ये हैं बीते हफ्ते की कुछ खास स्टोरीज़, इन्हें एक बार पढ़ना तो बनता है
बीते हफ्ते प्रकाशित हुईं कुछ खास स्टोरीज़ को आप यहाँ संक्षेप में पढ़ सकते हैं, वहीं इन स्टोरीज़ के साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर उन्हें आप विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
कोरोना वायरस जहां देश में लगातार पैर पसार रहा है, वहीं इसके चलते हुए लॉक डाउन से कई लोगों को मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच बिहार में छुट्टी पर आया एक सिपाही आज लोगों के लिए फ्री मास्क का निर्माण कर रहा है।
संस्कृत को वैकल्पिक विषय चुनकर UPSC क्रैक करने वाले आदित्य झा की कहानी भी बेहद खास है, इसी के साथ दूरदर्शन पर कभी बेहद लोकप्रिय हुए किरदारों के पीछे के कलाकारों से भी आपका रूबरू होना तो बनता है। इन सब स्टोरीज़ को आप नीचे संक्षेप में पढ़ सकते हैं, जबकि स्टोरी के साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हे विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
कोरोनावायरस एंग्जाइटी बनी समस्या
कोरोना वायरस इस समय भारत समेत दुनिया भर में कहर बरपा रहा है। लोगों की सिर्फ शारीरिक क्षति ही नहीं हो रही है, बल्कि अन्य कई तरह के भी नुकसान इसके चलते हो रहे हैं। अमेरिका के चिकित्सकों ने काफी गंभीर अनुमान जारी किए हैं, जिसके अनुसार कोरोना वायरस का असर काफी भयावह हो सकता है।
कोरोना वायरस के चलते भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में लॉकडाउन की स्थिति है, जिसके चलते लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं। इस दौरान कई लोग ऐसे हैं जिनके लिए मानसिक रूप से यह एक बड़ी चुनौती है।
मेंटल हेल्थ अमेरिका के अध्यक्ष और सीईओ पॉल जियोफ्रिडो (Paul Gionfriddo) कहते हैं,
‘‘जैसे-जैसे कोरोनावायरस (कोविड-19) के मामले बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे ही लोगों में कोरोनावायरस एंग्जाइटी (Coronavirus Anxiety) भी बढ़ती जा रही है।’’
कोरोनावायरस एंग्जाइटी पर यह खास रिपोर्ट आप इधर पढ़ सकते हैं।
सिपाही बना रहा मास्क
कोरोना वायरस के खिलाफ जारी इस जंग में एक सिपाही बड़ी पहल के साथ जमीनी स्तर पर समस्याओं से लड़ रहा है। 43 साल के सुधीर कुमार वर्तमान में अमृतसर, पंजाब में तैनात हैं। सुधीर अपनी बेटी की शादी के लिए बिहार के मोतिहारी स्थित अपने गाँव आए थे, लेकिन लॉक डाउन के हालातों में कार्यक्रम संभव न हो सका।
सुधीर बताते हैं,
“जब हमने अपने बेटे को मास्क खरीदने के लिए भेजा, तो उन्होंने कहा कि ज्यादा मांग के कारण बाजार में मास्क की कमी थी। जो उपलब्ध थे, वे बहुत महंगे थे, और 200 रुपये ले रहे थे।"
इसके बाद सुधीर ने लोगों के लिए खुद ही मास्क निर्माण करने का रास्ता चुना। सुधीर की यह पूरी कहानी आप इधर पढ़ सकते हैं।
लक्ष्य पर हमेशा रही नज़र
वैकल्पिक विषय के रूप में संस्कृत को चुनते हुए UPSC में सफलता का झण्डा गाड़ने वाले आदित्य कुमार झा की कहानी दिलचस्प होने के साथ ही प्रेरक भी है। इंटरव्यू के ठीक पहले आदित्य का पैर भी फ्रैक्चर हुए, लेकिन इससे उनके आत्मविश्वास में जरा सी भी कमी नहीं आई।
बिहार के मधुबनी जिले के एक गाँव से अपनी शुरुआती पढ़ाई करने वाले आदित्य ने अपने लक्ष्य को लेकर कभी अपने मन में संशय नहीं रखा। मधुबनी से इलाहाबाद और फिर दिल्ली तक का सफर उन्हे उनके सपनों के और करीब ले जाता रहा। आदित्य की यह प्रेरक कहानी आप इधर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
बने किसानों के साथी
करन कभी अपने पिता के साथ मंडी में फल और सब्जियाँ बेंचने जाया करते थे। उन दिनों को या डकारते हुए करन बताते हैं कि तब उन्हे सब्जी के सही दाम नहीं मिला करते थे, बल्कि कई बार तो उन सब्जियों को बेंचना भी मुश्किल हो जाता था। करन ने पहले मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और कई कंपनियों में काम भी किया, लेकिन उनका मन वहीं बना रहा जहां से उन्होने शुरुआत की थी।
करन ने किसानों की बुनियादी समस्याओं को हल करने के लिए एग्रीटेक स्टार्टअप फार्मपाल की स्थापना की। आज करन के साथ सैकड़ों की संख्या में किसान जुड़े हुए हैं और अपनी फसलों का उचित मूल्य पा रहे हैं। कारण की यह स्टोरी आप इधर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
क्या ये किरादर याद हैं?
90 के दशक में जब दूरदर्शन आया तो देश में मनोरंजन के क्षेत्र में एक नई क्रान्ति आ गई, हालांकि उन दिनों टीवी 24 घंटे उपलब्ध नहीं था, लेकिन उस दौरान इसकी दीवानगी लोगों के सिर चढ़कर बोली। उस पूरे दौरान में हमने अलग-अलग ना जाने कितने चरित्र देखे, उनमें से कई हमारी यादों में हमेशा के लिए बस गए।
कोरोना वायरस के चलते जहां देश भर में लॉक डाउन है, इस बीच दूरदर्शन भी फिर से उन सीरियल को आपके सामने पेश कर रहा है। आज अगर आप उन किरदारों के पीछे के कलाकारों याद नहीं कर पा रहे हैं तो आपको यह स्टोरी पढ़नी चाहिए।