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150 करोड़ के टर्नओवर को पार करने के लिए इस 60 साल से पुराने लैन्जरी ब्रैंड ने अपनाया युवा आधारित दृष्टिकोण

150 करोड़ के टर्नओवर को पार करने के लिए इस 60 साल से पुराने लैन्जरी ब्रैंड ने अपनाया युवा आधारित दृष्टिकोण

Thursday March 26, 2020 , 7 min Read

भारत में लैन्जरी (अंतर्वस्त्र) शॉपिंग को लेकर कभी भी खुलकर बात नहीं हुई। जब भी इस बारे में बात की गई, हमेशा एक चुप्पी साधकर ही की गई। अब समय बदल गया है और लैन्जरी शॉपिंग को लेकर बनी धारणा टूट गई है। अब ग्राहक इस बारे में खुलकर बात करते हैं। साथ में महिलाएं भी अपने लिए इनरवियर्स की खरीदारी करते वक्त कई तरह के विकल्पों को ध्यान में रखने लगी हैं। 


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सिद्धार्थ ग्रोवर, डायरेक्टर, ग्रोवरसंस



महिलाओं के लैन्जरी मार्केट में अंडरवियर्स, ब्रासरीज, नाइटवियर, शेपवियर और कैमिसोल (शमीज) जैसे उत्पाद शामिल हैं। भारत की सबसे पुरानी महिला इनरवियर्स कंपनियों में से एक 'ग्रोवरसंस पेरिस ब्यूटी' ने दुनिया बदलते देखा है। साल 1953 में इसे चमन लाल ग्रोवर ने शुरू किया था। साल 1986 में उन्हीं के बेटे राकेश ग्रोवर ने इसे आगे बढ़ाया। राकेश इस वक्त कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। वह अपने बेटे और कंपनी के तीसरे उत्तराधारी सिद्धार्थ ग्रोवर के साथ बिजनेस चलाते हैं।


कंपनी डायरेक्टर सिद्धार्थ ग्रोवर ने बताया कि नोएडा स्थित हेडक्वॉर्टर वाली इस कंपनी ने लैन्जरी बनाने और बेचने के बिजनेस में 6.5 दशक से अधिक का समय पूरा कर लिया है। अब कंपनी का लक्ष्य आने वाले 2-3 सालों में 500 करोड़ के बिजनेस को छूना है।


सिद्धार्थ ने एस.पी. जैन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च से ग्रेजुएशन और मुंबई बेस्ड अपैरल बनाने वाली कंपनी 'शाही एक्सपोर्ट्स' के साथ इंटर्नशिप करने के बाद साल 2014 में बिजनेस ज्वॉइन किया। एक सेटल बिजनेस ज्वॉइन करने का यह मतलब नहीं था कि उन्हें कोई संघर्ष नहीं करना पड़ा।


शुरुआती संघर्ष की कहानी 

वह कहते हैं,

'मेरे शुरुआती 15 दिन सिर्फ वेयरहाउस (मालगोदाम) में बीते। यहां मुझे फैब्रिक्स के बारे में समझना था क्योंकि यहां कई प्रकार के फैब्रिक थे। ग्रोवरसंस पेरिस ब्यूटी जो फैब्रिक यूज करते हैं, वह भारत के अलग-अलग हिस्सों से आता है। ऐसे कपड़े के लिए हमने कृष्णा मिल, वर्धमान ग्रुप और श्री बालाजी मिल जैसी कई मिलों से साझेदारी की है। इनके अलावा कुछ खास सामान अलग-अलग देशों से आता है। जैसे- लेस तुर्की से, थ्रेड मदुरा कोटस से, ट्रिम्स हॉन्गकॉन्ग से और बाकी का खास कपड़ा चीन से आता है।'


सिद्धार्थ के सामने सबसे बड़ी चुनौती कंपनी के उन साझेदारों को साथ लेकर चलना था जो पिछले 40 साल से कंपनी के साझेदार थे। वह कहते हैं,

