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इन युवा आईएएस-आईपीएस अधिकारियों ने नौकरी छोड़ चुनी अपनी राह

इन युवा आईएएस-आईपीएस अधिकारियों ने नौकरी छोड़ चुनी अपनी राह

Tuesday June 04, 2019 , 4 min Read

मनुष्यता की संवेदना उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के दिल में भी कितने गहरे तक समाई होती है, इसकी जीती-जागती ताज़ा मिसाल हैं बेंगलुरू साउथ डिवीजन के पुलिस कमिश्नर रहे के.अन्नामलाई, जो आईएएस डॉ. सैयद सबाहत अजीम, आईपीएस राजन सिंह, आईएएस प्रवेश शर्मा, रोमन सैनी, विवेक कुलकर्णी की राह चल पड़े हैं।


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के अन्नामलाई और रोमन सैनी




आईपीएस की नौकरी ठुकरा चुके के.अन्नामलाई फिर से घर लौटकर अब खेती करना चाहते हैं, अपने बेटे के लिए एक अच्छा पिता बनना चाहते हैं और उसी के साथ समय बिताना चाहते हैं। वह देखना चाहते हैं कि क्या उनकी भेड़ें अब भी उन्हे सुनती हैं क्योंकि अब वह पुलिस कमीश्नर नहीं हैं। उन्होंने पिछले साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा की, जिससे उन्हें जीवन में अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करने की प्रेरणा मिली। साथ ही आईपीएस मधुकर शेट्टी की मृत्यु का उनके जीवन पर गहरा असर हुआ।


कर्नाटक के पश्चिम तटीय चिकमंगलूर, उडुपी जैसे जिलों में पुलिस अधीक्षक सहित कई वरिष्ठ पद संभाल चुके के. अन्नामलाई ने अपने राज्य के उन लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया है, जिन्होंने उनको पुलिस सेवा का मौका दिया। वह अब तक लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाने के इंतजार में थे, ताकि पद से त्यागपत्र दे सकें। वह कहते हैं कि इस्तीफा देकर अब वह एक आम आदमी हो गए हैं। अब उनको अपने बेटे के साथ समय बिताने के लिए चार-पांच महीने का ब्रेक चाहिए। वह अपने सामाजिक सरोकार विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं ताकि शिक्षित और बेरोजगार युवाओं का भविष्य संवार सकें।


आज जहां आईपीएस बनना युवाओं का सबसे बड़ा सपना होता है, के.अन्नामलाई उसी हाई-प्रोफाइल नौकरी से बोर हो रहे थे। मूलतः करूर (तमिलनाडु) के रहने वाले एवं 2011 बैच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस के. अन्नामलाई ने भारतीय पुलिस सेवा में विगत नौ वर्षों से महत्वपूर्ण पद संभाल रहे थे। अब वह खेती करना चाहते हैं। वह अपने जीवन में उन छोटी-छोटी चीजों का आनंद लेना चाहते हैं, जिन्हे अब तक मिस करते आ रहे थे।





वह उन खेतों की मिट्टी की खुश्बू एक बार फिर महसूस करना चाहते हैं, जिनमें खेलते-दौड़ते हुए वह बड़े हुए हैं। के. अन्नामलाई अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं- 'मैंने भारतीय पुलिस सेवा से अपना इस्तीफा सौंप दिया है। आधिकारिक प्रक्रिया समाप्त होने में कुछ समय लग सकता है। जो लोग मुझे लेकर अनुमान लगा रहे हैं कि आगे मेरे लिए क्या है, उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि मैं इतना छोटा आदमी हूं कि बुलंद महत्वकांक्षाएं नहीं रख सकता।'


क्या आज के युवाओं का सबसे बड़ा सपना आईएएस या आईपीएस बनना ही रह गया है? शायद नहीं, यह सच सिर्फ उन्हे पता हो सकता है, जो आईएएस-आईपीएस की शानदार नौकरी ठुकरा कर अपनी राह चल पड़े हैं। कहा भी गया है कि 'लीक-लीक चींटी चलें, लीकहिं चले कपूत। लीक छोड़ तीनों चलें - शायर सिंह सपूत।' बहादुर और प्रतिभावान लोग खुद अपना रास्ता बनाते हैं। जिंदगी का और कोई भी मकसद उन्हें अपने लक्ष्य से डिगा नहीं पाता है।


सिविल सर्विसेज का उच्च पद छोड़ चुके इसी तरह के शीर्ष अधिकारी रहे हैं - 2000 बैच के आईएएस डॉ. सैयद सबाहत अजीम, 1997 बैच के आईपीएस राजन सिंह, 1982 बैच के आईएएस प्रवेश शर्मा, रोमन सैनी, विवेक कुलकर्णी आदि। डॉ. अजीम कभी त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के सचिव रहे थे, आज उनका स्टार्टअप छोटे कस्बों और गांवों में अस्पतालों की श्रृंखला स्थापित करने में जुटा है। तिरुवनंतपुरम के पुलिस कमिश्नर रहे राजन सिंह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से छोटे शहरों के उन युवाओं की मदद करते हैं, जो महंगे साइंस कोचिंग का खर्च नहीं उठा पाते हैं। 


इसी तरह मध्य प्रदेश सरकार में कृषि सचिव और अंतर्राष्ट्रीय विकास कोष में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके प्रवेश शर्मा रिटेल क्षेत्र में 'सब्ज़ीवाला' स्टार्टअप के माध्यम से किसानों, उपभोक्ताओं तक सीधे ताजे फल और सब्जियां पहुंचा रहे हैं। रोमन सैनी भी अपना सपना पूरा करने के लिए सीविल सर्विसेज से दो साल पहले इस्तीफा दे चुके हैं। आईटी और जैव प्रौद्योगिकी सचिव रह चुके विवेक कुलकर्णी आईएएस की नौकरी ठुकरा कर पत्नी संगीता कुलकर्णी के साथ आउटसोर्सिंग

फर्म 'ब्रिकवर्क इंडिया' प्लेटफॉर्म से वैश्विक कंपनियों के कामों में हाथ बंटा रहे हैं।