'पड़ोस के किराना स्टोर' को डिजिटल दौर में दौड़ना सिखा रहा बेंगलुरु का यह स्टार्टअप
ऑनलाइन ग्रॉसरी प्लैटफ़ॉर्म्स की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और यही वजह है कि कई स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में हाथ आज़माने के लिए उतर रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ने प्रचलन को देखकर ऐसा मालूम पड़ता है कि छोटे-बड़े सभी शहरों में पर्याप्त लोग अब बिगबास्केट, ग्रॉफ़र्स, ऐमज़ॉन प्राइम और मिल्कबास्केट जैसे ऑनलाइन ग्रॉसरी प्लैटफ़ॉर्म्स से ही घर का राशन और किराने के सामान मंगाना पसंद करते हैं। लेकिन आंकड़ों का कुछ और ही कहना है। भारत का 700 बिलियन डॉलर का रीटेल मार्केट असंगठित तौर पर काम करता है और अभी भी हमारे देश में लोग पड़ोस के किराना स्टोर्स से ही महीने का सामान ख़रीदते हैं। इन किराना स्टोर्स के पास बड़े और एयरकंडीशन्ड स्टोर्स न हो, लेकिन लोगों को ये बेहद किफ़ायती लगते हैं। लेकिन इन किराना स्टोर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है, इनवेंटरी को मैनेज करने की क्योंकि स्टोर के मालिकों को अपने स्टॉक को तैयार रखने के लिए दूर के बाज़ारों से थोक मूल्यों पर सामान लाना पड़ता है।
इस क्षेत्र की चुनौतियों में छिपे अवसर को भांपते हुए आशीष झीना और एस कार्तिक वेंकटेश्वरन ने 2015 में जंबोटेल की शुरुआत की। यह किराना स्टोर्स के लिए थोक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है। 2015 से लेकर अभी तक जंबोटेल 20 हज़ार से ज़्यादा किराना स्टोर्स को अपने नेटवर्क में शामिल कर चुका है। कंपनी अभी तक 23.2 मिलियन डॉलर्स की फ़ंडिंग भी जुटा चुकी है।
बेंगलुरु आधारित यह स्टार्टअप किराना स्टोर्स को स्टोर पर डिलिवरी करने से लेकर विक्रेताओं से पेमेंट इकट्ठा करने तक, कई अहम सुविधाएं मुहैया कराता है। स्टार्टअप ने एक फ़िनटेक प्लैटफ़ॉर्म भी विकसित किया है, जो पेमेंट से संबंधित सॉल्यूशन्स उपलब्ध कराता है और साथ ही, ऋण देने वाले सहयोगियों से लेकर ग्राहकों तक, स्टोर्स के लिए वर्किंग कैपिटल क्रेडिट का भी आकलन करता है। इसके अतिरिक्त, छोटे स्तर पर व्यवसाय करने वाले व्यापारियों को सुविधाजनक रूप से रीटेल स्टोर्स चलाने में सहयोग देने के लिए कंपनी ने एक पॉइंट ऑफ़ सेल सिस्टम (पीओएस) विकसित किया है, जो पूरी तरह से सप्लाई चेन और फ़िनटेक प्लैटफ़ॉर्म के साथ एकीकृत है।
ऑनलाइन रीटेल और किराना सेक्टर में काम करने का विचार कार्तिक के मन में 2008 से था। मदुरै के रहने वाले कार्तिक 10 साल भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और वह मानते हैं कि अगर देश के लिए कुछ करना है तो उसे जल्द से जल्द अंजाम देने की कोशिश करनी चाहिए। कार्तिक ने बताया,
"मैं लगातार सोचता रहता था कि आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में काम करते हुए कैसे कुछ बेहतर किया जा सकता है। शुरुआत में मैंने फ़ूड और ऐग्रीकल्चर सेक्टर में काम करने का विचार बनाया और सप्लाई चेन को मज़बूत करने की दिशा में काम करने की योजना बनाई। मैं अपने शहर के आस-पास नारियल का उत्पादन करने वालों की मदद करने का प्रयास कर रहा था।"
इसके फलस्वरूप ही उन्होंने kisan.co की शुरुआत की, लेकिन इस कोशिश को सफलता नहीं मिल सकी। इसके बाद कार्तिक को इस बात का एहसास हुआ कि उन्हें सप्लाई ऐग्रीगेशन के बजाय डिमांड ऐग्रीगेशन से शुरुआत करनी होगी। कार्तिक बताते हैं,
"अगर मैं मदुरै जाकर नारियल का उत्पादन करने वालों को एकत्रित करता हूं, तब भी मुझे पास की मंडी जाकर उत्पादों की बिक्री बढ़ाने की कोशिश करनी होगी। जिस एजेंट को आप दरकिनार कर रहे हैं, दरअसल वह भी आगे जाकर आपसे उत्पाद ख़रीदने वाला है।"
