-बधिर है. यानी वह न सुन सकते हैं और न ही बोल सकते हैं.