क्यों इन 2 उद्यमियों ने 1.5 करोड़ रुपये का पेटकेयर स्टार्टअप बनाने के लिए छोड़ दी कॉर्पोरेट जॉब
लोगों के पालतू जानवरों की देखभाल करते हुए खड़ा किया करोड़ों का कारोबार...
आप कुछ दिनों के लिये शहर से बाहर जा रहे हैं, लेकिन आपको अपने पालतू जानवर की फिक्र है, ऐसे में आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है,लेकिन अगर आप बैंगलोर में हैं तो आपको इसकी फिक्र करने की कोई आवश्यकता नहीं है, आपके लिए ये काम पेटकार्ट करेगा।
बेंगलुरु के सरजापुर मेन रोड से दूर हरे-भरे एनवायरमेंट में बसा पेटकार्ट नेस्ट (Petcart Nest) आपके प्यारे दोस्तों या कहें कि आपके पालतू जानवरों के लिए एक आश्रय स्थल है। 70 विशाल बांस की झोपड़ी और 1,800 वर्ग फुट के स्विमिंग पूल व दो बेहतरीन 12,000 वर्ग फुट के प्ले एरिया सहित दो एकड़ में फैली यह विशाल फैसिलिटी आपके जानवरों के लिए दोनों तरह की सेवा देती है। पहली, जानवरों के लिए एक शानदार सैरगाह और दूसरी, जानवरों के लिए रात भर ठहरने और डेकेयर सेंटर के रूप में ये भी ये फैसिलिटी काम करती है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पेटकार्ट नेस्ट अपने आप में एक अनोखा पेट रिसॉर्ट है, हालांकि देर से ही सही लेकिन ऐसे प्रतिष्ठानों में तेजी आई है, जोकि बेंगलुरु जैसे पेट-फ्रेंडली शहर के लिए आवश्यक भी है।
चाहे आप काम के सिलसिले में कहीं गए हों या विदेश में छुट्टी के लिए जाएं, अगर आप घर से दूर जा रहे हैं तो ऐसे में आप निश्चिंत होकर अपने पालतू जानवरों को इस फैसिलिटी पर प्रशिक्षित पेशेवरों की देखरेख में छोड़कर जा सकते हैं। वैसे आपको बता दें कि पेट रिसॉर्ट, पेटकार्ट द्वारा दी जाने वाली कई सर्विसेस में से एक है, जो आपके पालतू जानवरों की देखभाल के लिए वन-स्टॉप डेस्टीनेशन के रूप में काम करता है।
बेंगलुरु स्थित यह स्टार्टअप अन्य जरूरतों को सेवाओं को भी प्रदान करता है। तेजी से होते शहरीकरण को ध्यान में रखते हुए, पालतू जानवरों के प्रति धारणा को बदलने की आवश्यकता है। लोगों को पालतू जानवरों के मालिक से उनके पैरेंट बनने की जरूरत है, हालांकि मिलेनियल्स इस धारणा को तेजी से बदल रहे हैं और जानवरों को एडॉप्ट कर रहे हैं।
पालतू जानवरों की देखभाल से जुड़े तीन वर्टिकल्स
शेखर गाओंकर ने 2016 में सह-संस्थापक नीलेंदु मैती के साथ पेट्कार्ट शुरू किया था। शेखर गाओंकर के अनुसार उन्होने प्रारंभिक शोध के बाद पालतू जानवरों की जरूरतों को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा है - द एसेंशियल (पालतू जानवरों की दैनिक आवश्यकताएं), हेल्थ एंड वेलनेस (पालतू जानवरों की देखभाल), और हॉस्पिटैलिटी (बोर्डिंग, रीक्रिएशन, आदि)।
वे बताते हैं कि
"एसेंशियल" डिपार्टमेंट में वे ई-कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से एक पालतू जानवरों की दैनिक आवश्यकताओं से संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं।"
हेल्थ एंड वेलनेस के तहत, पेटकार्ट शहर भर के पशु चिकित्सकों को जानवरों के पैरेंट के साथ जोड़ने में उत्प्रेरक का काम करता है और हॉस्पिटैलिटी के लिए, यह बोर्डिंग और लॉजिंग, ग्रूमिंग, पालतू जानवरों के लिए मनोरंजन, विभिन्न अवसरों के उत्सव इत्यादि जैसी सेवाएं प्रदान करता है। तीनों वर्टिकल एक छतरी के नीचे आते हैं, जिसमें टेक्नोलॉजी का व्यापक उपयोग उनको सबसे अलग बनाता है।
शेखर कहते हैं,
''वर्तमान में, हमारे वेलनेस वर्टिकल के तहत, हम पालतू जानवरों के पैरेंट्स को उनके पालतू जानवरों की मेडिकल हिस्ट्री को डिजिटाइज करने और टीकाकरण का समय निर्धारित करने, डिवर्मिंग रिमाइंडर जैसे विकल्प देने के अलावा, हम एक डिजिटल टोकन सिस्टम और पशु चिकित्सक के लिए अपॉइंटमेंट मैनेजमेंट सिस्टम बनाने के लिए तकनीक का उपयोग करते हैं।"