'वे सभी वृद्ध लोग थे और सभी एक लंबे समय से कंपनी के साथ जुड़े थे। हमें पेशेवर होने की जरूरत थी क्योंकि आखिरकार यह एक बिजनेस था। उनके साथ बिजनेस ने मुझे कभी उनके साथ परिवार जैसा व्यवहार करने से नहीं रोका। ऐसा मैंने अपने पापा और दादाजी के अनुभव से भी सीखा।' 



बिजनेस को बढ़ाने में बदलाव सबसे जरूरी

बदलाव (ट्रांसफॉर्मेशन) करना ही बिजनेस चलाने के लिए सिद्धार्थ का मंत्र था। वह कहते हैं,

'हम कुछ समय के लिए बदलाव के दौर में थे। इस बदलाव में ब्रैंड की पॉजिशनिंग से लेकर लुक्स की अलटरिंग तक शामिल था। हमने महसूस किया कि जो उत्पाद हम ग्राहक को दे रहे थे, सब बदल गया था।'


सिद्धार्थ कहते हैं कि आज के दौर में किसी बिजनेस को जिंदा रखने के लिए इनोवेशन बहुत जरूरी है। 'अगर आप इनोवेशन नहीं कर रहे हैं और नई तकनीक नहीं ला रहे हैं तो यह बहुत मुश्किल भरा सफर होने वाला है।'


ग्रोवरसंस पेरिस ब्यूटी की नोएडा, मानेसर और गाजियाबाद स्थित तीन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। तीनों में ही निर्बाध गति से काम होने के लिए उन्हें एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग सिस्टम (ERP) के साथ अपग्रेड किया गया है। सिद्धार्थ कहते हैं कि लगातार आगे बढ़ने को सुनिश्चित करने के लिए वह हमेशा लेटेस्ट ट्रेंड्स पर नजर रखते हैं। साथ ही उन्होंने विज्ञापन और मार्केटिंग करने के पुराने तौर-तरीकों में भी बदलाव की कोशिश की है।


वह ऐसा कैसे कर पाए? इसके जवाब में सिद्धार्थ आगे बताते हैं कि भारत की जनसंख्या में अधिकतर युवा शामिल हैं। ऐसे में युवा आधारित दृष्टिकोण रखना बिजनेस के लिए सर्वोपरि है। यह मार्केट में ब्रैंड की उपस्थित को भी मजबूत करने में मदद करता है।


वह कहते हैं,

'तकनीक ने दुनिया को करीब ला दिया है। लगातार बढ़ते सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स ने हमें अपने ग्राहकों के साथ सीधे जुड़ने का मौका दिया है। हम अपने नए प्रोडक्ट्स के बारे में ग्राहकों को बताने के लिए विडियोज और कॉन्टेस्ट का सहारा लेते हैं।'


ग्रोवरसंस पेरिस ब्यूटी की डिजिटल यात्रा 3 साल पहले शुरू हुई थी। कंपनी के 15,000 से अधिक मल्टीब्रैंड आउटलेट्स (MBO) हैं। भले ही बिजनेस में 'ब्रिक एंड मोर्टार फॉर्मेट' (ऐसा फॉर्मेट जिसमें अधिकांश बिजनेस जगह-जगह आउटलेट्स खोलकर ग्राहकों के साथ डायरेक्ट किया जाता है) को रिप्लेस नहीं किया जा सकता हो लेकिन ऑनलाइन बिक्री भी एक जरूरी हिस्सा होती है। यह कुल बिजनेस में 10% तक का योगदान देती है।


सिद्धार्थ कहते हैं कि कंपनी हर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स और ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स पर मौजूद है। ग्रोवरसंस पेरिस ब्यूटी ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है। अपनी वेबसाइट के अलावा कंपनी ने कई ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स से भी साझेदारी की है। इनमें फ्लिपकार्ट, अमेजन, पेटीएम, लव्ज़मी और क्लब फैक्ट्री जैसे बड़े नाम शामिल हैं। कंपनी के पास डिस्ट्रीब्यूटर्स, होलसेलर्स और रिटेलर्स का भी एक बड़ा नेटवर्क है जो पूरे देश के ग्राहकों तक पहुंचने में कंपनी की मदद करता है।