वहीं दूसरी ओर, डिमांड वाले पक्ष में, एक किफ़ायती और प्रभावी इन्फ़्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत है। स्टैनफ़ोर्ड में एमबीए करने के दौरान ये सभी आइडियाज़ कार्तिक के दिमाग़ में घूम रहे थे और इसी दौरान 2009 में उनकी मुलाक़ात आशीष से हुई। आशीष एक पेशेवर किसान हैं और कार्तिक के साथ मिलकर जंबोटेल की शुरुआत करने से पहले वह पिछले एक साल से अपने खेत में खेती कर रहे थे। आशीष ने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई की है और स्टैनफ़ोर्ड में एमबीए पूरा करने के बाद उन्होंने बीसीजी के साथ भी काम किया। कार्तिक से मिलकर आशीष भी कार्तिक के आइडिया से सहमत हुए।
स्टैनफ़ोर्ड से ग्रैजुएशन के बाद कार्तिक ने ईबे के साथ काम किया और इसके बाद वह फ़्लिपकार्ट से जुड़े। यहां पर उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि थोक मार्केट के नियंत्रण की आवश्यकता है। अंततः 2014 में, दोनों ने मिलकर अपने आइडिया पर काम करना शुरू किया और जंबोटेल लॉन्च किया। जंबोटेल, स्टेपल्स (यानी चावल, एडिबल ऑयल, चीनी, आटा, दाल, मेवा आदि), पैकेज्ड फ़ूड्स, अन्य एफ़एमसीजी प्रोडक्ट्स, पर्सनल केयर आइटम्स और होम केयर प्रोडक्ट्स आदि के साथ डील करता है।
कार्तिक का कहना है कि आमतौर पर जो भी चीज़े आप अपने पड़ोस के किराना स्टोर में देखते हैं, वे सारी उनके प्लैटफ़ॉर्म पर भी उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि जंबोटेल तीन मॉडल्स फ़ॉलो करता है- स्टोर इनवेंटरी, विक्रेता के स्टोर की इनवेंटरी और ऑनलाइन मिलने वाले ऑर्डर्स के लिए पिकअप सर्विस। कार्तिक का कहना है कि सप्लायर्स को ऑनलाइन लाना मुश्क़िल काम नहीं था, लेकिन स्टोर के मालिकों को ऐप यूज़ करने के लिए तैयार करना बेहद मुश्क़िल काम था। कार्तिक बताते हैं,
"हमने ऐसा प्रोडक्ट तैयार किया, जो बहुत ही साधारण था और यूज़र 2G/3G नेटवर्क पर भी उसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते थे और इसका असर यह हुआ कि जल्द ही स्टोर के मालिकों ने इसे स्वीकार कर लिया और इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। हमने प्रक्रिया में से सेल्स की लागत को हटा दिया और अब सेल्स के लिए कोई निर्धारित समय-सीमा भी नहीं रह गई थी। हमने डिज़ाइन में अधिक निवेश किया ताकि उसे बेहद प्रभावी बनाया जा सके।"
कार्तिक मानते हैं जंबोटेल, बाज़ार में पारदर्शिता का भाव लेकर आया। कार्तिक ने जानकारी दी कि अगर डिलिवरी के दिन पर उत्पाद का मूल्य अधिक भी होता है तो ऑर्डर के दिन पर तय मूल्य के हिसाब से ही चार्ज किया जाता है। उन्होंने बताया कि उनके पास इनवेंटरी रहती है और मूल्यों में उतार-चढ़ाव के बाद भी कैश बर्न नहीं होता। हाल में, जंबोटेल के बेंगलुरु के बाहर टुमकुरु में दो आपूर्ति केंद्र हैं और 8 वितरण केंद्र या डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर्स हैं। लॉजिस्टिक्स के लिए कंपनी ने मासिक तौर पर भुगतान के आधार पर गाड़ियां उपलब्ध कराने वाली एजेंसियों के साथ करार कर रखा है और उनके पास 110 गाड़ियों का नेटवर्क है। कंपनी के 95 प्रतिशत ग्राहक किराना स्टोर्स हैं और इसके अलावा होटल भी उनके साथ बतौर ग्राहक जुड़े हुए हैं।
ऐनारॉक (एएनएआरओसीके) रीटेल कन्सलटेंसी के मुताबिक़, भारत का ऑफ़लाइन रीटेल मार्केट 2020 तक 1.3 ट्रिलियन डॉलर्स का हो जाएगा। भारत में दुनिया का 6वां सबसे बड़ा ग्रॉसरी मार्केट है, जिसमें से सिर्फ़ 5 से 8 प्रतिशत ग्रॉसरी स्टोर्स की ऑर्गनाइज़्ड या संगठित तौर पर काम करते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो, रिलायंस 2023 तक 5 मिलियन किराना स्टोर्स को डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर लाने की योजना बना रहा है। जंबोटेल में निवेश पर नेक्सस वेंचर पार्टनर्स के प्रबंध निदेशक समीर बृज वर्मा का कहना है,
"कंपनी देश में ऑनलाइन-टू-ऑफ़लाइन नए रीटेल रोलआउट्स को सशक्त बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जंबोटेल ने अत्याधुनिक तकनीक की मदद से सप्लाई चेन और मर्चेंडाइज़िंग को बेहतर और प्रभावी बनाने का जो काम शुरू किया है, उससे भारत के ग्रॉसरी रीटेल में नई क्रांति आ सकती है।"
कार्तिक ने बताया कि कंपनी की योजना है कि आने वाले तीन से पांच सालों में, बेंगलुरु के अलावा देश के अन्य 8-10 बड़े शहरों में ऑपरेशन्स को बढ़ाया जाए।