इसके अलावा, पशु चिकित्सक के पास भी वैक्सीनेशन रिमाइंडर को शेड्यूल करने और नई पहल / स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी आदि को लेकर नोटिफिकेशन भेजने का भी विकल्प है।
पेट पैरेंट्स से, पेट पैरेंट्स के लिए
पेटकार्ट के तीन-आयामी दृष्टिकोण हैं- लक्ष्य सभी पालतू जानवरों की देखभाल की जरूरतों और आवश्यकताओं के लिए एक समग्र समाधान प्रदान करना, स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों के साथ शुरू करना और दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना।
शेखर याद करते हैं,
"मेरे सह-संस्थापक, निलेंदु के पास एक अफ्रीकी ग्रे पक्षी हुआ करता था, जिसका नाम नेमो था। जब नेमो एक संक्रमण से पीड़ित था, उस समय बैंगलोर में कोई विशेषज्ञ विशेषज्ञ नहीं थे। उन्हें नेमो के इलाज के लिए एक विशेषज्ञ से मिलने के लिए मुंबई जाना पड़ा।"
इन समस्याओं ने नीलेंदु के लिए एक एहसास को जन्म दिया, उनका दिल में उन पालतू जानवरों के पैरेंट्स का ख्याल आया, जिन्हें अपने पालतू जानवरों की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए इसी तरह की परेशानी से गुजरना पड़ता था।
शेखर कहते हैं,
"हमें एहसास हुआ कि यह इंडस्ट्री बहुत असंगठित थी और इसमें बहुत गैप था। हम इस स्पेस को व्यवस्थित करना चाहते थे।"
शेखर ने भारती एयरटेल, नोकिया, वोडाफोन, टाटा डोकोमो, और जिलेट जैसी कंपनियों के साथ लगभग डेढ़ दशक तक काम किया है, वहीं निलेंदु ने IDenizen स्मार्टवेयर और एडेको इंडिया जैसी कंपनियों में काम किया है।
एक विजन को ध्यान में रखते हुए, दोनों पेट्कार्ट शुरू करने के लिए एक साथ आए। जानकर हैरानी होगी कि संस्थापकों को शुरुआत में स्मार्ट पेट के बारे में जीरो नॉलेज थी। पेटकार्ट को स्मार्ट पेट के उपनाम से भी जाना जाता है।
हालांकि, जिस नाम का प्रतिनिधित्व किया गया था, वे उस विचार से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए उन्होंने पेट्कार्ट पर स्विच किया, जहाँ कार्ट "उन सेवाओं का गुलदस्ता का प्रतीक है जो हम आपके सभी पालतू जानवरों की जरूरतों के लिए पेश करते हैं"।
विस्तार योजनाएं और 1.5 करोड़ रुपये राजस्व लक्ष्य
2020 तक अनुमानित मार्केट साइज 430 मिलियन डॉलर के साथ, भारतीय पालतू पशु देखभाल उद्योग एक तेजी से बढ़ता हुआ सेगमेंट है। वास्तव में, पेटकार्ट के सह-संस्थापक बताते हैं कि
"पेट पैरेंट्स कुत्तों से आगे बढ़ते हुए बिल्लियों और पक्षियों को गोद लेने लगे हैं, जिससे पेट ईकोसिस्टम का विस्तार हुआ है। यह ट्रेंड इस विभाग में समग्र सेवाएं प्रदान करने वाले शुरुआती प्लेयर्स के लिए सुखद अहसास देते हैं।"
पेट्कार्ट, जिसे 15 लाख रुपये के साथ बूटस्ट्रैप किया गया था और इसने अपने पालतू जानवरों का देखभाल रिसॉर्ट शुरू करने से पहले 1.75 करोड़ रुपये जुटाए थे। इन आंकड़ों ने सही दिशा में कदम का संकेत दिया है।
सिर्फ एक ईकॉमर्स पोर्टल के साथ शुरू करके, कंपनी ने तीन वर्टिकल्स में फैले अपने इंटीग्रेटेड इनिशिएटिव के साथ अब तक करीब 14,000 प्यारे दोस्तों की सेवा की है।
संस्थापक कहते हैं,
"पेटकार्ट नेस्ट महीना दर महीना ग्राहक बेस में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि देख रहा है, और हम लगभग 15 परसेंट अपाइंटमेंट कन्वर्जन तक पहुँच चुके हैं।"
वे कहते हैं,
''हम 2019 के अंत तक 100 प्रतिशत से अधिक की सालाना वृद्धि दर के साथ करीब 1.5 करोड़ रुपये के राजस्व को छू लेंगे। हम बेंगलुरु से आगे बढ़ना चाहते हैं और इसके लिए हम बड़ा फंड जुटाने की प्रक्रिया में लगे हैं।”
पेटकोर्ट जल्द ही अन्य प्रमुख भारतीय बाजारों पर कब्जा करने के लिए तैयार है। लेकिन राजस्व के आंकड़े और बड़ी संख्या के अलावा संस्थापक एक बात कहते हैं, जो वास्तव में उन्हें प्रेरित करता है वह है संतुष्ट पेट पैरेंट्स और उनके प्यारे दोस्त।
(Edited By प्रियांशु द्विवेदी )