सुपर मार्केट से मदर्स मार्केट तक भारत में सुपर वर्किंग पावर बनीं सुपर विमन
बाकी दुनिया की तरह भारत में भी बाजार तेजी से कर रहा है महिलाओं के लिए लैंगिक मान्यताएं ध्वस्त...
मिथक टूट रहा है। बाकी दुनिया की तरह बाजार तेजी से भारत में लैंगिक मान्यताएं ध्वस्त कर रहा है। हर तरह के कार्यक्षेत्र में महिलाएं सुपर वर्किंग पावर बन रही हैं, वह बैंकिंग, टेक्नोलॉजी सेक्टर हों अथवा कॉरपोरेट जगत। बात अब सुपर मॉर्केट की सुपर विमन से भी आगे निकल कर मदर्स मार्केट तक पहुंच चुकी है।
प्रोफेशनल लाइफ की संवेदनशीलता चाहे जितनी बड़ी चुनौती क्यों न हो, आधी आबादी की लाइफ स्टाइल मार्केट कमांड में भी तेजी से बदल रही है। बात सुपर मार्केट की सुपर वुमन से भी आगे निकल कर मदर्स मार्केट तक पहुंच चुकी है। भिलाई में मदर्स की मार्केट बन रही है, जिसे पूरी तरह महिलाएं संभालने वाली हैं। यमुनानगर (हरियाणा) में एक वुमन सुपर मार्केट है, जिसकी हर जिम्मेदारी महिलाओं के हाथ में है, वही दुकानदार, वही सेल्सपर्सन, उनकी रोजाना की कमाई चार-पांच हजार रुपए है।
इसी साल मई में अमेरिकी अरबपति वारेन बफे ने विश्व बाजार में तेजी से अपनी जगह बना रहीं सुपर वुमन को संदर्भित करते हुए कहा था कि अमेरिका में 60 प्रतिशत सम्पत्ति सुपर वुमन के हाथ में है। वित्तीय निवेश में सुपर वुमन की भूमिका और ऊंची होनी चाहिए। बहुत लम्बे समय से इसकी प्रतीक्षा है, क्योंकि प्रतिभूति यह नहीं जानती कि उसका मालिक कौन है।
इस समय फ्लिपकार्ट बिग बिलियन डेज सेल की कमान सुपर वुमन के हाथ में है। फ्लिपकार्ट की इस फेस्टिव सेल की कोर टीम का नेतृत्व नंदिता सिन्हा कर रही हैं। अभी हाल ही में वालमार्ट फाउंडेशन और स्वस्ति हेल्थ कैटेलिस्ट ने भारत के चार राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश की 34 फैक्टरियों में 22,000 महिला कर्मचारियों को अपने 'वुमेन इन फैक्टरीज' अभियान में ट्रेंड किया है।
ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की बिग बिलियन डेज सेल-2019 की कमान सुपर वुमन संभाल रही हैं। लंबे समय से बिग बिलियन डेज सेल से जुड़ी निदेशक इशिता भाटिया बताती हैं कि आधी रात को जब फ्लिपकार्ट के प्लेटफॉर्म पर सेल शुरू होती है, जैसे-जैसे ऑर्डर बढ़ते हैं, माहौल रोमांच से भरपूर होता है। इस बड़ी सालाना सेल को वाइस प्रेसिडेंट नंदिता सिन्हा लीड कर रही हैं, जिसमें फिनटेक, सॉफ्टवेयर, डिजाइन, ब्रांड, मार्केटिंग और कम्युनिकेशन की प्रमुख जिम्मेदारियां सुपर वुमन के हाथ में है।
फ्लिपकार्ट में कृष्णा तिवारी होम पेज मर्चेंडाइज और कंज्यूमर इंटरफेस, मार्केट स्ट्रेटजी बनाने का दायित्व कृतिका सोटा, प्रोग्राम मैनेजमेंट की लीडर ऐश्वर्या, फिनटेक की जिम्मेदारी सोनल कपूर, ग्रोथ और प्लानिंग टीम की अगुवाई कीर्ति पेरावली, डिजाइन टीम लीडर नुपूर रॉय, मीडिया स्ट्रेटेजी प्लानिंग की लीडर स्नेहा नारंग तो मार्केटिंग प्रोग्राम की हेड निकिता प्रकाश हैं। अभी तक बिग बिलियन डे की कमान संभालती रहीं स्मृति रविचंद्रन अब फेस्टिव सेल से जोड़ने का काम देख रही हैं। सुपर वुमन की महत्वपूर्ण भूमिका से फ्लिपकार्ट कार्डलेस क्रेडिट में तीन गुना इजाफा हुआ है।
देखकर किसी को भी हैरत हो सकती है कि आज ऐसी कंपनियों में कार्यरत सुपर वुमन ब्रेडविनर भी है और होममेकर भी। ये वही सुपरवुमन हैं, जिनके जीवन पर अब तक पुरुष हावी रहे हैं। एक ताज़ा ग्लोबल स्टडी के मुताबिक, आज 70 फीसद भारतीयसुपर वुमन के करियर में सफलता की की हकीकत वर्क-लाइफ बैलेंस पर निर्भर है।
भारत सरकार की एक सकारात्मक पहल, कंपनी एक्ट के मुताबिक पांच या उससे अधिक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स वाली कंपनियों के बोर्ड में कम से कम एक सुपर वुमन का होना जरूरी है। इस फैसले के समय ही कॉर्पोरेट जगत में सुपर वुमन की भागीदारी से जुड़ी एक सर्वे रिपोर्ट भी जारी हुई। इसके अनुसार, लगभग 70 फीसद भारतीय कंपनियों के बोर्ड में महिला डायरेक्टर्स नहीं हैं। फाइनेंस में वे हैं, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कम हैं। फिर भी पिछले लगभग एक दशक में विकास का ग्राफ ऊपर जा रहा है।
हमारे देश में अब मल्टीनेशनल कंपनियां तो सुपर वुमन को आगे बढ़ाने की पहल कर ही रही हैं, सबसे ज्यादा वे बैंकिंग सेक्टर में नेतृत्व संभाल रही हैं। ऐसी सुपर वुमन की सूची में चंदा कोचर, चित्रा रामकृष्ण, एक्सिस बैंक की शिखा शर्मा, एचएसबीसी की नैना लाल किदवई, अरुंधति भट्टाचार्य, विजयलक्ष्मी अय्यर, शुभ लक्ष्मी पण से, अर्चना आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। स्टडी के मुताबिक, आज हमारे देश में इटली, स्पेन, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, जापान जैसे देशों के मुकाबले सुपर वुमन की स्थिति बेहतर है।
भारत में पिछले कुछ वर्षो में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, आइटी, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर रीटेल आदि में सुपर वुमन की भागीदारी बढ़ी है। एक और नए रिसर्च के मुताबिक, फिलहाल, भारत में 36 प्रतिशत कंपनियों ने अपने बोर्ड रूम में सुपर वुमन को रखा है, जबकि चीन में वे 91 प्रतिशत कंपनियों में सीनियर पदों पर हैं। भारत में सुपर वुमन और भी कई ऊंचे क्षितिज छू रही हैं।
मसलन, प्रीमियम लिकर ब्रैंड, कॉफी चेन, इंटरनेशनल फूड ब्रैंड, कंज्युमर गुड्स, ब्रेकफस्ट सीरियल्स ब्रैंड्स में वे चीफ एग्जिक्युटिव्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वे सीईओज बनने लगी हैं। फिलहाल भारतीय कॉर्पोरेट जगत में सीनियर मैनेजमेंट स्तर पर उनकी उपस्थिति 14 प्रतिशत है।