बापू के शस्त्र से सहारा को स्वाधीन करने की लड़ाई लड़ रही हैं अमीनातु हैदर
02 अक्तूबर: राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती पर विशेष
"बापू की अहिंसा की सीख आज भी स्वाधीनता आंदोलनों का सबसे अजेय शस्र बनी हुई है। तभी तो पिछले तीन दशक से सहारा के रेगिस्तान में संघर्षरत अमीनातु हैदर को पिछले दिनो राइट लाइवलीहुड पुरस्कार से नवाजाा गया है। 02 अक्तूबर, को बापू की 150वीं जयंती पर भारत सरकार कई बड़े कदम उठाने जा रही है।"
अमीनातु हैदर, पश्चिमी अफ्रीका की वह पहली महिला हैं, जो महात्मा गांधी की अहिंसावादी सोच को अपना शस्र बनाकर पिछले तीन दशक से स्वाधीनता की लड़ाई लड़ती हुई पिछले दिनो वैकल्पिक नोबेल कहे जाने वाले राइट लाइवलीहुड पुरस्कार से नवाजी गई हैं। अमीनातु, मोरक्को से पश्चिमी अफ्रीका की आजादी के लिए अहिंसक आंदोलन कर रही हैं। इसीलिए उन्हें लोग प्यार से खौलते रेगिस्तान की सहारावी गांधी भी कहते हैं। अब तक उन्हें कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजने के साथ ही लगातार उत्पीड़ित किया जाता रहा है, उनके बच्चे और परिजन भी उनके आंदोलन की कीमत चुका रहे हैं लेकिन तीस वर्षों से आज तक वह अपने संघर्ष पथ से विचलित नहीं हुई हैं। अनवरत उनकी अहिंसक जंग जारी है। वह मोरक्को के सैनिकों से जूझती हुई लगातार सहारा वासियों के हित में आए दिन झड़पों का सामना कर रही हैं।
अमीनातु हैदर बताती हैं कि अपनी मातृभूमि आजाद करा लेने तक उनकी जंग जारी रहेगी। सहारा बाशिंदो को अपनी किस्मत का फैसला खुद करने का पूरा अधिकार चाहिए। इसीलिए वह स्पेन के नागरिकता देने की पेशकश भी ठुकरा चुकी हैं। वह सहारा में रह कर ही स्वाधीनता की लड़ाई गांधी जी के बताए रास्ते पर लड़ती रहना चाहती हैं। जरा सा इस सहारा के इतिहास को पलट कर देखें तो 1975 में स्पेन की औपनिवेशिक फोर्स जब पश्चिमी सहारा से हटी तो मोरक्को ने वहां अपने सैनिक तैनात कर दिए और इस इलाके पर उसने अपने शासन का दावा ठोक दिया। इसके बाद मोरक्को में विद्रोह के हालात पैदा हो गए।
सहारा के बागी लड़ाके 'पोलिसारियो फ्रंट' नाम से लड़ाई में कूद पड़े और उनकी ओर से वर्ष 1976 में गठित 'सहारावी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक' नए परचम का चेहरा बना। अपने मुल्क में स्वाधीनता हासिल करने के लिए अमीनातु हैदर जनमत संग्रह कराने की अपील, शांतिपूर्ण प्रदर्शन और भूख हड़ताल करती रहती हैं। उत्पीड़न का हर मामला उनके दस्तावेजों में दर्ज होता जा रहा है। बिना बताए उन्हे जेल भेज दिया जाता है। मोरक्को के अधिकारियों की तानाशाही के चलते वह चार वर्ष किसी अज्ञात कारागार में काट चुकी हैं। वह कहती हैं कि राइट लाइवलीहुड पुरस्कार ने एक तरह से उनके गांधीवादी आंदोलन पर विश्व समुदाय की सहमति की मुहर लगा दी है।
मोरक्को ने उनका आंदोलन ध्वस्त करने के लिए पश्चिमी और पूर्वी सहारा के बीच 2700 किलोमीटर लंबी बालू की एक दीवार बना दी है। दोनो पक्षों में समझौता कराने में संयुक्त राष्ट्र संघ भी असफल रहा है। उत्तरी अफ्रीका का हिस्सा पश्चिमी सहारा उत्तर में मोरोक्को, पूर्वोत्तर में अल्जीरिया, पूर्व एवं दक्षिण में मौरिशियाना तथा पश्चिम में अंध महासागर से घिरा हुआ है। इसका कुल क्षेत्रफल है 266,000 किलो मीटर है।
अमीनातु हैदर की इस बड़े परिक्षेत्र में चल रही आजादी की जंग पूरी दुनिया को बापू के अजेय आंदोलन की सिर्फ याद ही नहीं दिलाती, बल्कि उनके राजनीतिक अहिंसावाद के प्रति अटूट आस्था व्यक्त करती है। बापू, जिन्होंने बिना खड्ग, बिना ढाल हिंदुस्तान को गोरों से मुक्त करा लिया। 02 अक्तूबर, को बापू की 150वीं जयंती पर केंद्र सरकार कई बड़े कदम उठाने जा रही है। मसलन, कैदियों के लिए विशेष माफी योजना, सिंगल यूज प्लास्टिक विरोधी मुहिम छेड़ने के साथ ही खादी को ग्लोबल ब्रांड बनाने जा रही है। खादी की चमक बढ़ाने के लिए सरकार अब फैशन डिजाइनर की मदद लेगी।