उनके मुताबिक लैन्जरी मार्केट में ग्रोथ के लिए युवाओं का खुलापन (खुलकर अपनी पसंद के बारे में बात करना) और स्पष्टता सबसे बड़े फैक्टर हैं। उनके अनुसार, 'लोग अब लैन्जरी के बारे में खुलकर बात करने में बिल्कुल नहीं शरमाते हैं। पहले इस बात को एक टैबू माना जाता था।' आज यह कंपनी ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड के जरिए हर महीने में अलग-अलग प्रोडक्ट्स के 25 लाख पीस बनाती है।


प्रतियोगिता वाला बाजार

ज़िवामी, क्लोविआ और प्रीटी सिक्रेट जैसे इनरवियर ब्रैंड्स ने ऑनलाइनल सेल के पूरे खेल को ही बदलकर रख दिया है। इसके अलावा भारतीय लैन्जरी मार्केट में एनामोर जैसे पुराने ब्रैंड्स का बहुत बड़ा शेयर है।


मार्केट रिसर्च प्लैटफॉर्म TechSci के रिसर्च की मानें तो साल 2017 में भारतीय लैन्जरी मार्केट 3 बिलियन डॉलर का था। अनुमान है कि साल 2023 तक यह 14% कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) की दर से बढ़ते हुए 6.5 बिलियन डॉलर तक हो जाएगा। इसका कारण मिडिल क्लास पॉप्युलेशन और वित्तिय तौर पर स्वतंत्र महिलाओं की संख्या बढ़ना है।


मार्केट के नए खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्द्धा के लिए 66 साल पुराने इस ब्रैंड की स्ट्रैटजी के बारे में बताते हुए सिद्धार्थ कहते हैं,

'मैं इसे (नए ब्रैंड्स) एक खतरे के तौर पर नहीं लेता हूं। नई कंपनियां मार्केट में आ रही हैं क्योंकि उन्हें इस मार्केट में अवसर दिखता है। साथ ही अधिक कंपनियां आने का मतलब है कि मार्केट बढ़ा है।'


वह कहते हैं कि प्रतिस्पर्द्धा एक अच्छा संकेत है क्योंकि कोई भी संस्थान पूरे मार्केट को कवर नहीं कर सकता। पिछले साल इस कंपनी ने कई अंतरराष्ट्रीय फैशन डिजाइनर्स से साझेदारी कर इंटरनेशनल कपड़े लॉन्च किए।


सिद्धार्थ कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय लैन्जरी मार्केट भारतीय लैन्जरी मार्केट से अधिक परिपक्व (मैच्योर) है। हालांकि भारतीय लैन्जरी मार्केट में भी अब जागरूकता लगातार बढ़ रही है। ग्रोवरसंस पेरिस ब्यूटी पहले ही 150 करोड़ के टर्नओवर को पार कर चुकी है। कंपनी को उम्मीद है कि इस साल में यह 200 करोड़ के आंकड़े को छू लेगी। कंपनी का उद्देश्य आने वाले तीन सालों में 500 करोड़ के बिजनेस लक्ष्य को पाना है।


आगे का रास्ता

यह इंडस्ट्री भले ही अच्छा कर रही है, फिर भी सिद्धार्थ ने बताया कि लोगों के बीच जागरूकता सबसे बड़ी चुनौती है, खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में। वह कहते हैं,

'महिलाएं यह तक नहीं जानतीं कि लैन्जरी पहनना हाइजीन के लिए भी जरूरी है।'


अब कंपनी टियर-2 और टियर-3 शहरों के साथ-साथ दक्षिण भारत में अपना बिजनेस फैलाना चाहेगी। इसके लिए कंपनी का प्लान दक्षिण भारत में अपने डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क और रिटेलर बेस को बढ़ाकर बिक्री आधारित दृष्टिकोण को अपनाना है। इसके अलावा कंपनी महिलाओं के इनरवियर्स में और अधिक वैरायटी शामिल करने पर विचार रही है। नई वैरायटी में लॉन्जवियर, स्पोर्ट्स वियर और शेप वियर शामिल हैं। 


हाल ही में इस ब्रैंड ने दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन-1 में अपना पहला रिटेल स्टोर खोला है। कंपनी का प्लान साल 2021 के आखिर तक ऐसे ही 20 और स्टोर खोलने का है।