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संस्कृत को नए रूप में पेश कर रहा है यह युवा, भाषा के इस आधुनिक रूप में लोग ले रहे हैं दिलचस्पी

एक भाषा के तौर पर संस्कृत लोगों के बीच गायब होती जा रही है। इसी बीच मुंबई का यह युवा लोगों के सामने संस्कृत को एक नए रूप में पेश कर रहा है, जिसे लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं।

रीसंस्कृत शुरू करने वाले सुशांत रत्नापारखी

रीसंस्कृत शुरू करने वाले सुशांत रत्नापारखी



आधुनिकीकरण के इस दौर में प्राचीन भाषा संस्कृत अब लोगों से दूर हो चुकी है। कभी इसी भाषा में वेद लिखे गए थे, जिनमे कई आयामों से जुड़े तथ्यों का वर्णन था, लेकिन समय के साथ संस्कृत की लोकप्रियता लोगों के बीच कम होती गई और आज इस भाषा के लिए हालात काफी खराब हैं।


इसके साथ ही एक युवा ऐसा भी है जिसने न सिर्फ संस्कृत भाषा को लोगों के नए कलेवर में पेश किया बल्कि लोगों के बीच दिलचस्पी भी पैदा कर कर दी है। ये हैं मुंबई के रहने वाले सुशांत रत्नापारखी। सुशांत ने रीसंस्कृत (Resanskrit) नाम से एक वेबसाइट और इंस्टाग्राम पेज चलाते हैं, जहां वे लोगों के सामने संस्कृत को बिलकुल ही नए और अनोखे रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।


इस बारे में सुशांत कहते हैं,

"बीते 15 सालों में देश में तकनीक और विज्ञान ने अपनी जगह बनाई है, ऐसे में मुझे लगता था कि संस्कृत को भी एक नई जगह मिलेगी। मैंने इंतज़ार किया, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। फिर मैंने सोचा कि क्यों न मैं ही कुछ शुरुआत करूँ।"

सुशांत को डिज़ाइन और डिजिटल मार्केटिंग में पहले से ही अनुभव हासिल था। इसे साथ लेकर सुशांत ने संस्कृत को एक नए कलेवर में पेश करते हुए इंस्टाग्राम पर रीसंस्कृत (Resanskrit) नाम से एक पेज शुरू किया। सुशांत ने उस पेज पर संस्कृत के कुछ सुविचारों को विजुअल्स के साथ पोस्ट किया। इस दौरान पेज पर पोस्ट को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया काफी सक्रिय रही, इसके चलते रीसंस्कृत के पेज को पहले ही हफ्ते में 2 हज़ार से अधिक फॉलोवर्स मिल गए।


सुशांत कहते हैं,

“तब मुझे समझ आया कि लोग इस चीज़ के लिए इंतज़ार कर रहे थे और इसमें काफी क्षमता है। मैंने इसे जारी रखा और 2 साल में पेज पर 1 लाख से अधिक फॉलोवर्स आ गए।”

रीसंस्कृत के पेज पर फॉलोवर्स ऑर्गेनिक तरीके से आए, इसके लिए सुशांत ने कोई पेड प्रमोशन नहीं किए। आज रीसंस्कृत के इंस्टाग्राम पेज पर 1 लाख 70 हज़ार से अधिक फॉलोवर्स हैं।


साल 2018 में सुशांत ने इसे मेनस्ट्रीम लाने का फैसला किया। इसके तहत उन्होने मर्चेन्टाइज़, टी-शर्ट, फोन कवर और वॉल आर्ट जैसी चीजों के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। सुशांत ने इस दौरान रीसंस्कृत के लिए वेबसाइट भी बनाई।

लोग कर रहे हैं पसंद

वेबसाइट पर सुशांत संस्कृत को विस्तार से समझाते हुए लेख भी लिखते हैं। वेबसाइट पर लोग इन लेखों को भी खासा पसंद कर रहे हैं। रीसंस्कृत की वेबसाइट पर एक लाख लोग हर महीने विजिट करते हैं, जिनमे बड़ी संख्या में लोग वेबसाइट पर लिस्टेड समान की खरीददारी भी करते हैं।


रीसंस्कृत द्वारा बेंची जाने वाली टी-शर्ट्स, जिन पर संस्कृत के सुविचार अंकित हैं।

रीसंस्कृत द्वारा बेंची जाने वाली टी-शर्ट्स, जिन पर संस्कृत के सुविचार अंकित हैं।



सुशांत फिलहाल एक कंपनी में फुल टाइम एम्प्लॉयी हैं और इसी के साथ वे रीसंस्कृत को समय देकर उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। सुशांत निकट भविष्य में इसे फुल टाइम जॉब की तरह अपनाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।





सुशांत कहते हैं,

“हज़ारों की संख्या में लोग हमारे अकाउंट पर मैसेज कर कहते हैं कि यह पहल बेहद जरूरी थी। बहुत से लोग इसका इंतज़ार कर रहे थे। पाश्चात्य सभ्यता कुछ हद तक हम पर हावी हो गई है, जिसके चलते लोग अपनी संस्कृति से कहीं न कहीं दूर जा रहे थे, लेकिन रीसंस्कृत के जरिये उनके सामने उनकी संस्कृति आधुनिक स्वरूप में आई, जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया है।”

बहन और पिता कर हैं मदद

सुशांत के साथ आज संस्कृत एक्स्पर्ट्स और फ्रीलांसर्स जुड़े हुए हैं। सुशांत के अनुसार उनके पिता और बहन उन्हे ई-कॉमर्स में मदद करते हैं। सुशांत के ऑपरेशन मुख्यता औरंगाबाद से संचालित होते हैं, जो कि सुशांत का गृह नगर भी है।


इन सालों में सुशांत ने सिर्फ अपनी वेबसाइट पर 55 सौ से अधिक ऑर्डर पूरे किए हैं, इसी के साथ द सोल्ड स्टोर के प्लेटफॉर्म पर कंपनी ने 4 हज़ार से अधिक ऑर्डर पूरे किए हैं। सुशांत का मानना है कि वो अभी बड़ी ऑडियन्स तक पहुंचे नहीं हैं। सुशांत अब अधिक डिज़ाइन और प्रॉडक्ट पर भी काम कर रहे हैं। सुशांत का मानना है कि ग्राहकों की यह संख्या अभी और तेजी से आगे बढ़ेगी।