IIT मद्रास ने बनाया खास डेटाबेस, सरकारी प्रॉजेक्ट्स की निगरानी होगी आसान
2022 तक, भारत को बुनियादी ढांचे के लिए $ 777.73 बिलियन के निवेश की आवश्यकता होगी, जिससे देश में सतत विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। 2017-18 के दौरान सिर्फ सड़क से जुड़े बुनियादी ढांचे में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ये सारे तथ्य की ओर इशारा करता है कि भारतीय बुनियादी ढांचा क्षेत्र बढ़ रहा है। हालांकि हमें वर्तमान में चल रही परियोजनाओं के विकास को ट्रैक करने के लिए एक सिस्टम की जरूरत है। हमें एक ऐसे एक केंद्रीकृत डेटा प्रणाली की भी आवश्यकता है, जो सरकारी संस्थानों को प्रॉजेक्ट्स डेटा तक पहुंच बनाने में सक्षम बना सके।
इस अंतर को पाटने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIT) मद्रास ने परिवहन अनुसंधान (WCTR) के 15 वें विश्व सम्मेलन के दौरान बीते बुधवार को इंटीग्रेटेड डेटाबेस ऑन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (IDIP) का एक डेटा प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। IIT बॉम्बे में यह सम्मेलन भारतीय परिवहन क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर एक विशेष सत्र में आयोजित किया गया था।
इस डेटा प्लेटफॉर्म को आईआईएम-बेंगलुरु के निदेशक प्रोफेसर जी रघुराम, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर के एसोसिएट प्रोफेसर स्वप्निल गर्ग, आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर थिल्लई राजन की उपस्थिति में रिलीज किया गया। रघुराम ने डेटा प्लेटफॉर्म के बारे में बताते हुए कहा, "आईडीआईपी जैसे डेटाबेस इस बात को हमारे सामने लाते हैं कि इस सेक्टर के वास्तविक मुद्दे क्या हैं। ऐसे डेटा की वजह से निवेशकों और डेवलपर्स को मौजूदा परियोजनाओं के प्रदर्शन को समझने और सेक्टर के लिए अपनी निवेश रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी।"
संस्थान के अनुसार, IDIP भारत में बुनियादी ढांचे के विकास की दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा और शुरू में सड़क बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अलावा, यह क्षेत्र में शामिल विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों के बीच प्रभावी निर्णय लेने में सक्षम होगा।
प्रोफ़ेसर राजन ने डेटा प्लेटफ़ॉर्म की प्रमुख विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहा, “भारतीय अवसंरचना विकास में उच्च गुणवत्ता और विश्वसनीय डेटा की उपलब्धता सबसे बड़ी बगिया रही है। IDIP का उद्देश्य इस मजबूत आवश्यकता को संबोधित करना है। आईडीआईपी में उपलब्ध डेटा की समझ बेमिसाल है। इस सुविधा की उपलब्धता से इंफ्रास्ट्रक्चर में शोध और नीति निर्माताओं, फंडिंग एजेंसियों और डेवलपर्स के बीच साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने को बढ़ावा मिलेगा।"
डेटा प्लेटफ़ॉर्म की कुछ प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं: IDIP प्रोजेक्ट जीवनचक्र के डेटा को संग्रहीत करेगा, जिसमें विकास, निर्माण और संचालन चरण शामिल हैं, और परियोजनाओं के लिए 50 अलग-अलग मापदंडों को ट्रैक किया गया है।
कई स्रोतों से डेटा क्यूरेट और वेरिफाई किया गया है, जिसमें अब तक प्रदान की गई लगभग सभी पीपीपी सड़क परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इन्हें राज्य सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया है।
डेटाबेस जल्द ही NHAI EPC परियोजनाओं के साथ समृद्ध हो जाएगा। यह एकमात्र स्रोत है जो विशेष प्रयोजन वाहनों (SPV) के वित्तीय प्रदर्शन डेटा को उपलब्ध कराता है। इसके अलावा यह विजुअल एनालिटिक्स और सर्च फीचर्स और निर्णय लेने में आसानी हो सके इससे जुड़ी हुई सुविधाएं प्रदान करता है। इसके तहत सड़कों के अलावा, रेलवे, बंदरगाह और हवाई अड्डों जैसे अन्य परिवहन क्षेत्रों को भी शीघ्र ही प्लेटफार्म में शामिल किया जाएगा।
अगले चरण में, आईडीआईपी के कवरेज से बिजली, ट्रांसमिशन, जलापूर्ति, स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे अन्य बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा। डेटा के बारे में बोलते हुए अकारा रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के निदेशक सेतुरमन ने कहा, "IDIP में वर्तमान में सभी पीपीपी परियोजनाओं के लिए डेटा है और अन्य क्षेत्रों जैसे- बंदरगाह, हवाई अड्डों के लिए कवरेज बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। पानी, स्वच्छता और पावर इंडस्ट्री के प्रयासों को भी शामिल किया गया है। हर एक प्रॉजेक्ट के डेटा को नियमित रूप से SPV के प्रदर्शन सहित अपडेट किया जाता है।"
स्वप्निल गर्ग ने आगे बताते हुए कहा, "मुझे IDIP काफी व्यापक और सही लगा। मैंने उन प्रोजेक्ट्स के एक छोटे नमूने को लेकर इसके डेटा की वैधता की जांच की जिन पर मैं बीते एक दशक से काम कर रहा हूं। मेरे हिसाब से यह उन शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी होगा जो देश के पीपीपी क्षेत्र को विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं।"